कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी (Rahul Gandhi) के रायबरेली लोकसभा सीट से सांसद के रूप में चुनाव को रद्द करने की माँग को लेकर एक जनहित याचिका दायर की गई है। याचिका में कहा गया है कि राहुल गाँधी भारतीय नागरिक नहीं, बल्कि ब्रिटिश नागरिक हैं। इसलिए वे देश में वे चुनाव लड़ने के अयोग्य हैं। इसे कर्नाटक के रहने वाले विग्नेश शिशिरा ने दाखिल किया है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में 22 जून को दाखिल याचिका में कहा गया है कि लोकसभा स्पीकर राहुल गाँधी को संसद सदस्य के रूप में कार्य की अनुमति तब तक न दें, जब तक गृह मंत्रालय की तरफ से उनकी विदेशी नागरिकता के मुद्दे का निपटारा नहीं कर दिया जाता। जनहित याचिका में यह भी पूछा गया है कि राहुल गाँधी किस कानूनी अधिकार के तहत लोकसभा सदस्य के रूप मे काम कर रहे हैं।
याचिका में यह भी कहा गया है कि सूरत की एक अदालत से राहुल गाँधी को दो साल की हुई है। इसलिए वे लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत राहुल गाँधी सांसद चुने जाने के अयोग्य हैं। बता दें कि राहुल गाँधी अपनी माँ सोनिया गाँधी की सीट रायबरेली से इस बार सांसद का चुनाव जीते हैं। वे वायनाड से भी चुनाव जीते हैं, लेकिन इस सीट को उन्होंने छोड़ दिया है।
याचिका में दावा किया गया है कि यूनाइटेड किंगडम (ब्रिटेन) सरकार के कंपनी हाउस में दायर वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि राहुल गाँधी 21/08/2003 से 17/02/2009 तक मेसर्स बैकॉप्स लिमिटेड नामक कंपनी के निदेशक थे। इस कंपनी का नंबर 04874597 था। 31/10/2006 को दाखिल एक रिटर्न में उन्होंने अपनी राष्ट्रीयता ब्रिटिश बताई थी।
याचिका में उल्लेख किया गया है कि यह जानकारी कंपनी हाउस, यूनाइटेड किंगडम सरकार से उपलब्ध रिकॉर्ड पर आधारित है। याचिका में राहुल गाँधी द्वारा साल 2004 में अमेठी के रिटर्निंग ऑफिसर के समक्ष दायर चुनावी हलफनामे का भी जिक्र किया गया है। इसमें राहुल गाँधी ने घोषणा की थी कि यूनाइटेड किंगडम में उनके कई बैंक खाते हैं और मेसर्स बैकअप्स लिमिटेड का स्वामित्व है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गुरुवार (27 जून 2024) को सुनवाई करते हुए इस मामले के गुण-दोष पर विचार किए बिना सुनवाई स्थगित कर दी। अब इसकी सुनवाई 1 जुलाई 2024 को उच्च न्यायालय की नियमित पीठ करेगी। सुनवाई के दौरान जस्टिस आलोक माथुर और जस्टिस अरुण कुमार सिंह देशवाल की अवकाश पीठ ने लाइव लॉ के रिपोर्टर को कोर्ट रूम से बाहर जाने को कह दिया।
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, जैसे ही जनहित याचिका पर सुनवाई शुरू हुई इलाहाबाद हाई कोर्ट की अवकाश पीठ ने जनहित याचिका दाखिल करने वाले विग्नेश शिशिरा की ओर से पेश वकील अशोक पांडे से सवाल किया। बेंच ने पूछा कि क्या उन्होंने याचिका के साथ 25,000 रुपए का डिमांड ड्राफ्ट रजिस्ट्री में दाखिल करा दी गई है।
Bench asks LiveLaw's reporter to stop reporting court proceedings and leave the courtroom
— Live Law (@LiveLawIndia) June 26, 2024
Justice Mathur : Aap (referring to the reporter of Live Law) bahar jaaiye aur wahan reporting kijiye apni.#AllahabadHighCourt #RahulGandhi https://t.co/4q5spb8BlN
कोर्ट ने कहा, “आपकी (एडवोकेट अशोक पांडे की) कोई भी जनहित याचिका 25,000 रुपए की लागत जमा किए बिना दायर नहीं की जा सकती। कोर्ट ने यह भी कहा कि साल 2016 के हाईकोर्ट के आदेश में अनिवार्य किया गया है।” न्यायालय ने याचिकाकर्ता शिशिरा को मंच के पास वकील के बहुत करीब खड़े होने के लिए फटकार भी लगाई।
दरअसल, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने साल 2016 में अपनी रजिस्ट्री को निर्देश दिया था कि प्रत्येक याचिका (एडवोकेट पांडे या हिंदू पर्सनल लॉ बोर्ड द्वारा दायर) को तभी दाखिल करने के लिए स्वीकार किया जाए जब उसके साथ 25,000 रुपए का डिमांड ड्राफ्ट हो। वहीं, वकील पांडे ने दलील दिया कि डीडी जमा किए बिना याचिका दाखिल करने का उनका अधिकार है।
इसी बीच न्यायालय का ध्यान रिपोर्टिंग के लिए कोर्ट में मौजूद लाइव लॉ के रिपोर्टर स्पर्श उपाध्याय की ओर गया। कोर्ट ने कहा, “यह रिपोर्टिंग आप बाहर जाकर करें।” इसके बाद रिपोर्टर कोर्ट रूम से बाहर चला गया। इसको लेकर लाइव लॉ का तर्क है कि रिपोर्टर कोई व्यवधान नहीं पैदा कर रहा था। वह केवल अपने मोबाइल फोन से लाइव लॉ के ट्विटर हैंडल पर कार्यवाही लाइव अपडेट पोस्ट कर रहा था।
कोर्ट ने जनहित याचिका दाखिल करने वाले विग्नेश शिशिरा को अपने वकील पांडे के साथ डायस के पास खड़े होने पर आपत्ति जताई। इस दौरान जस्टिस माथुर ने कहा, “ये जनहित याचिका याचिकाकर्ता आपके साथ क्यों खड़े हैं? ये क्या नाटकीय दृश्य कोर्ट में बन रहा है? आपको (याचिकाकर्ता विग्नेश) खुद बहस करनी है क्या? नहीं ना तो जाए पीछे जाकर बैठिए।”
जब एडवोकेट पांडे ने कोर्ट की आपत्ति के कारणों के बारे में पूछा तो जस्टिस माथुर ने कहा कि यह क्षेत्र वकीलों के उपयोग के लिए है। इसके बाद मामले को लंच के बाद के सत्र में उठाए जाने के लिए स्थगित कर दिया गया। बाद में कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई स्थगित कर दी और इसकी नियमित सुनवाई 1 जुलाई को करने को कहा।