दिल्ली में चल रहा तथाकथित किसान आंदोलन अपने 25वें दिन में प्रवेश कर गया है। सरकार लगातार बातचीत का प्रस्ताव दे रही है, लेकिन किसान संगठनों ने अड़ियल रवैया अपना रखा है। आंदोलन को खालिस्तानी, इस्लामी कट्टरपंथी और अतिवादी वामपंथी ताकतों द्वारा हाइजैक किए जाने की बात पहले ही सामने आ चुकी है। लालच देकर महिलाओं को सड़क पर लाने की बात भी सामने आई है। अब भारतीय किसान यूनियन (BKU एकता-उग्राहन) की विदेशी फंडिंग शक के घेरे में है।
तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे विरोध-प्रदर्शन में बड़ी भूमिका निभाने वाले BKU (एकता-उग्राहन) ने दावा किया है कि उसे एक केंद्रीय एजेंसी ने उस रजिस्ट्रेशन का विवरण साझा करने को कहा है, जिसके तहत उसे विदेशी फंडिंग पाने की अनुमति मिली हुई है। BKU (एकता-उग्राहन) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जोगिंदर सिंह उग्राहन ने कहा कि NRIs और भारतीयों से उसे अपार समर्थन मिल रहा है, जिस कारण केंद्रीय एजेंसियाँ उसे निशाना बना रही है।
उन्होंने पूछा कि विदेश में ट्रक चलाने से लेकर मजदूरी करने वाले लोगों तक अगर हमें डोनेशन भेज रहे हैं तो इसमें समस्या क्या है? BKU (एकता-उग्राहन) का दावा है कि उसे पिछले 2 महीनों में 8 लाख रुपए की फंडिंग मिली है, लेकिन उसे इसका कोई अंदाज़ा नहीं है कि इसमें से कितना विदेश से आया है। 6 दिसंबर 2020 को BKU (एकता-उग्राहन) ने एक अपील जारी कर विरोध-प्रदर्शन को आगे बढ़ाने हेतु फंडिंग की अपील की थी।
अब संगठन चाहता है कि उसे डोनेशन के रूप में जितनी भी धनराशि मिली है, उसे भारतीय किसान यूनियन के महासचिव सुखदेव सिंह कोकरिकलाँ के व्यक्तिगत बैंक एकाउंट में ट्रांसफर किया जाए। उन्होंने इसकी पुष्टि की है कि उनका बैंक खाता FCRA (विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम) के तहत रजिस्टर्ड है। ‘पंजाब एंड सिंध बैंक’ के फॉरेन एक्सचेंज विभाग ने भी बैंक खाते में आ रही फंडिंग को लेकर सवाल खड़े किए हैं।
शनिवार (दिसंबर 19, 2020) को रजिस्ट्रेशन की अंतिम तारीख थी, लेकिन अब वो भी चली गई। विशेषज्ञों का भी कहना है कि BKU (एकता-उग्राहन) ने FCRA के नियमों का पालन नहीं किया है, ऐसे में उसे आई विदेशी फंडिंग वापस दानदाताओं के एकाउंट्स में लौट सकती है। बैंक अधिकारियों का कहना है कि बिना केंद्रीय गृह मंत्रालय के समक्ष रजिस्ट्रेशन कराए कोई भी व्यक्ति या संगठन विदेशी फंडिंग नहीं प्राप्त कर सकता।
किसान आंदोलन: किसान संगठनों ने बैंकों के हवाले से किया यह दावा#FarmersProtests | @MunishPandeyy https://t.co/AtP3JX9AOL
— AajTak (@aajtak) December 21, 2020
फ़िलहाल BKU (एकता-उग्राहन) ने अपने वकीलों से एक जवाब तैयार करने को कहा है। संगठन को लग रहा है कि विदेशी फंडिंग के लिए उसे सरकारी एजेंसियों से समन मिल सकता है, इसलिए पहले से ही जवाब की तैयारी की जा रही है। संगठन ने आरोप लगाया है कि सरकार बैंकों से जानकारी माँग रही है कि उसे कितनी फंडिंग मिली है। हालाँकि, सरकार की तरफ से ऐसा कुछ नहीं कहा गया है।
कुछ दिनों पहले इसी तरह ‘भारतीय किसान यूनियन (BKU) के भानु गुट के नेताओं में तकरार की खबर आई थी। प्रदेश अध्यक्ष योगेश प्रताप ने किसान नेता व संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह की बात मानने से इनकार कर दिया था। अब कई किसान सड़कों पर तीनों कृषि कानूनों के समर्थन में भी उतर आए हैं। उन्होंने कहा है कि ये कानून किसानों के हित में हैं और वो भी इसके समर्थन में बैठे रहेंगे।