दिल्ली पुलिस ने शुक्रवार (6 दिसंबर) को ऐसे दो सगे भाइयों को गिरफ़्तार किया है जो पिछले कुछ समय से यमुनापार इलाक़े में चोरी की घटनाओं को अंजाम दे रहे थे। गिरफ़्तार किए गए आरोपितों की पहचान कय्यूम (30 वर्षीय) और अय्यूब (40 वर्षीय) के रूप में हुई है। दोनों आरोपित नंद नगरी इलाक़े के रहने वाले हैं। पुलिस का कहना है कि दोनों भाइयों ने अब तक पूर्वी दिल्ली में 100 से अधिक चोरी की वारदातों को अंजाम दिया है।
दोनों भाइयों ने चोरी के माल से दिल्ली के कबीर नगर में 47 लाख रुपए और यमुना विहार में 65 लाख रुपए के दो मकान भी ख़रीद लिए थे। इतना ही नहीं, पुलिस ने इनके पास से 27 लाख रुपए नकद, 53 मास्टर की (चाबी), 2.5 किलोग्राम का सोना, 11 घड़ियाँ, 7 मोबाइल फोन और कई होम अप्लाइंसेज बरामद किए हैं। इसके अलावा, इन दोनों की गिरफ़्तारी से चोरी की 64 वारदातों को सुलझाने का दावा भी पुलिस ने किया।
डीसीपी ईस्ट डिस्ट्रिक जसमीत सिंह का कहना है कि कुछ महीनों में दिन में चोरी की कई वारदातों की घटनाएँ सामने आ रही थी। स्पेशल स्टाफ़ की टीम लंबे समय से चाेराें की तलाश में जानकारी जुटा रही थी। कई जगह से सीसीटीवी कैमरे की फुटेज खँगाली गई, इन फुटेज में आरोपित नज़र आए, लेकिन उनकी पहचान नहीं हो पा रही थी।
इसके आगे उन्होंने बताया कि शुक्रवार को पुलिस को एक अहम सुराग मिला। एक मुखबिर ने बताया कि इन वारदाताें में शामिल आरोपित कड़कड़डूमा कोर्ट के पास आएँगे। उसके बाद ट्रैप लगाकर दोनों भाइयाें को धर लिया गया। कय्यूम पर 13 केस दर्ज हैं। वहीं, अय्यूम भी एक बार गिरफ़्तार हो चुका है। पुलिस ने बताया कि दाेनाें ने चोरी के पैसाें से खरीदे मकानों की साज-सज्जा पर दिल खोलकर पैसा ख़र्च किया था।
पुलिस को इस बात का भी पता चला है कि जब दोनों भाई चोरी की वारदात को अंजाम देने जाते थे, तो उस दौरान एक भाई चाेरी करता था और दूसरा बाहर खड़ा रहकर पहरा देता था।
आरोपितों ने पूछताछ के दौरान अपना ज़ुर्म क़बूल करते हुए बताया कि वह दाेनाें यमुनापार इलाक़े में ही चोरी करते थे। अय्यूब चाेरी वाले घराें से कुछ दूर खड़ा होकर बाहर पहरा देता, जबकि कय्यूम घर के अंदर घुस जाता था। वारदात को अंजाम देने से पहले दोनों भाई पड़ोसियों से बातचीत कर खाली घराें की जानकारी जुटाते थे। चोरी के लिए मास्टर की का इस्तेमाल करते थे। इससे पहले, कय्यूम 2015 में पहली बार पकड़ा गया था। उस समय वो चोरी की मंशा से एक लड़की के घर में घुसा था, लेकिन उसके शोर मचाने पर की वजह से वो मौके पर ही पकड़ा गया था।
ख़बर के अनुसार, सेंधमारी के लिए ऐसे घरों का चयन किया जाता था, जो काफ़ी समय से बंद हों और वहाँ कोई रहता न हो। इसके बाद आरोपित उस घर में सेंधमारी करने जाते थे तो अच्छे कपड़े पहनकर जाते थे, जिससे पड़ोसियों को लगे कि वो उस घर के सदस्यों के कोई रिश्तेदार हों।