भारत कोरोना वायरस संक्रमण के अपने सबसे खराब दौर से गुजर रहा है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के आँकड़ों के अनुसार मंगलवार (04, मई) को देश में 3,82,847 नए संक्रमित मरीज मिले। इसके अलावा 3786 मरीजों की मृत्यु हुई। हालाँकि भारत की मृत्यु दर (CFR) 1.1% है जो कई संक्रमित देशों से बहुत कम है। लेकिन देश में ही कई राज्यों में स्थिति लगातार खराब होती जा रही है। पंजाब उनमें से एक है जहाँ 4 मई को 7,514 ने संक्रमित मरीज मिले और 173 संक्रमितों की मौत हुई।
चिंताजनक स्थिति यह है कि जहाँ महाराष्ट्र, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में क्रमशः 1.7%, 1.3% और 0.6% है वहीं पंजाब में यह 2.3% है और अब पंजाब में संक्रमण की यह दर गाँवों तक पहुँच रही है। रिपोर्ट्स के अनुसार पंजाब के ग्रामीण क्षेत्रों में मृत्यु दर नगरीय इलाकों के मुकाबले ज्यादा है। पंजाब में हुई मौतों में 58% मौतें ग्रामीण क्षेत्रों में हुई हैं। पंजाब के अतिरिक्त झारखंड में मृत्यु दर 2% से अधिक है।
खतरनाक दूसरी लहर और टेस्टिंग और इलाज से परहेज मुख्य वजह :
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार पंजाब में ग्रामीण क्षेत्रों में मृत्यु दर 2.8% है जबकि शहरी क्षेत्रों में यह 0.7% है। इसके अलावा राज्य के लोगों का उपचार से परहेज करना बढ़ते संक्रमण के पीछे मुख्य कारण है। स्वास्थ्य विभाग के आँकड़ों के अनुसार 83.92% मरीज हालत खराब होने पर अस्पताल जा रहे हैं।
पंजाब में ग्रामीण क्षेत्रों में होने वाली अधिक मौतों के पीछे कारण है कि मरीज अस्पताल जाने की जगह घर पर ही अपना इलाज कर रहे हैं। स्वास्थ्य अधिकारियों को भेजे गए अपने आदेश में पंजाब सरकार ने यह आदेशित किया था कि अधिकारी अपने क्षेत्र के वृद्ध और गंभीर मरीजों की सूची बनाएँ और उनकी स्थिति पर आवश्यक निर्णय लें जिससे उन मरीजों को संस्थागत इलाज प्राप्त हो सके।
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार पीजीआई चंडीगढ़ के पूर्व डायरेक्टर और पंजाब सरकार के कोविड प्रबंधन समूह के अध्यक्ष डॉ. केके तलवार ने बताया कि उपचार में लापरवाही ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ते संक्रमण का प्रमुख कारण है और बेहतर ट्रेसिंग के लिए होम आइसोलेशन में रह रहे मरीजों के लिए निगरानी की नई रणनीति बनाई जा रही है।
कोरोना वायरस का यूके वैरिएंट, पटियाला और संगरूर जैसे जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति :
अप्रैल में यह बताया गया कि कॉन्ग्रेस शासित पंजाब के संक्रमण मामलों की जीनोम सीक्वेंसिंग करने पर यह ज्ञात हुए कि 80% मामलों में यूके स्ट्रेन प्राप्त हुआ जो 70% अधिक तेजी से फैलता है। एनआरआई बेल्ट कहे जाने वाले दोआब क्षेत्र में फरवरी से हुई कुल मौतों में से 60% मौतें ग्रामीण क्षेत्रों में हुई हैं। नूरमहल और फिल्लौर क्षेत्र में संक्रमण का महत्वपूर्ण कारण कोरोना वायरस का UK स्ट्रेन ही था।
सिविल सर्जन सतिंदर सिंह ने बताया कि पटियाला में कोरोना वायरस की पहली लहर के दौरान गाँवों में मृत्यु दर लगभग न के बराबर थी। मार्च से 03 मई तक जिले में कुल 268 मौतें हुईं जिनमें से 94 मौतें सिर्फ ग्रामीण क्षेत्रों में हुईं। पटियाला में ग्रामीण क्षेत्रों की संक्रमण दर भी लगभग 21% और कुल संक्रमितों की संख्या 3453 है।
पंजाब के ही संगरूर जिले में 372 मौतें हुईं जिनमें से 152 मौतें गाँवों में हुईं। इनमें से 97 संक्रमितों की मौत इसी साल हुई है।
फसल की कटाई और पंजाब में बढ़ते संक्रमण का पैटर्न :
पिछले 90 दिनों के दौरान पंजाब में संक्रमण का पैटर्न देखने पर पता चला कि मार्च के दौरान राज्य में संक्रमण बढ़ना शुरू हुआ। हालाँकि, नवंबर 2020 से ही पंजाब के किसान दिल्ली बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे थे और गाँव के लोग फसलों की देखभाल कर रहे थे लेकिन इस दौरान कई किसान फसल की कटाई के लिए पंजाब लौटे।
बैसाखी त्योहार (13 अप्रैल 2021) के बाद से पंजाब में फसल की कटाई का समय प्रारंभ हो जाता है। डाटा के अनुसार बैसाखी के पहले राज्य में 13 मार्च को 1510 नए संक्रमित मरीज मिले और बैसाखी के मात्र 13 दिन पहले राज्य में कोरोना वायरस संक्रमण के 3161 मरीज मिले।
अगले कुछ दिनों में जब कथित तौर पर किसान प्रदर्शन से अपने गाँव लौटे और फसल की कटाई के बाद पुनः प्रदर्शन में शामिल हुए तब संक्रमण के मामलों में बढ़ोत्तरी देखने को मिली। 23 अप्रैल को पहली बार राज्य में 6000 नए संक्रमित मरीज मिले। मई के पहले चार दिनों में राज्य में लगातार रोजाना 7000 से अधिक संक्रमण के मामले मिल रहे हैं।
देश में बढ़ता संक्रमण और किसानों का दिल्ली बॉर्डर के लिए कूच :
14 अप्रैल को किसान संघ के नेताओं ने घोषणा की थी कि किसान 21 अप्रैल को दिल्ली के लिए कूच करेंगे। इसी दौरान दिल्ली में भी संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ने शुरू हो चुके थे। BKU(U) के महासचिव सुखदेव सिंह ने कहा 21 अप्रैल को कहा था कि 18,000 किसानों का एक मोर्चा दिल्ली के लिए रवाना हो चुका है।
पिछले 24 घंटों में अमृतसर में जहाँ 600 मामले आए वहाँ से 5 मई से 15,000 से अधिक किसान दिल्ली बॉर्डर के लिए रवाना हुए हैं। BKU(U), 10 मई के बाद से और अधिक किसानों को दिल्ली बॉर्डर भेजने की योजना बना रहा है।
किसान मजदूर संघर्ष समिति के महासचिव सरवन सिंह पंढेर ने द हिन्दू से चर्चा करते हुए यह दावा किया कि अकेले अमृतसर से ही 1 हजार ट्रैक्टर-ट्रॉली और लगभग 10,000-15,000 किसान सिंघू-कुंडली बॉर्डर के लिए मार्च करेंगे। जबसे किसान आंदोलन शुरू हुआ है तब से यह किसानों का बारहवाँ बड़ा मोर्चा है जो दिल्ली के लिए कूच करेगा।