Tuesday, November 5, 2024
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गिरफ्तार हो सकते हैं मुनव्वर राना, वाल्मीकि पर घटिया कमेंट कर फँसे: राखी सांवत को करना पड़ा था पुलिसवालों को सरेंडर

"इंसान का कैरेक्टर बदलता रहता है। वाल्मीकि का जो इतिहास था, उसे तो हमें निकालना पड़ेगा न। हमें तो अफगानी अच्छे लगते हैं। वाल्मीकि को आप भगवान कह रहे हैं, लेकिन आपके मजहब में तो किसी को भी भगवान कह दिया जाता है।"

शायर मुनव्वर राना ने भगवान वाल्मीकि पर आपत्तिजनक टिप्पणी की है। अभिनेत्री राखी सावंत ने भी कभी इसी तरह की टिप्पणी की थी, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया था। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल 2017 में पंजाब पुलिस ने मुंबई जाकर राखी सावंत को गिरफ्तार किया था। उन्होंने ‘रामायण’ के रचयिता पर टिप्पणी कर के वाल्मीकि समाज की भावनाओं को आहत किया था। शिकायत में कहा गया था कि इससे बड़ी संख्या में लोगों की भावनाएँ आहत हुई हैं।

राखी सावंत ने महर्षि वाल्मीकि को ‘हत्यारा’ बता दिया था और कहा था कि इसके बावजूद उन्होंने रामायण लिखा। अभिनेत्री उस समय उदाहरण दे रही थीं कि कैसे लोगों का व्यवहार और परिस्थितियाँ बदल जाती हैं। 2014 में एक जन्मदिन की पार्टी में गायक मीका सिंह ने राखी सावंत को जबरन किस किया था। इसी क्रम में उन्होंने मीका सिंह की तुलना महर्षि वाल्मीकि से कर डाली। उन्होंने दावा किया था कि महर्षि वाल्मीकि की तरह मीका भी बदल गए हैं और निर्दोष हो गए हैं।

राखी सावंत ने बाद में इसका बचाव करते हुए कहा कि उन्होंने बचपन से ये कहानी पढ़ी है कि कैसे वाल्मीकि डाकू से संत बन गए। उन्होंने अपने बयान का बचाव करते हुए कहा था कि उन पर आरोप तय कर के किसी को कुछ नहीं मिलेगा। बाद में उन्होंने महर्षि वाल्मीकि और वाल्मीकि समुदाय के सम्मान की बात कही थी। लुधियाना के एक कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई थी। उन्होंने कहा था कि उन्हें क्यों निशाना बनाया जा रहा, ये नहीं पता।

हालाँकि, तब पंजाब पुलिस ने राखी सावंत की गिरफ़्तारी की बात से इनकार करते हुए कहा था कि उन्होंने खुद ही आत्मसमर्पण किया है। अब शायर मुनव्वर राना ने भी कुछ इसी तरह का बयान दिया है, जिससे उनकी गिरफ़्तारी हो सकती है। मुनव्वर राना ने ‘न्यूज़ नेशन’ पर पत्रकार दीपक चौरसिया से बात करते हुए कहा, “वाल्मीकि रामायण लिख देता है तो वो देवता हो जाता है, उससे पहले वो डाकू होता है।”

उन्होंने महर्षि वाल्मीकि की तुलना तालिबान से करते हुए कहा, “इंसान का कैरेक्टर बदलता रहता है। वाल्मीकि का जो इतिहास था, उसे तो हमें निकालना पड़ेगा न। हमें तो अफगानी अच्छे लगते हैं। वाल्मीकि को आप भगवान कह रहे हैं, लेकिन आपके मजहब में तो किसी को भी भगवान कह दिया जाता है। वो लेखक थे। उनका काम था रामायण निकला, जो उन्होंने किया।” हालाँकि, इस पर दीपक चौरसिया ने उन्हें टोका भी था।

आपने भी काफी बार ये सुना होगा कि महर्षि वाल्मीकि पहले रत्नाकर नाम के डाकू थे, जो तपस्या के बाद ऋषि बन गए। वाल्मीकि समुदाय का ऐसा नहीं मानना है। पंजाब में बड़ी संख्या में वाल्मीकि समुदाय के लोग रहते हैं। 2009 में ‘विदाई’ नाम के टीवी सीरियल में भी इसी तरह की बात कही गई थी। तब भी विरोध हुआ था। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में निर्माताओं को राहत नहीं दी। हाईकोर्ट ने भी कहा कि महर्षि वाल्मीकि के डकैत होने के कोई पुष्ट सबूत नहीं।

नौवीं शताब्दी तक के किसी भी वैदिक साहित्य में महर्षि वाल्मीकि के डाकू होने की बात नहीं लिखी है। ये बात खुद जज ने कही थी। इसी तरह अरशद वारसी की फिल्म ‘द लीजेंड ऑफ माइकल मिश्रा’ को भी पंजाब में प्रतिबंधित किया गया था, क्योंकि उसमें भी इसी कहानी को दोहराया गया था। महर्षि वाल्मीकि के ‘अपराधी’ होने की बात से वाल्मीकि समाज के लोग इत्तिफ़ाक़ नहीं रखते और वो इसे अपमानजनक बताते हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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