उत्तर प्रदेश में ‘शिया सेन्ट्रल वक़्फ़ बोर्ड’ के पूर्व अध्यक्ष और वर्तमान सदस्य सैयद वसीम रिजवी के खिलाफ रेप का मुकदमा दर्ज होगा। लखनऊ जिला कोर्ट ने पुलिस को इस सम्बन्ध में आदेश जारी किया है। 30 जून, 2021 को इस मामले में कोर्ट के पास शिकायत-पत्र आया था, जिसे स्वीकार कर लिया गया है। थाना सआदतगंज को आदेश दिया गया है कि वो 3 दिनों के भीतर इस मामले की जाँच कर रिपोर्ट सौंपे।
हालाँकि, वसीम रिजवी का कहना है कि उनके प्रतिद्वंद्वियों से साँठगाँठ कर के उन पर ये आरोप लगाया गया है। रिजवी पर रेप का आरोप लगाने वाली उनके पूर्व ड्राइवर की बीवी है। पीड़िता का कहना है कि उनके ड्राइवर पति को बहाने से बाहर भेज कर रिजवी उसका यौन शोषण करते थे। साथ ही ये आरोप भी लगाया गया है कि विरोध करने पर वह उनकी अश्लील तस्वीरें और वीडियो वायरल करने की धमकी देते थे।
महिला का कहना है कि जब उससे ये सब सहन नहीं हुआ तो उसने अपने पति को सारी बातें बता दीं। आरोप है कि जब उक्त ड्राइवर ने इस सम्बन्ध में वसीम रिजवी से बात करने की कोशिश की तो उसके साथ मारपीट की गई। सआदतगंज के थाना प्रभारी बृजेश कुमार यादव ने बताया कि कोर्ट के आदेश की जानकारी मिल गई है। पुलिस को इसकी प्रति का इंतजार है। इसके बाद आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
ऑपइंडिया को रिजवी ने बताया, "ड्राइवर को मैंने काम से निकाल दिया तो वह किसी और जगह काम करने लगा। इसके 10 दिन बाद उसकी बीवी ने शिकायत की। पुलिस ने जाँच की लेकिन कुछ मिला नहीं तो एफआईआर दर्ज नहीं की गई। इसके बाद वह कोर्ट पहुँच गई। कुरान की भड़काऊ आयतें हटाने के लिए याचिका दाखिल करने के बाद से मुझे बदनाम करने की कोशिश की जा रही है।"
उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के सदस्य और पूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी की मुश्किलें बढ़ती नज़र आ रही हैं. जानिए क्या है पूरा मामला #WasimRizvi | #LucknowCourthttps://t.co/P0Mx29v0RI
— TV9 Bharatvarsh (@TV9Bharatvarsh) July 14, 2021
रिजवी ने बताया कि उनका ड्राइवर सलमान हैदर उनके बारे में जानकारी लीक करता था। उनके विरोधियों को उनकी गतिविधियों के बारे में बताता था। इसके बाद उसे नौकरी से निकाल उन्होंने वह घर भी खाली करवा लिया जो उसे रहने के लिए दिया था। उन्होंने ड्राइवर की बीवी के आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए कहा कि उनकी छवि धूमिल करने के लिए ये सब किया जा रहा है।
बता दें कि वसीम रिजवी ने पिछले दिनों कुरान की 26 आयतें हटाने की माँग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। उनका कहना था कि ये आयतें हिंसा को बढ़ावा देती हैं। हालाँकि, उनकी याचिका रद्द करते हुए कोर्ट ने उन पर 50,000 रुपए का जुर्माना लगाया था। लखनऊ में उन पर हमला और पत्थरबाजी भी हुई थी।