दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार (11 मार्च 2024) को वह याचिका रद्द कर दी, जिसमें ध्वस्त हुई एक मस्जिद में रमजान के महीने में नमाज़ पढ़ने की माँग की गई थी। इस मस्जिद का नाम अखूनजी मस्जिद है, जो लगभग 600 साल पुरानी बताई जाती है। इसे 30 जनवरी 2024 को दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) ने ध्वस्त कर दिया था।
दिल्ली के महरौली में अवैध रूप से बनाई गई इस मस्जिद के साथ एक मदरसे को भी DDA ने गिरा दिया था। इस मदरसे का नाम बाहरुल मदरसा था। इन्हें गिराने के बावजूद स्थानीय मुस्लिम इसमें नमाज आदि पढ़ने का हक लेने की कोशिश करते रहते हैं। इससे पहले शब-ए-बरात में इसी मस्जिद के लिए इसी तरह की एक याचिका ख़ारिज हो चुकी है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रमजान के महीने में गिराई गई अखूनजी मस्जिद वाली जगह पर नमाज की इजाजत माँगने वाली याचिका मुंतजामिया कमेटी मदरसा बहरूल उलूम और कब्रिस्तान नामक संगठन ने दायर किया था। इस केस में प्रतिवादी DDA (दिल्ली विकास प्राधिकरण) को बनाया गया था। मामले की सुनवाई जस्टिस सचिन दत्ता की अदालत में हुई।
याचिका में मस्जिद के 600 से 700 साल पुरानी होने की भी बात कहते हुए DDA पर इसे अवैध रूप से गिराने का आरोप लगाया गया था। साथ ही उस जगह को दिल्ली वक्फ बोर्ड से जुड़ा मामला बताया गया था। याचिकाकर्ता के वकील शम्स ख्वाजा ने उस जगह पर रमजान के महीने में नमाज़ की इजाजत माँगी थी, जहाँ अखूनजी मस्जिद बनी थी।
DDA की इस कार्रवाई के बाद 5 फरवरी 2024 को हाईकोर्ट ने यथास्थिति बरकरार रखने के आदेश दिए थे। DDA ने अपनी कार्रवाई को जायज करार दिया। 11 मार्च को अपने फैसले में अदालत ने बताया कि इससे पहले भी 23 फरवरी को उसी जगह पर शब ए बरात मनाने के माँग वाली की याचिका ख़ारिज हो चुकी है।
याचिकाकर्ता का कहना है कि वहां पर कई लोगों के परिजनों की कब्रे हैं इस वजह से लोगों को वहां पर नमाज अदा करने दी जाए। हालाँकि, दलीलों को सुनने के बाद अदालत ने आगे कहा कि नई याचिका में याचिकाकर्ता द्वारा की गई माँग को स्वीकार नहीं किया जा सकता है। अंत में कोर्ट ने याचिका ख़ारिज कर दी।
बताते चलें कि अखूनजी मस्जिद दिल्ली के महरौली इलाके में मौजूद थी। 30 जनवरी 2024 को हुई कार्रवाई में अखूनजी मस्जिद के साथ मदरसे और कई कब्रों को तोड़ दिया था। DDA ने इन्हें अवैध निर्माण बताया था।