प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के भांजे रतुल पुरी और उनकी कंपनी मोजरबियर के ख़िलाफ़ कथित मनी लॉन्ड्रिंग और बैंक धोखाधड़ी मामले में आरोप पत्र दायर किया। जानकारी के अनुसार, गुरुवार (17 अक्टूबर, 2019) को दायर की गई ED की चार्जशीट में कहा गया है कि पुरी और उनकी कंपनी ने 8,000 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी की है।
ख़बर के अनुसार, ED की चार्जशीट में उल्लेख किया गया है कि पुरी, जो मध्य प्रदेश के सीएम कमलनाथ के भांजे हैं, और उनके सहयोगियों ने लगभग 30 बैंकों और वित्तीय संस्थानों से व्यवसाय के लिए लगभग 8000 करोड़ रुपए की धनराशि का दुरुपयोग किया।
आपको बता दें कि ED द्वारा उल्लिखित राशि उनके पिछले अनुमानों से अधिक है। मोजरबियर की कुल देनदारियों को 7979 करोड़ रुपए बताया गया है।
विशेष न्यायाधीश संजय गर्ग ने कथित तौर पर चार्जशीट को संज्ञान में लिया और दस्तावेज़ों की जाँच के लिए 25 नवंबर की तारीख़ तय की है। ED ने पुरी को 20 अगस्त को गिरफ़्तार किया था। इसके बाद उन्हें 17 अक्टूबर तक अदालत ने न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। ED के अलावा CBI और आयकर विभाग भी पुरी और उनकी कंपनी मोजरबियर की जाँच कर रहे हैं।
इसके अलावा रतुल पुरी पर अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी चॉपर घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग का भी आरोप है। इस मामले में उसकी अग्रिम ज़मानत पहले ही ख़ारिज कर दी गई थी। ED ने यह भी आरोप लगाया है कि वीवीआईपी चॉपर घोटाले में गवाह की हत्या के लिए रतुल पुरी ज़िम्मेदार हैं।
रतुल पुरी, उनके पिता दीपक पुरी और उनकी माँ नीता पुरी (कमलनाथ की बहन) को सेंट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया द्वारा दर्ज किए गए बैंक धोखाधड़ी के मामले में ED द्वारा धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) मामले में आरोपी के तौर पर दर्ज किया गया था। पुरी के ख़िलाफ़ ED का मामला 17 अगस्त की CBI की FIR पर आधारित था।
पुरी परिवार के अलावा, अन्य व्यक्तियों, संजय जैन और विनीत शर्मा को भी CBI ने कथित आपराधिक षड्यंत्र, धोखाधड़ी, जालसाज़ी और भ्रष्टाचार के लिए जाली और मनगढ़ंत दस्तावेज़ों का इस्तेमाल करने के लिए मामला दर्ज किया था। इन जाली दस्तावेज़ों का उद्देश्य मोजरबियर कंपनी के लिए बैंकों से फंड प्राप्त करना था।