उत्तर प्रदेश के रायबरेली में फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाने के मामले में नए खुलासे हो रहे हैं। खुलासा हुआ है कि फर्जीवाड़े का स्तर इतना बढ़ा कि गाँवों की आबादी को भी ध्यान में नहीं रखा गया, उनकी आबादी से अधिक प्रमाण पत्र जारी कर दिए। एक गाँव में उसकी आबादी के डेढ़ गुना प्रमाण पत्र जारी कर दिए गए। यह काम जीशान ने ग्राम विकास अधिकारी विजय यादव के साथ मिलकर किया।
अधिकारी विजय यादव का काम इन जन्म, आय, जाति और मृत्यु प्रमाण पत्र का सत्यापन करना था। जबकि जीशान केवल आवेदक के कहने पर इनके लिए आवेदन कर सकता था। हालाँकि, विजय यादव ने अपना वह नम्बर जीशान को दिया जिससे सत्यापन की प्रक्रिया पूरी होती है। इस नम्बर पर OTP आता है, जो इस बात की पुष्टि करता है कि आवेदन सही है और प्रमाण पत्र बनने की अनुमति दी जाती है। लेकिन इस पूरी प्रक्रिया का उल्लंघन किया गया।
कितना बड़ा फर्जीवाड़ा
आजतक की ग्राउंड रिपोर्ट के अनुसार, विजय यादव के अधिकार क्षेत्र वाले रायबरेली के गाँव नुरुद्दीनपुर में आबादी से डेढ़ गुना जन्म प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं। नुरुद्दीनपुर के ग्राम प्रधान पति ने बताया कि उनके गाँव की आबादी लगभग 7-8 हजार ही है। लेकिन इस गाँव के पते के आधार पर कम से कम 12 हजार जन्म प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं। यह जानकारी अधिकारियों ने प्रधान को दी है।
उन्होंने बताया कि यह प्रमाण पत्र लगातार जारी होते रहे लेकिन उनके पास मौजूद परिवार रजिस्टर में इनकी जानकारी नहीं दर्ज करवाई गई। इसका अर्थ है कि बिना प्रधान को जानकारी दिए ही लगातार जन्म प्रमाण पत्र जारी किए जाते रहे। इसकी जानकारी ना ही CSC वाले जीशान ने और ना ही विजय यादव ने प्रधान को दी।
इसके साथ ही इतनी बड़ी संख्या में फर्जीवाड़ा करते समय जन्म दर जैसे अनुपात का ध्यान तक नहीं रखा गया। ऐसा ही मामला आजतक की ग्राउंड रिपोर्ट टीम को पलाही गाँव में मिला। यहाँ 4500 की आबादी वाले उनके गाँव में 819 जन्म प्रमाण पत्र बनाने की बात सामने आई है।
यहाँ के प्रधान दीपक ने बताया कि उनके गाँव में केवल एक मुस्लिम परिवार है लेकिन उनके गाँव के नाम से जारी किए गए अधिकांश जन्म प्रमाण पत्र मुस्लिम नामों से हैं। उनको भी इस बात की जानकारी यह मामला खुलने से पहले नहीं थी। उन्होंने भी इस बात पर आश्चर्य जताया है। इसके अलावा और भी गाँवों में ऐसा ही फर्जीवाड़ा हुआ है।
विजय यादव ने ही दर्ज करवाई शिकायत
मामला खुलने के बाद जिस विजय यादव की आईडी से यह सारे प्रमाण पत्र बनाए गए, वह खुद को बचाने में जुट गया है। उसका दावा है कि उसके साथ बड़े स्तर पर धोखाधड़ी हुई है और जीशान ने उसके साथ विश्वासघात किया है। विजय यादव ने इस संबंध में शिकायत भी दर्ज करवाई है।
हालाँकि, पुलिस और ATS बाक़ी एंगल से भी इस मामले में जाँच कर रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, विजय यादव जीशान के घर में ही किराए पर रहता था। विजय यादव का कहना है कि उसने विश्वास के आधार पर अपना CUG नम्बर जीशान को दिया था, जिसका गलत इस्तेमाल फर्जी प्रमाण पत्र बनाने में हुआ।
जीशान से किसने करवाया ये काम, इसकी हो रही जाँच
जीशान ने इस काम से करोड़ों की सम्पत्ति बढ़ाई है। उसने हजारों लोगों के प्रमाण पत्र बनाए जो देश के अलग-अलग हिस्सों में पकड़े गए। बड़ी संख्या में प्रमाण पत्र बांग्लादेशी और रोहिंग्या के पास पकड़े गए। PFI की भूमिका भी इस मामले में सामने आई। अब इस बात की जाँच हो रही है कि जीशान से यह काम कोई बड़ा संगठन करवा रहा था या उसके पास यह सभी एक एक करके पहुँच रहे थे। इसके अलावा उसको हर फर्जी प्रमाण पत्र दिए जाने के कितने पैसे मिलते थे, इस बात की जाँच भी चल रही है।
मामले में अभी तक जीशान उसके पिता रियाज और साथ ही एक और व्यक्ति को विजय यादव के साथ गिरफ्तार कर लिया गया है। मामले में ATS की कार्रवाई के दौरान और लोगों के पकडे जाने जाने और साथ ही कई और खुलासे होने की बात कही जा रही है।