Sunday, November 17, 2024
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रियासी आतंकी हमला: लोकल पशु व्यापारी हाकम दीन ने आतंकियों को दिया खाना और रहने की जगह, देश से गद्दारी की कीमत सिर्फ ₹5000

आतंकियों ने हाकम दीन का आधार कार्ड भी ले लिया। इस मामले में सुरक्षाकर्मियों का मानना है कि आतंकी सीमा पार करके आए थे और अभी भी जंगलों में छिपे हुए हैं।

जम्मू-कश्मीर के रियासी में हिंदू तीर्थयात्रियों की बस पर 9 जून 2024 को आतंकवादियों ने हमला किया था, जिसमें नौ तीर्थयात्री मारे गए और कई अन्य घायल हो गए। इस हमले की जाँच के दौरान खुलासा हुआ है कि स्थानीय पशु व्यापारी हाकम दीन (45) ने आतंकियों की मदद की थी। हाकम दीन ने महज 5000 रुपए में अपने जमीर को गिरवी रखते हुए देश के साथ गद्दारी की थी और आतंकवादियों को न सिर्फ रसद बल्कि सिर छिपाने की जगह भी मुहैया कराई थी।

अब जाँच एजेंसियों ने रियासी हमले में शामिल रहे 2 और आतंकवादियों के स्केच तैयार किए हैं, जो हाकम दीन से पूछताछ कर तैयार किए गए हैं। अब इस मामले की जाँच जम्मू-कश्मीर पुलिस की जगह एनआईए को सौंप दी गई है। हाकम दीन राजौरी जिले का रहने वाला है। उसे पुलिस ने 20 जून को गिरफ्तार किया था।

बताया जाता है कि वह माता वैष्णो देवी मंदिर में कुली का काम करता था, लेकिन तीन साल पहले उसने नौकरी छोड़ दी और पशु व्यापारी बन गया। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मोहिता शर्मा ने एनआईए को जांच सौंपे जाने से पहले हाकम को “आतंकियों का मुख्य सहयोगी” माना था। गिरफ्तारी के बाद हाकम दीन से कई एजेंसियों ने पूछताछ की।

इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्र के हवाले से बताया, “पहली बार 1 जून को शाम 5.30 बजे आतंकवादी उसके घर आए थे और उन्होंने तीन लोगों के लिए खाना बनाने के लिए कहा था। इसमें से एक नाम नाम ‘मंजूर भाई’ कहा था और अपने साथियों के लिए जंगल में खाना लेकर गया था। एनआईए की पूछताछ में हाकम दीन ने खुलासा किया था कि इस हमले के पीछे लश्कर के आतंकवादी थे। सूत्र ने बताया, “7 जून को तीनों आतंकवादी उसके घर फिर से आए और पौनी नाम की जगह की रेकी के लिए कहा। यहीं पर आतंकियों ने बस पर हमला किया था। इस दौरान तीनों आतंकवादी साढ़े तीन घंटे उसके घर रहे। उन्होंने हाकम से बसों के आने जाने की जानकारी पूछी और हमले की जगह भी चिन्हित की।”

आतंकवादी तीसरी बार 8 जून को उसके घर चाय पीने आए और हमले के बारे में चर्चा दी। सूत्र ने बताया, “वे खाना लेकर चले गए। 9 जून को वे अपने चिह्नित स्थानों पर वापस आए और तीर्थयात्रियों को ले जाने वाली एक खास बस का इंतजार करने लगे। उन्होंने सबसे पहले ड्राइवर को निशाना बनाया और बस खाईं में गिर गई, इसके बाद भी आतंकवादी बस पर गोलीबारी करते रहे।”

हमले के बाद आतंकियों ने हाकम को 5,000 रुपए दिए और भागने में उसकी मदद माँगी। आतंकियों ने हाकम दीन का आधार कार्ड भी ले लिया। इस मामले में सुरक्षाकर्मियों का मानना है कि आतंकी सीमा पार करके आए थे और अभी भी जंगलों में छिपे हुए हैं। दोनों आतंकियों का स्केच तैयार कर लिया गया है और आतंकियों की तलाश जारी है।

रियासी में हिंदू तीर्थयात्रियों की बस पर आतंकवादी हमला

गौरतलब है कि 9 जून को शिव खोरी मंदिर से कटरा में माता वैष्णो देवी मंदिर जा रही 53 सीटों वाली बस पर आतंकवादियों द्वारा की गई गोलीबारी में नौ लोग मारे गए और 41 घायल हो गए। इस गोलीबारी के कारण बस रियासी में सड़क से उतरकर गहरी खाई में गिर गई। रियासी हमले के बाद घाटी में दो और आतंकी हमले हुए, कठुआ आतंकी हमला और डोडा आतंकी हमला। 13 जून को जम्मू-कश्मीर के रियासी के कांडा इलाके में तीर्थयात्रियों की बस पर हुए आतंकवादी हमले के सिलसिले में 50 से ज़्यादा लोगों को हिरासत में लिया गया। एसएसपी ने यह भी बताया कि ज़्यादा सबूत जुटाने और छिपे हुए आतंकवादियों को पकड़ने के लिए अरनास और माहौर तक तलाशी अभियान को बढ़ा दिया गया है।

उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेश पर 15 जून को रियासी आतंकी हमला मामले की जाँच अपने हाथ में ले ली थी। 9 जुलाई को यह खबर आई कि एनआईए ने पाया है कि पाकिस्तान स्थित प्रतिबंधित आतंकवादी समूह लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के आका इस हमले में शामिल थे। एनआईए ने हकीम दीन से पूछताछ की, जिसने हमले में लश्कर का हाथ होने का खुलासा किया।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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