राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बुधवार (जनवरी 22, 2019) को राष्ट्रपति भवन में प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार 2020 (राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार) का वितरण किया। इसके तहत कुल 22 बच्चों को सम्मानित किया गया। वीरता पुरस्कार पाने वाले 22 बच्चों में से 10 लड़कियाँ और 12 लड़के हैं। एक बच्चे को मरणोपरांत यह पुरस्कार दिया गया। ये बहादुर बच्चे 26 जनवरी को होने वाली परेड में भी शामिल होंगे। ये सभी बहादुर बच्चे देश के 12 अलग अलग राज्यों से हैं।
Delhi: President Ram Nath Kovind presents Pradhan Mantri Rashtriya Bal Puraskar, 2020 (National Bravery Award) at Rashtrapati Bhavan. 22 children – 10 girls and 12 boys are receiving the award this year. pic.twitter.com/mDAjdlC2JR
— ANI (@ANI) January 22, 2020
सम्मानित बच्चों में जम्मू के सौम्यदीप जाना भी शामिल है। सौम्यदीप ने आतंकवादियों के हमले से अपनी माँ और बहन को बचाया था। इस दौरान सौम्यदीप को गोलियाँ भी लगीं और वह करीब 6 महीने से ज्यादा तक अस्पताल में रहा। सौम्यदीप आज भी व्हीलचेयर पर चलने को मजबूर है। बता दें कि 10 फरवरी 2018 को कुछ आतंकवादियों ने जम्मू के सुंजवन आर्मी कैंप पर हमला कर दिया था। वे लगातार फायरिंग कर रहे थे और अंदर घुसने की कोशिश कर रहे थे। तब साहसी सौम्यदीप ने इसका डटकर मुकाबला किया।
Master Soumyadip Jana was honoured with the #PradhanMantriRashtriyaBalPuraskar by Hon’ble President Shri Ram Nath Kovind, for his act of bravery.@rashtrapatibhvn pic.twitter.com/mg2oQLHgIh
— Ministry of WCD (@MinistryWCD) January 22, 2020
सौम्यदीप ने आतंकियों से अपनी माँ और बहन को बचाने के लिए एक कमरे में बंद कर दिया। फिर घर के मुख्य द्वार को स्टील के बक्से से ब्लॉक कर दिया, ताकि आतंकवादी अंदर नहीं घुस पाएँ। तब उन्होंने घर के अंदर एक हैंड ग्रेनेड फेंक दिया और फायरिंग करने लगे। लेकिन सौम्यदीप ने पूरी ताकत से उनका सामना किया। इस दौरान सौम्यदीप को काफी ज्यादा चोटें आईं और वह कोमा में चला गया। तीन महीने से ज्यादा समय तक वह कोमा में रहा। उसके कई ऑपरेशन भी हुए और उसके शरीर का बायाँ हिस्सा पैरालाइज्ड हो गया। इस चोट की वजह से उसके देखने और सुनने की क्षमता भी कम हो गई। लेकिन चेहरे पर मुस्कान लिए वह कहते हैं, “मुझे मेरे परिवार के लिए यह करना था। मैं उन्हें मरने के लिए नहीं छोड़ सकता था।”
इसी तरह हिमा ने भी इस आतंकी हमले में अपनी माँ की जान बचाई थी। आतंकवादियों के हाथों में बंदूकें थी, लेकिन हिमा ने बिना डरे पूरी बहादुरी से उनका सामना किया। काफी देर तक आतंकवादियों से लड़ने के बाद आखिरकार वह खुद और अपनी माँ को वहाँ से सुरक्षित निकाल पाने में सफल हुई।
हिमाचल प्रदेश की मुस्कान और सीमा ने लड़कियों को परेशान करने वाले बदमाशों को बढ़िया सबक सिखाया था। एक सरकारी स्कूल की कुछ छात्राओं ने अपने प्रिंसिपल से इस बात की शिकायत की थी कि कुछ लड़के स्कूल आते-जाते उन्हें परेशान करते हैं, उनको छेड़ते हैं और गंदे इशारे करते हैं। एक दिन मुस्कान और सीमा अपनी सहेलियों के साथ स्कूल जा रही थीं। उनके साथ भी बदतमीजी करने की कोशिश की गई। इस पर दोनों ने उस आदमी को पकड़ा और उसकी खूब पिटाई कर दी। फिर उस पर केस भी दर्ज कराया। दोनों की हिम्मत देख कर लोग हैरान रह गए। इन्हें भी राष्ट्रपति की तरफ से सम्मानित किया गया।