उत्तराखंड के जोशीमठ में भू-धँसाव को लेकर स्थानीय लोग काफी चिंतित हैं। 600 से ज्यादा घरों में दरारें आ चुकी हैं। वहाँ के लोगों को दूसरी जगह ले जाया जा रहा है। इसी बीच खबर है कि जोशीमठ को बचाने के लिए कई तरह के विशेष अनुष्ठान किए जाएँगे। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने समाचार एजेंसी ANI को बताया, “प्रभावित लोग इस समय अपना धैर्य और मनोबल मजबूत बनाएँ रखें। हमने कई ज्योतिषियों और धर्मशास्त्रियों को बुलाया है।”
शंकराचार्य ने कहा, “उन्होंने हमें जोशीमठ को बचाने के लिए अनुष्ठानों के बारे में बताया है। हम आज से ये अनुष्ठान शुरू करेंगे।”
Joshimath land subsidence | Affected people need patience & morale support. We’ve invited people with different expertise – from astrologers to dharma shastris. They’ve told us about the rituals to protect Jyotirmath. We’ll begin rituals today: Swami Avimukteshwaranand Saraswati pic.twitter.com/hhpDRlR2O7
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) January 9, 2023
बद्रीनाथ और जोशीमठ को लेकर भविष्यवाणी
दूसरी ओर देश के चार धामों में से एक बद्रीनाथ और जोशीमठ को लेकर कई तरह की भविष्यवाणी की जा रही है। ऐसा दावा किया जा रहा है कि कलियुग में श्रद्धालु बद्रीनाथ के दर्शन नहीं कर पाएँगे। लोक मान्यताओं के मुताबिक, हिंदू पुराणों में बद्रीनाथ धाम को लेकर एक चौंकाने वाली भविष्यवाणी की गई है। स्कंदपुराण में युगों पहले महर्षि वेदव्यास ने लिखा था कि कलियुग में बद्रीनाथ धाम अपनी जगह से अचानक गायब हो जाएगा।
ठीक उसी समय हिमालय की गोद में एक नया धाम प्रकट होगा, जिसे पुराणों में ‘भविष्य बद्री’ का नाम दिया गया है। यहाँ बद्रीनाथ की तरह साक्षात भगवान विष्णु का वास होगा।
भविष्य बद्री के बनने की प्रक्रिया
कहा जा रहा है कि भविष्य बद्री के बनने की प्रक्रिया शुरू हो गई है, एक चट्टान जमीन से खुद ब खुद निकल रही है। ऋषि वेदव्यास ने जिस जगह पर ‘भविष्य बद्री’ की भविष्यवाणी की थी, ठीक उसी जगह पर यह धाम उभर रहा है। इस समय कुछ ऐसी ही घटनाएँ हो रही हैं, जो बद्रीनाथ धाम के समय पर हुई थीं। दावा किया जा रहा है कि उस शिला में भगवान विष्णु का अक्स उभर रहा है। जब तक भगवान नृसिंह का वजूद जोशीमठ में है, तभी तक बद्रीनाथ सुरक्षित है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बद्रीनाथ की तरह भविष्य बद्री की स्थापना भी आदि शंकराचार्य ने की थी और बद्री विशाल के दर्शन करने से पहले जोशीमठ के नृसिंह मंदिर जाना जरूरी होता है।
जोशीमठ का नृसिंह मंदिर
नृसिंह मंदिर जोशीमठ में स्थित है। मंदिर में भगवान नृसिंह की बहुत पुरानी प्रतिमा है। भगवान की प्रतिमा को लेकर कई तरह की मान्यताएँ हैं। बताया जाता है कि नृसिंह भगवान की एक भुजा सामान्य है, जबकि दूसरी काफी पतली है। यह भुजा साल दर साल और पतली होती जा रही है। मान्यता के मुताबिक, जिस दिन नृसिंह भगवान की पतली हो रही भुजा टूट कर गिर जाएगी, उस दिन बद्रीनाथ धाम का मार्ग बंद हो जाएगा। नर-नारायण पर्वत एक हो जाएँगे।
यह वही नर-नारायण पर्वत है, जिसका उल्लेख स्कंदपुराण में भी किया गया है। यदि यह भविष्यवाणी सच हो जाती है, तो कलियुग में भक्त भगवान बद्रीनाथ के दर्शन नहीं कर पाएँगे, जहाँ वह वर्तमान में विराजमान हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि नर-नारायण पर्वत के एक हो जाने से बद्रीनाथ धाम लुप्त हो जाएगा। इसके बाद से भक्तों को भगवान बद्रीनाथ का दर्शन ‘भविष्य बद्री’ में ही मिल सकेगा।
रामायण, महाभारत काल से जोशीमठ का संबंध
जोशीमठ को लेकर एक कथा बताई जाती है। कहा जाता है कि रामायण काल में लक्ष्मणजी के मूर्छित होने पर उनके लिए संजीवनी बूटी की खोज में निकले हनुमानजी के लिए रावण ने कालनेमि नामक असुर को भेजा था। जोशीमठ ही वह जगह है, जहाँ हनुमानजी ने कालनेमि असुर का वध किया था। इसके अलावा ऐसी भी मान्यता है कि अज्ञातवास काल में स्वर्ग यात्रा के समय पांडव जोशीमठ होकर ही गए थे। आज भी स्थानीय लोग इस घटना की याद में फसल की कटाई के बाद पांडव नृत्य करते हैं।
बता दें कि उत्तराखंड के सीएम पुष्कर धामी ने सभी लोगों से जोशीमठ को बचाने की अपील की है। उन्होंने सभी सामाजिक, राजनीतिक संगठनों से एक टीम के रूप में कार्य करने का अनुरोध किया। सीएम ने कहा, “हम सभी की पहली प्राथमिकता जोशीमठ को बचाना और लोगों की जान माल की रक्षा करना है। 68 घर जो खतरे में थे, उन लोगों को दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया गया है। पीएम भी इसकी निगरानी कर रहे हैं और उन्होंने हर संभव मदद का भरोसा दिया है।”
#WATCH | We’ve appealed to everyone to work as a team & save #Joshimath. (People of) 68 houses that were in danger have been shifted. A zone of over 600 houses has formed & efforts are underway to shift them. PM is also monitoring it &has assured all possible help: Uttarakhand CM pic.twitter.com/7QorJeBD9d
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) January 9, 2023
गौरतलब है कि इस आपदा की चपेट में जोशीमठ शहर का 40 प्रतिशत हिस्सा चपेट में आ चुका है। राज्य सरकार ने टेक्निकल कमेटी का गठन किया है, जो भू-धँसाव से हुए नुकसान का आकलन कर रही है। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार (8 जनवरी 2022) को उत्तराखंड में भूमि धँसने और भूस्खलन की घटनाओं को लेकर प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से फोन पर बात की। इस दौरान पीएम मोदी ने उत्तराखंड को हरसंभव मदद करने का आश्वासन दिया।