कोलकाता हाईकोर्ट ने सोमवार (3 अप्रैल 2023) को पश्चिम बंगाल सरकार से हावड़ा में रामनवमी की रैली के दौरान पथराव के बाद हिंसा और आगजनी जैसी घटनाओं को लेकर रिपोर्ट तलब की। कोर्ट ने हिंसा की घटनाओं को लेकर बंगाल पुलिस को भी फटकार लगाई। उन्होंने कहा कि वह क्यों इसे नियंत्रित नहीं कर पाई, जबकि उसकी अनुमति पर ही जुलूस निकला था। अदालत ने पाँच अप्रैल तक राज्य सरकार से सभी सीसीटीवी फुटेज और वीडियो जमा करने का निर्देश दिया।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, बंगाल में हिंसा की घटनाओं को लेकर विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने हाईकोर्ट में राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (एनआईए) से जाँच कराने की माँग वाली एक जनहित याचिका दायर की थी। आज इस पर सुनवाई करते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम और जस्टिस हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ ने पुलिस को सीसीटीवी फुटेज जमा करने का निर्देश दिया।
वहीं, एडवोकेट जनरल एसएन मुखर्जी राज्य सरकार का पक्ष रखने के लिए अदालत में पेश हुए। मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम ने मुखर्जी से पूछा “पुलिस ऐसी घटनाओं की पूर्व सूचना देने में विफल क्यों रही, जबकि पहले भी इस तरह के कई उदाहरण सामने आ चुके हैं? पुलिस का इतना लापरवाह रवैया कैसे हो सकता है? अब तक क्या कार्रवाई की गई है? क्या उन क्षेत्रों में धारा 144 लागू की गई है?” इस पर मुखर्जी ने तर्क दिया कि पुलिस ने शांतिपूर्ण जुलूस की अनुमति दी थी। शिवपुर में स्थिति नियंत्रण में है।
मालूम हो कि भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी ने ट्विटर पर शुक्रवार (31 मार्च 2023) को लिखा था, “मैंने कलकत्ता उच्च न्यायालय में (calcutta high court) में हावड़ा और नॉर्थ दिनाजपुर के डालखोला में रामनवमी के जुलूसों पर हिंसा और हमले की घटनाओं के संबंध में एक जनहित याचिका (PIL) दायर की है। मैंने कोर्ट से हालात पर काबू पाने और निर्दोष लोगों के प्राणों की रक्षा के लिए केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती और हिंसा के मामलों की एनआईए जाँच कराने की माँग की है।”
बता दें कि रामनवमी के दिन इस्लामपुर शहर के डालखोला इलाके में दो समुदायों के बीच झड़प हो गई थी। मुस्लिम बहुल इलाके में हुई झड़प में एक शख्स की मौत हो थी गई जबकि 5-6 पुलिसकर्मी जख्मी हो गए थे।