उत्तर प्रदेश में 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंश के बाद देश की मुस्लिम महिलाओं ने अडंरवर्ड डॉन दाऊद इब्राहिम को चूड़ियाँ भेजीं थीं। यह खुलासा किसी और ने नहीं बल्कि मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर राकेश मारिया ने अपनी किताब ‘Let Me Say It Now’ (लेट मी से इट नाउ) में किया है। किताब में दावा किया गया है कि मुंबई की मुस्लिम महिलाओं ने दाऊद को चूड़ियाँ भेजीं थीं। ज्ञात हो कि हमारे देश में आज भी किसी पुरुष को चूड़ियाँ भेजना उसकी कायरता का प्रतीक मान कर उसे अपमानित करने के उद्देश्य से भेजा जाता है।
राकेश मारिया ने अपनी किताब में लिखा है कि आईएसआई (पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी ISI) भारत को अस्थिर करने के लिए भारतीय अल्पसंख्यकों के बीच अपने पैर जमाने की निरंतर कोशिश कर रहा था, हालाँकि तब तक उन्हें कोई ख़ास सफलता नहीं मिल पा रही थी। लेकिन 1991 में बाबरी मस्जिद विध्वंस और देशव्यापी दंगों के कारण, आईएसआई का काम आसान हो गया था। ISI अब मुंबई के डॉन को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर सकते थे।
मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर राकेश मारिया ने अपनी किताब में कहा है कि दाऊद ने बाबरी विध्वंस और दिसंबर में भड़के दंगों का बदला लेने के लिए आईएसआई के साथ मिलकर काम किया।
किताब के अनुसार, “अंडरवर्ल्ड की उड़ती हुई खबरों में तब यह बात चल रही थी कि दिसंबर, 1992 के दंगों के पहले चरण के बाद, मुंबई के कुछ पीड़ित मुस्लिमों ने दाऊद इब्राहिम को मदद के लिए एक संदेश भेजा था; लेकिन वह कुछ नहीं कर सका। बताया जाता है कि उस समय दाऊद इब्राहिम को उकसाने और बाबरी विध्वंश के बदले में कार्रवाई के लिए कुछ मुस्लिम महिलाओं ने उसकी मर्दानगी पर सवाल उठाते हुए, एक पुरुष को अपमानित करने का अंतिम पारम्परिक भारतीय तरीका भी अपनाया। अब चूड़ियाँ वास्तव में भेजी गई थीं या नहीं, या वह आईएसआई ने वह खुद ही भेजी थीं, दाऊद ने बाबरी मस्जिद और दिसंबर के दंगों के पतन का बदला लेने के लिए आईएसआई के साथ अपने बहुत लोगों को भेज दिया।”
“.. इसका उद्देश्य और कुछ नहीं बल्कि भारत के मुस्लिमों को भारत सरकार के खिलाफ उकसा कर देशभर में हिन्दू-मुस्लिम दंगे करवाना और हमले करवाना था। इस योजना का मुख्य हिस्सा 1993 में मराठा सम्राट छत्रपति शिवाजी की जयंती पर पूरे देशभर में हिन्दू-मुस्लिम दंगे भड़काना था। इसके लिए कुछ महत्वपूर्ण मेट्रो शहर जैसे- बेंगलुरु, मुंबई, दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई, सूरत, अहमदाबाद आदि शहर थे। दिसंबर 1992 और जनवरी 1993 के बीच, टाइगर मेमन के माध्यम से, दाऊद और अनीस इब्राहिम ने दुबई में आठ अन्य षड्यंत्रकारियों को बुलाया।इनमें मोहम्मद डोसा और टाइगर मेमन के दो भाई, याकूब मेमन और अयूब मेमन भी शामिल थे। दंगों के बाद दोनों भाई बुरी तरह से परेशान थे, गुस्से से भरे और बदला लेने के लिए बेताब थे। षड्यंत्रकारियों ने विस्तृत योजनाओं को चाक-चौबंद करने के लिए बैठकें कीं और कुछ पाकिस्तानियों ने भी इन बैठकों में सक्रिय रूप से भाग लिया।”
किताब में बताया गया है कि किस तरह से आईएसआई द्वारा मुंबई के डॉन से मिलकर देश में हथियारों, गोला-बारूद और धन के वितरण के लिए एक नेटवर्क तैयार किया गया। इसका सिर्फ एक मकसद था भारत की अखंडता और स्थिरता पर प्रहार। इसके लिए भारतीय मुस्लिमों की सांप्रदायिक भावनाओं का इस्तेमाल कर भारत को खत्म करने की योजना बनाई गई और समुदाय विशेष को आतंकवादी कृत्यों का सहारा लेने के लिए उकसाया गया।
राकेश मारिया ने ‘Let Me Say It Now’ नाम की लिखी अपनी एक किताब में एक नहीं बल्कि ऐसे कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। जिनमें मुंबई हमलों के गुनेहगार अजमल कसाब को ‘हिन्दू आतंकी’ साबित करने की साजिशों को लेकर भी कई खुलासे किए गए हैं। मारिया की किताब ने उन कई रहस्यों से भी परदा उठाया है, जो अभी तक सिर्फ एक राज बने हुए थे। किताब में राकेश मारिया ने लिखा है कि सुबह साढ़े चार बजे वो कसाब से कहते हैं कि वो अपना माथा ज़मीन से लगाए… और उसने ऐसा ही किया। इसके बाद जब कसाब खड़ा हुआ तो राकेश मारिया ने कहा, “भारत माता की जय बोल” कसाब ने फिर ऐसा ही किया। मारिया दोबारा भारत माता की जय बोलने के लिए कहते हैं और ऐसा ही करता है। तब के पुलिस कमिश्नर मारिया कसाब को शव-गृह भी ले गए थे, जहाँ उसे मुर्दों को देख कर उल्टी आ गई थी।