पुणे में एक बिल्डर के नाबालिग बेटे ने पब में दारू पार्टी करने के बाद पोर्शे की करोड़ों की कार लेकर एक युवक और एक युवती को कुचल कर मार डाला। इसके बाद इस मामले में कुछ ऐसी घटनाएँ हुईं जिनसे पुलिस और न्यायपालिका में लोगों का भरोसा डिग रहा है। आरोपित को इस घटना पर लेख लिखने के लिए कह कर जमानत दे दी गई। पुलिस ने कमजोर धारा लगाई। अब गवाहों को ही उलटा धमकाए जाने की बात सामने आई है जो व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रही है।
‘Punekar News’ ने अपनी खबर में बताया है कि जहाँ आरोपित के साथ VIP अतिथि जैसा व्यवहार किया गया, वहीं मृतकों की तरफ से जो लोग आए थे उन्हें पुलिस के सहयोग के लिए भी तरसना पड़ा। मृतक IT इंजीनियरों अश्विनी कोस्टा और अनीस अवधिया की उम्र मात्र 24 वर्ष थी। उन्हें शास्त्रीनगर के सह्याद्रि हॉस्पिटल ले जाया गया, जहाँ पता चला कि मौके पर ही उनकी मौत हो गई थी। वहाँ मौजूद लोगों ने ड्राइवर की सीट से नाबालिग को निकाला और उसकी पिटाई की।
यरवदा पुलिस थाने ले जाए जाने के बाद पता चला कि वो नाबालिग है। केशवनगर में सॉफ्टवेयर इंजीनियर और अनीस अवधिया के कजन भाई पारस सोनी ने बताया कि तड़के सुबह फोन कॉल पाने के बाद वो पुलिस थाने की तरफ भागे, जहाँ उन्होंने देखा कि गिरफ्तार नाबालिग को VIP ट्रीटमेंट मिल रहा है। उसे पिज्जा खिलाया जा रहा था, साथ ही आराम से सुलाया भी गया था। उन्होंने इस मामले में एक स्थानीय विधायक के शामिल होने के आरोप लगाए।
पारस सोनी ने बताया कि जब उन्होंने इस मामले में FIR दर्ज कर के संदिग्धों का मेडिकल परीक्षण की माँग की, पुलिस वाले बिना ज़रूरत के गुस्सा हो गए और उलटा मृतकों के परिजनों पर ही केस की धमकी देने लगे। जब मृतकों के दोस्त बतौर गवाह सामने आए तो पुलिस ने उन सबको हिरासत में लेने की धमकी देते हुए कहा कि जाँच कराई जाएगी कि उन्होंने शराब पी रखी थी या नहीं। पारस सोनी का कहना है कि आरोपित लड़के की रसूखदार पृष्ठभूमि से पुलिस प्रभावित दिखी।
उन्होंने कहा, “संयोग से भीड़ ने लड़के को पकड़ लिया। गवाहों ने उसकी पहचान की पुष्टि की। इसके बावजूद पुलिस ने स्थानीय MLA के साथ मिल कर किसी और को ड्राइवर बताने की साजिश रची ताकि मामले को कवर-अप किया जा सके। हमने मीडिया और अपने संपर्कों को सब कुछ बताने की चेतावनी दी। चूँकि लड़के को पीटा गया था, हमने उसे तुरंत पहचान लिया। हमारे पास वीडियो भी था। अंततः हम मीडिया के पास मदद के लिए पहुँचे। आखिरकार सुबह के 11 बजे पुलिस लड़के को मेडिकल परीक्षण के लिए ले गई।”
पारस सोनी ने बताया कि इस दौरान वो लोग परिजनों को ढाँढस बँधाने, मृतकों के शवों को प्राप्त करने और एम्बुलेंस की व्यवस्था वगैरह जैसे कार्यों में व्यस्त थे। मराठी न आने के कारण परिजनों को परेशानी हुई सो अलग। आरोपित को पुलिस अर्टिगा कार से नाबालिगों वाले कोर्ट में लेकर गई, साथ में 2 मर्सिडीज कार में 3 वकील थे, जिनमें एक महिला वकील थे। वहीं जिस विधायक के बारे में पारस सोनी बता रहे थे, वो NCP (अजीत पवार गुट) का हिस्सा हैं।
पोर्शे कारने दोघांना चिरडलेल्या
— ABP माझा (@abpmajhatv) May 20, 2024
धनिकपुत्राला पोलिसांची रॉयल ट्रिटमेंट,
आरोपींसाठी पिझ्झा बर्गरची व्यवस्थाhttps://t.co/Mgyy9Dbn0A #Pune pic.twitter.com/6I7kN6O4Np
वडगाँव विधायक सुनील टिंगरे ने कहा कि लड़के के पिता के साथ उनके व्यापारिक रिश्ते हैं और वो परिवार उनके ही विधानसभा क्षेत्र में रहता है। उन्होंने कहा कि इसी कारण उनसे मदद माँगी गई थी और वो मदद करने पुलिस थाने पहुँचे थे, लेकिन उन्होंने इस केस में कोई हस्तक्षेप नहीं किया। जहाँ मृतकों के परिजन थाने के बाहर बयान देने के लिए इंतजार कर रहे थे, मर्सिडीज से आए 17 वर्षीय आरोपित के परिजनों को पुलिस थाने के अंदर लेकर गई।