सोशल मीडिया पर एक पोस्ट को लेकर चल रहे विवाद ने अब नया मोड़ ले लिया है। मंगलवार (जुलाई 17, 2019) को राँची की एक अदालत द्वारा ग्रैजुएशन की छात्रा ऋचा भारती को कुरान बाँटने की शर्त पर जमानत देने का मामला सामने आया था। लेकिन अदालत के इस फैसले के खिलाफ अब राँची जिला बार एसोसिएशन ने सर्वसम्मति से जज मनीष कुमार सिंह की कोर्ट का बहिष्कार करने का फैसला लिया है।
राँची जिला बार एसोसिएशन यह फैसला सुनाने वाले जज मनीष सिंह के कुरान बाँटने के निर्णय से नाराज है। बार एसोसिएशन ने कहा है कि वो किसी भी तरह की न्यायिक प्रक्रिया का तब तक बहिष्कार करेंगे जब तक मनीष कुमार का तबादला नहीं हो जाता है।
अदालत के निर्णय से नाराज बार एसोसिएशन के अधिवक्ताओं से ज्यूडिशियल कमिश्नर ने 48 घंटे का समय माँगा है। इसमें यह भी माँग की गई है कि यदि 48 घंटे बाद भी यह शर्त थोपने वाले जज मनीष सिंह का तबादला नहीं होता है तो वो अनिश्चितकालीन बहिष्कार करेंगे।
बहिष्कार कर रहे कुंदन प्रकाशन (महासचिव जिला बार एसोसिएशन) का कहना है कि अदालत की ऐसी बेतुकी शर्त से सामाजिक समरसता भंग हो रही है। यदि ऐसे आदमी को नेतागिरी करनी है तो उन्हें त्यागपत्र देकर राजनीति में जाना चाहिए। साथ ही बहिष्कार कर रहे वकीलों का कहना है कि उन्होंने अदालत द्वारा इस प्रकार का निर्णय कभी नहीं सुना है और यह निंदनीय है।
नाराज अधिवक्ताओं का कहना है कि कुरान बाँटने की शर्त लगाने वाले मनीष कुमार सिंह की अदालत से हम अधिवक्ताओं के साथ शुरू से ही इस प्रकार का दुर्व्यवहार किया गया है, जिसके बारे में हम पहले भी शिकायत कर चुके हैं। लेकिन शिकायतकर्ता अधिवक्ता से बदला लेने के लिए मनीष कुमार सिंह ने अपने कोर्ट का इस्तेमाल किया। महासचिव ने यह भी कहा कि जो निर्णय आज उन्होंने दिया है वह मौलिक अधिकारों के हनन का मामला है। कोई भी किसी भी धर्म को मानने और उसके प्रचार-प्रसार के लिए बाध्य नहीं कर सकता है।
बहिष्कार कर रहे वकीलों ने कहा –
“एक बच्ची ने फॉरवर्ड किए गए सन्देश में सिर्फ यह कहा है कि हम पर भी कई इल्जाम लगते हैं लेकिन हम आतंकवादी नहीं बनते हैं। यह तो संज्ञान लेने लायक बात भी नहीं थी। हमें बच्ची को अरेस्ट करने वाले लोगों पर आश्चर्य हो रहा है। अंजुमन इस्लामिया के लोगों को एक बच्ची पर, जिसे धर्म की ठीक से समझ तक नहीं है, इस प्रकार का आरोप लगाने से पहले सोचना चाहिए था। आपने नोटिस देने तक का काम नहीं किया है। हमें कल्पना करनी चाहिए कि उस बच्ची के दिमाग में इस समय क्या चल रहा होगा? अदालत के निर्णय को समाज किस तरह से देख रहा है हमें देखना चाहिए। एक अधिवक्ता काला कोट पहनने के बाद हिन्दू और मुस्लिम नहीं होता है। इस फैसले को लेकर हिन्दू ही नहीं बल्कि कई मुस्लिम अधिवक्ताओं तक ने कुरान बाँटने के इस फैसले पर आश्चर्य व्यक्त किया है और कहा कि इस प्रकार की शर्त कोई न्यायालय कैसे रख सकता है?
जमानत के लिए बाँटनी होगी कुरान
दरअसल, न्यायधीश मनीष सिंह की अदालत ने ऋचा भारती को कुरान बाँटने की शर्त पर जमानत दी है। ऋचा पर आरोप है कि उन्होंने फेसबुक पर सांप्रदायिक (लेकिन आपत्तिजनक) पोस्ट किया था। इस संबंध में अंजुमन कमिटी ने पोस्ट को आपत्तिजनक और धार्मिक भावना को आहत करने वाला बताते हुए उनके खिलाफ FIR दर्ज कराया था।
इसके बाद सशर्त जमानत देते हुए कोर्ट ने निर्देश दिया कि ऋचा को विभिन्न संस्थाओं को कुरान की 5 प्रतियाँ बाँटनी होंगी। न्यायिक मैजिस्ट्रेट मनीष सिंह ने ऋचा को निर्देश दिया कि वह कुरान की एक कॉपी अंजुमन कमिटी और 4 अन्य कापियाँ विभिन्न स्कूलों और कॉलेजों को बाँटेंगी। साथ ही उसकी रशीद लेनी होगी। कोर्ट ने इसके लिए ऋचा को 15 दिनों का समय दिया है।