अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद राम मंदिर के निर्माण के लिए केंद्र सरकार की ओर से गठित होने वाले ट्रस्ट में सीएम योगी आदित्यनाथ को शामिल करने की माँग उठी है। राम जन्मभूमि न्यास ने कहा है कि वह चाहते हैं राम मंदिर निर्माण की देख-रेख करने के लिए बनने वाले ट्रस्ट का नेतृत्व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ करें।
न्यास का कहना है कि वो योगी आदित्यनाथ, मुख्यमंत्री के तौर पर नहीं बल्कि गोरक्षा पीठ के महंत की हैसियत से राम मंदिर के ट्रस्ट में शामिल किए जाने की माँग करते हैं। न्यास के प्रमुख महंत नृत्य गोपाल दास ने कहा, “राम जन्मभूमि न्यास चाहता है कि योगी आदित्यनाथ ट्रस्ट का नेतृत्व करें। गोरखपुर में प्रतिष्ठित गोरखनाथ मंदिर, जो गोरक्षा पीठ से संबंधित है, ने राम मंदिर आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाई है। महंत दिग्विजय नाथ, महंत अवैद्यनाथ और अब योगी आदित्यनाथ मंदिर आंदोलन के अभिन्न अंग रहे हैं।”
उन्होंने यह भी कहा कि प्रस्तावित ट्रस्ट में न्यास की प्रमुख भूमिका होगी, लेकिन उन्होंने विवरण का विभाजन नहीं किया। ट्रस्ट के अन्य सदस्य विश्व हिंदू परिषद के उपाध्यक्ष चंपत राय और विहिप के कोषाध्यक्ष ओम प्रकाश सिंघल हो सकते हैं। बता दें कि 2015 में विहिप नेता अशोक सिंघल के निधन के बाद चम्पत राय विहिप और उसके फ्रंटल संगठनों की गतिविधियों की देखरेख कर रहे हैं।
महंत कमल नारायण दास ने कहा कि राम मंदिर निर्माण के लिए गठित किए जाने वाला ट्रस्ट महंत नृत्य गोपाल दास के निरीक्षण में होगा। रविवार को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल के साथ मीटिंग के दौरान महंत कमल नारायण ने न्यास का प्रतिनिधित्व किया था। इस मीटिंग में हिन्दू और मुस्लिम के कई नेता शामिल हुए थे।
इसके साथ ही दिगंबर अखाड़ा का कहना है कि उनके प्रमुख महंत सुरेश दास इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए बुधवार (नवंबर 13, 2019) को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात करेंगे। इस बीच, निर्मोही अखाड़े के महंत दीनेंद्र दास ने राम जन्मभूमि न्यास का विरोध करते हुए असहमतिपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा, “हम राम जन्मभूमि न्यास के खिलाफ लड़ रहे हैं। हम उनके ट्रस्ट के सदस्य बनने के लिए कैसे सहमत हो सकते हैं? वे अपने ट्रस्ट को छोड़कर हमारे साथ ट्रस्ट का हिस्सा बन सकते हैं। यह सरकार के लिए एक समाधान खोजने और एक साथ लाने के लिए है।”
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर को अयोध्या टाइटल सूट पर सर्वसम्मति से फैसला सुनाते हुए निर्मोही अखाड़ा को भगवान की सेवा करने और उसकी संपत्ति के प्रबंधन के अधिकार के दावे को खारिज कर दिया था। लेकिन बेंच ने विवादित स्थल पर निर्मोही अखाड़ा की ऐतिहासिक उपस्थिति और उनकी भूमिका पर ध्यान दिया और केंद्र को आदेश दिया कि वह राम मंदिर निर्माण के लिए बनाए जाने वाले ट्रस्ट में निर्मोदी अखाड़ा को उपयुक्त भूमिका सौंपे। ।