Friday, November 22, 2024
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पंजाब में MSP को लेकर किसान संगठनों का AAP सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन: राशन-सिलेंडर लेकर सड़कों पर बैठे

यह पहली बार नहीं है जब पंजाब के किसान अपनी माँगों को लेकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। इससे पहले किसानों ने सितंबर 2020 में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ केंद्र सरकार का विरोध किया था। उस वक्त आम आदमी पार्टी की सरकार ने इन किसानों को समर्थन दिया था और केंद्र सरकार से इनसे दोबारा बातचीत शुरू करने की अपील की थी।

पंजाब (Punjab) के विभिन्न किसान संघों (Farmer Unions) ने आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) के नेतृत्व वाली पंजाब की भगवंत मान सरकार (Bhagwant Mann Government) के खिलाफ चंडीगढ़-मोहाली सीमा पर विरोध प्रदर्शन के लिए डेरा डाल दिया है। उन्होंने अपनी माँगों को पूरा करने के लिए सरकार पर दबाव बनाने के लिए राशन, बिस्तर, पंखे, बर्तन और रसोई गैस के सिलेंडर लेकर सीमा पहुँचे।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, विभिन्न किसान संघों से जुड़े किसान गेहूँ पर बढ़े हुए बोनस और 10 जून से होने वाली धान की बुआई के परमिट की माँग कर रहे हैं। किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल ने चेतावनी दी कि अगर किसानों की सभी शिकायतों का निवारण नहीं किया जाता है तो किसान बैरिकेड्स तोड़ेंगे और चंडीगढ़ कूच करेंगे।

जगजीत सिंह दल्लेवाल ने कहा, “यह पंजाब में हमारे संघर्ष की शुरुआत है और यह तब तक जारी रहेगा, जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं हो जातीं। अब तक सिर्फ 25 प्रतिशत किसान हैं। बाकी किसान बुधवार (18 मई 2022) को यहाँ पहुचेंगे। यह हमारे लिए करो या मरो की लड़ाई है।”

दल्लेवाल ने आगे कहा कि प्रदर्शनकारियों को चंडीगढ़ से DGP का फोन आया था कि बुधवार को सुबह 11 बजे सीएम भगवंत मान के साथ बैठक तय की गई है। हालाँकि, उन्होंने फिर फोन करके बताया कि सीएम मान दिल्ली गए हैं और मुख्य सचिव बैठक करेंगे। प्रदर्शनकारी किसानों को एक सरकारी अधिकारी से मुलाकात कर अपने मुद्दों के समाधान की उम्मीद नहीं थी। इसके चलते वे चंडीगढ़-मोहाली सीमा पर विरोध प्रदर्शन करने पहुँचे।

प्रदर्शनकारी 17 मई को एकत्र होकर गुरुद्वारा अंब साहिब से सीमा की ओर मार्च किया। उन्होंने YPS चौक पर स्थापित पहली बैरिकेड्स को तोड़ दिया और चंडीगढ़-मोहाली सीमा के पास मोहाली पुलिस द्वारा लगाए गए अन्य अवरोधों की ओर बढ़ गए। उन्हें पुलिस ने 17 मई को गीता भवन के पास रोक दिया। इसके बाद दल्लेवाल ने प्रदर्शनकारियों से बैरिकेड्स तोड़ने के बजाय शांतिपूर्वक विरोध करने का आग्रह किया।

वहाँ किसान अपनी माँगों को लेकर मुख्यमंत्री मान के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। गेहूँ पर बोनस और धान की बुआई के अलावा किसानों की माँगों की सूची में मक्का और हरे चना सहित 23 फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी, निर्बाध बिजली आपूर्ति और गेहूँ के निर्यात पर से प्रतिबंध हटाना शामिल है।

जैसा कि पहले बता हम चुके हैं कि किसान संघों ने अपनी माँगों को लेकर सीएम मान के साथ बैठक की थी, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला। वार्ता विफल होने के बाद किसानों ने विरोध मार्च निकालने का फैसला किया। सीएम मान पर आरोप है कि किसानों को छोड़कर सीएम मान AAP प्रमुख अरविंद केजरीवाल से मिलने के लिए दिल्ली चले गए।

कॉन्ग्रेस नेता सुखपाल सिंह खैरा ने ट्विटर कर कहा, “जिस तरह से भगवंत मान ने अरविंद केजरीवाल से मिलने के लिए दिल्ली रवाना होकर किसानों को लावारिस छोड़ दिया, इससे पता चलता है कि उन्हें पंजाब के किसानों की कितनी चिंता है।” उन्होंने आरोप लगाया कि दिल्ली में किसानों के आंदोलन को आम आदमी पार्टी का समर्थन राजनीति से प्रेरित और केवल राजनीतिक लाभ के लिए था।

हालाँकि, यह पहली बार नहीं है जब पंजाब के किसान अपनी माँगों को लेकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। इससे पहले किसानों ने सितंबर 2020 में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ केंद्र सरकार का विरोध किया था। उस वक्त आम आदमी पार्टी की सरकार ने इन किसानों को समर्थन दिया था और केंद्र सरकार से इनसे बातचीत दोबारा शुरू करने की अपील की थी।

उस वक्त पार्टी के नेता राघव चड्ढा ने ट्वीट किया था, “आम आदमी पार्टी संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा 26 मई को उनके आंदोलन के 6 महीने पूरे होने पर देशव्यापी विरोध प्रदर्शन करने के लिए किए गए आह्वान का समर्थन करती है। हम केंद्र से किसानों के साथ तुरंत बातचीत फिर से शुरू करने और उनकी माँगों को मानने का आग्रह करते हैं। AAP किसानों के साथ मजबूती से खड़ी है।”

फिलहाल सीमा पर भारी पुलिस बल तैनात है। हालाँकि राशन, बिस्तर, पंखे, बर्तन और रसोई गैस सिलेंडर लेकर जाने वाले आक्रामक किसानों ने लंबे समय तक विरोध करने का फैसला किया है। वहीं, आम आदमी पार्टी की पंजाब इकाई के मुख्य प्रवक्ता मलविंदर सिंह कांग ने कहा है कि सरकार किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है और वह किसानों की वास्तविक माँगों को मानेगी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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