Sunday, November 17, 2024
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‘खालिस्तान की भावना नहीं दब सकती…’: उधर पंजाब में पुलिस थाना कब्जाने वाला अमृतपाल दे रहा खुली धमकी, इधर AAP मंत्री बोल रहे- CM मान पर विश्वास रखो

6 जून 1984 में ऑपरेशन ब्लूस्टार के तहत इंदिरा गाँधी के निर्देश पर मारे गए खालिस्तानी जनरैल सिंह भिंडरावाले से तुलना करने के बारे में पूछे जाने पर अमृतपाल सिंह ने कहा, "यह मेरी सामान्य पोशाक है। यह भिंडरावाले पर आधारित नहीं है।"

खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह के कहने पर पंजाब के अजनाला थाने पर कब्जा करने और फिर पुलिस द्वारा अपनी बात मनवाने के बाद उसकी गिनती कुख्यात जरनैल सिंह भिंडरावाले के साथ होने लगी है। अमृतपाल ने कहा कि खालिस्तान की भावना बनेगी और उसे दबाया नहीं जा सकता। वहीं, पंजाब की आम आदमी पार्टी के सरकार ने राजनीति शुरू कर दी।

अजनाला थाने पर अमृतपाल के समर्थकों द्वारा कब्जे के बाद मुख्यमंत्री भगवंत मान की नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी की सरकार की हर जगह आलोचना हो रही है। वहीं, पंजाब सरकार में मंत्री कुलदीप सिंह ने धालीवाल ने कहा कि पंजाब के लोगों को राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए सीएम भगवंत मान पर भरोसा रखना चाहिए।

बता दें कि खालिस्तान समर्थक ‘वारिस पंजाब दे’ के चीफ अमृतपाल सिंह की धमकियों के आगे पंजाब पुलिस ने सरेंडर कर दिया है। अमृतसर के अजनाला थाने पर खालिस्तान समर्थकों के हमले के बाद मीडिया के सामने आए अमृतपाल सिंह ने पहले प्रशासन को 1 घंटे में एफआईआर वापस लेने की धमकी दी थी। उसके बाद किडनैपिंग और मारपीट के आरोप में गिरफ्तार लवप्रीत तूफान को छोड़ने के लिए 24 घंटों का वक्त दिया।

अमृतपाल सिंह की धमकियों के बाद पंजाब पुलिस का बयान आया। अमृतसर के एसएसपी और पुलिस कमिश्नर ने एक सुर में कहा कि उनको जो सबूत दिए गए हैं, उससे साबित होता है कि लवप्रीत तूफान बेकसूर है और उसे जल्दी ही रिहा कर दिया जाएगा। मामले की जाँच के लिए एसआईटी गठित की गई है। कानून अब अपना काम करेगी।

इंडिया टुडे के साथ खास बातचीत में अमृतपाल सिंह ने कहा, “पुनरुद्धार की नहीं, बल्कि यह अस्तित्व की बात है। खालिस्तान टैबू नहीं है और पीड़ा को खत्म करने के लिए यह माँग की जा रही है। मैं खुद को प्रचारक भी नहीं कहता हूँ।” उसने कहा, “राष्ट्रवाद कोई पवित्र चीज नहीं है। लोकतंत्र के अलग-अलग विचार होने चाहिए। बात अमृतपाल की नहीं है। खालिस्तान भावना बनी रहेगी। आप इसे दबा नहीं सकते।”

अमृतपाल ने एफआईआर को मीडिया ट्रायल बताते हुए कहा, “मैं अपनी गरिमा का बलिदान नहीं करूँगा। मैं हिंसक नहीं हूँ। मेरे बारे में साजिश के सिद्धांत तैर रहे हैं। कोई कहता है कि मुझे भाजपा का समर्थन है तो कोई कहता है पाकिस्तान का। मुझे केवल मेरे गुरु साहिब का समर्थन है। मेरी संगत के अलावा कोई मेरा साथ नहीं दे रहा है। मैं राजनीतिक व्यवस्था का हिस्सा नहीं हूँ, लेकिन यह एफआईआर मीडिया ट्रायल का हिस्सा है।”

अमृतपाल ने आगे कहा कि वह और उनके समर्थक तब तक हिंसा का रास्ता नहीं चुनेंगे, जब तक कि प्रशासन उनके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं छोड़ता। उन्होंने कहा, “हम हिंसा चुनेंगे। मुझे पता है की हिंसा हमें और अधिक नुकसान पहुँचाएगी। मैं किसी भ्रम में नहीं हूँ, लेकिन मैं उन्हें हमें बैठकर मारने नहीं दूँगा।”

6 जून 1984 में ऑपरेशन ब्लूस्टार के तहत इंदिरा गाँधी के निर्देश पर मारे गए खालिस्तानी जनरैल सिंह भिंडरावाले से तुलना करने के बारे में पूछे जाने पर अमृतपाल सिंह ने कहा, “यह मेरी सामान्य पोशाक है। यह भिंडरावाले पर आधारित नहीं है।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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