Sunday, November 17, 2024
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गुरु ग्रंथ साहिब को रोड जाम करने के लिए ढाल नहीं बना सकते प्रदर्शनकारी, राज्य सरकार ले एक्शन: पंजाब-हरियाणा HC ने भगवंत मान सरकार-चंडीगढ़ प्रशासन को लताड़ा

हाई कोर्ट ने कहा, "केवल इस बात के आधार पर कि कुछ प्रदर्शनकारी गुरु ग्रंथ साहिब को रखकर धार्मिक भावनाओं का सहारा ले रहे हैं और इसे ढाल बना रहे हैं, इससे पंजाब को यह बहाना नहीं मिल जाता कि वह इन धर्म की आड़ लेने वालों पर कार्रवाई ना करे

पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने कहा है कि प्रदर्शनकारी गुरु ग्रंथ साहिब को ढाल बना कर महीनों तक सड़क नहीं जाम कर सकते। उनके खिलाफ प्रशासन को कार्रवाई करनी होगी। हाई कोर्ट ने प्रदर्शन करने वालों पर कार्रवाई ना करने को लेकर पंजाब की भगवंत मान सरकार और चंडीगढ़ प्रशासन को लताड़ लगाई। हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी चंडीगढ़ और मोहाली सीमा को ब्लॉक करने को लेकर सुनवाई के दौरान की।

हाई कोर्ट के कार्यकारी चीफ जस्टिस गुरमीत सिंह संधावालिया और जस्टिस लापिता बैनर्जी की बेंच ने कहा कि कई मौकों के बाद भी पंजाब सरकार और चंडीगढ़ प्रशासन ने रोजाना इस सड़क पर चलने वाले लोगों को कोई राहत नहीं पहुँचाई। आमजन लगातार सीमा पर बंदी सिखों को छोड़ने की माँग करने वाले प्रदर्शनकारियों के रास्ता जाम करने के कारण परेशानियाँ झेलते रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि कुछ प्रदर्शनकारी यहाँ अपने साथ गुरु ग्रंथ साहिब लेकर बैठते हैं, यह कोई कारण नहीं हो सकता कि इन लोगों के खिलाफ पंजाब सरकार कार्रवाई ना करे।

हाई कोर्ट ने कहा, “केवल इस बात के आधार पर कि कुछ प्रदर्शनकारी गुरु ग्रंथ साहिब को रखकर धार्मिक भावनाओं का सहारा ले रहे हैं और इसे ढाल बना रहे हैं, इससे पंजाब को यह बहाना नहीं मिल जाता कि वह इन धर्म की आड़ लेने वालों पर कार्रवाई ना करे।” हाई कोर्ट ने कहा कि कुछ प्रदर्शनकारियों के धरना-प्रदर्शन के कारण चंडीगढ़-मोहाली-पंचकूला के निवासी लगातार कठिनाइयाँ झेल रहे हैं।

कोर्ट ने यह टिप्पणियाँ एक याचिका की सुनवाई के दौरान की। यह याचिका के NGO द्वारा दायर की गई थी। इसने इन प्रदर्शनकारियों के हटाए जाने की माँग की थी। याचिका में कहा गया था कि इस धरना प्रदर्शन की वजह से रोजाना के यात्रियों को बड़ी समस्याएँ झेलनी पड़ रही थीं। कोर्ट ने इस दौरान इस बात का उल्लेख किया कि उसने पिछली सुनवाई में पंजाब के डीजीपी तक को बुलाया था और यह सुनिश्चित करने को कहा था कि को प्रदर्शनकारी यहाँ ना रुके। कोर्ट ने कहा कि पंजाब और चंडीगढ़ मिलकर इस मामले में देरी कर रहे हैं।

हाई कोर्ट ने इस मामले में कहा, “जो तस्वीरें यहाँ रिकॉर्ड में रखी गई हैं, उसने साफ़ जाहिर है कि प्रदर्शनकारियों की कोई बड़ी भीड़ यहाँ नहीं है। गाँवों से आने वाले अधिकांश प्रदर्शनकारी खेतों में फसल कटाई में व्यस्त हैं। यह सड़क से रुकावट हटाने का सबसे बढ़िया समय है। लेकिन पंजाब और चंडीगढ़ इसमें देरी कर रहे हैं। अब इसके क्या कारण हैं, यह वही सही से बता सकते हैं।” कोर्ट ने कहा कि प्रशासन को अपनी नींद से जागना होगा और सुप्रीम कोर्ट के रोड रोकने को लेकर आदेश का पालन करना होगा।

कोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई अब 18 अप्रैल, 2024 को करेगा। इस मामले में दाखिल की गई जनहित याचिका में कहा गया था कि यह प्रदर्शन जनवरी 2023 से चल रहा है, जिससे स्कूली बच्चों और आमजन, दोनों को असुविधा हो रही है।

प्रदर्शनकारी केंद्र सरकार से बेअदबी के मामलों में सख्त सजा और कुछ सिख कैदियों जिन्हें बंदी सिख के नाम से भी जाना जाता है, की जल्द रिहाई की माँग कर रहे हैं। इन बंदी सिखों में 1993 दिल्ली बम विस्फोट का दोषी देविंदरपाल सिंह भुल्लर और पंजाब के पूर्व सीएम बेअंत सिंह का हत्यारा कैदी बलवंत सिंह राजोआना शामिल हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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