उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित ज्ञानवापी ढाँचे के मामले में स्थानीय कोर्ट के सामने हिन्दू पक्ष ने एक और याचिका लगाई है। इस याचिका में हिन्दू पक्ष ने माँग की है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को ज्ञानवापी ढाँचे के बाकी बचे हुए हिस्से के सर्वे का आदेश दिया जाए। इनमें वो तहखाने भी शामिल हैं, जिनका अभी तक सर्वे नहीं किया गया है।
जानकारी के अनुसार, हिन्दू पक्ष की तरफ से राखी सिंह नाम की याचिकाकर्ता ने वाराणसी के जिला न्यायालय के सामने यह याचिका लगाई है। उन्होंने यह याचिका अपने वकील सौरभ तिवारी के माध्यम से यह दायर की है। उन्होंने माँग की है कि ज्ञानवापी परिसर के भीतर स्थित बाकी बचे तहखानों का भी ASI द्वारा सर्वे करवाया जाए। ढाँचे के नीचे कुल 8 तहखाने हैं।
याचिका में राखी सिंह ने कहा है कि इनका सर्वे ASI पिछली बार नहीं की थी, क्योंकि इनके प्रवेश बंद किए हुए थे। इन तहखानों से मलबा हटाकर और इनकी रुकावटों को किनारे करके इनका सर्वे कराया जाए। बता दें कि पिछली बार सिर्फ दो ही तहखानों का ही सर्वे हुआ था, जिनमें कई हिंदू शिलालेख एवं मूर्तियाँ बरामद की गई थीं।
वाराणसी न्यायालय में लंबित शृंगार गौरी पूजन वाद 2022 में वादी नंबर 1 राखी सिंह ने कहा है कि यह सर्वे यह पता करने के लिए जरूरी है कि इस परिसर की धार्मिक स्थिति क्या है। याचिका में बताया गया है कि ज्ञानवापी में तहखाना संख्या N1 से लेकर N5 (उत्तरी तहखाने) और S1 से लेकर S3 (दक्षिणी तहखाने) का प्रवेश बिलकुल ही बंद है। इनके अंदर जाना संभव नहीं हो सका है।
राखी सिंह ने अपनी याचिका में आगे कहा है कि N2 तहखाने की पश्चिमी दीवाल से N1 को चार रास्ते हैं, लेकिन सभी बंद हैं। ऐसे में N1 की कोई जानकारी सामने नहीं आ सकी है। ऐसे में ASI को न्यायालय यह निर्देश दे कि वह बंद तहखानों का भी सर्वे करे। राखी सिंह उन पाँच महिलाओं में मुख्य याचिकाकर्ता हैं, जिन्होंने ज्ञानवापी में पूजा अर्चना और यहाँ सर्वे की माँग की थी।
दरअसल, न्यायालय में चली प्रक्रिया के बाद ASI ने ज्ञानवापी परिसर का सर्वे किया था। इसकी रिपोर्ट हाल ही में ASI ने सार्वजनिक की है। इसमें स्पष्ट रूप से बताया गया था कि जहाँ आज मस्जिद है वहाँ कभी एक विशाल हिन्दू मंदिर हुआ करता था।
गौरतलब है कि हाल ही में वाराणसी के जिला न्यायालय ने हिन्दू श्रद्धालुओं को ज्ञानवापी के भीतर व्यास जी के तहखाने में पूजा अर्चना की अनुमति दी थी। यहाँ पूजा अर्चना चालू भी करवा दी गई थी और साथ हिन्दू श्रद्धालुओं के लिए झरोखा दर्शन भी चालू कर दिया गया था।