सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि सक्षम अधिकारियों के आदेश को मद्देनजर रखते हुए अर्नब गोस्वामी के मामले को तत्काल सूचिबद्ध किया गया था। साथ ही यह मीडिया की स्वतंत्रता से जुड़ा हुआ मामला था। सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी उस वकील की याचिका को खारिज करते समय की, जिसने आरोप लगाया गया था कि कुछ प्रभावशाली वकील और याचिकाकर्ता को रजिस्ट्री वरीयता देती है और उनका मामला प्राथमिकता के आधार पर लिस्टेड किया जाता है।
Arnab Goswami Case Was Listed Urgently As It Pertained To Liberty And Freedom Of Media, Says SC https://t.co/lvB5Qh0J0B
— Live Law (@LiveLawIndia) July 7, 2020
इस मामले को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता वकील पर 100 रुपए का जुर्माना भी लगाया था। अपनी याचिका में वकील रीपक कंसल ने 23 अप्रैल को दायर की गई अर्नब गोस्वामी बनाम यूओआई की ओर इशारा करते हुए कहा था कि यह याचिका बिना किसी अनुबंध के दायर की गई थी मगर उसमें कोई कमी नहीं निकाली गई और एक विशेष सूची उसी दिन अपलोड कर दी गई।
वकील ने आगे कहा, “इस संबंध में जनरल सेक्रेटरी से शिकायत की, लेकिन इस मामले में उसी दिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।” इस मामले पर मामले पर 19 जून को सुप्रीम कोर्ट ने रीपक कंसल द्वारा लगाए गए आरोपों पर गंभीर आपत्ति जताई थी। जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर और जस्टिस एम आर शाह की पीठ ने अर्नब गोस्वामी के मामले को ‘अधिमान्य प्राथमिकता’ का एक उदाहरण बताने पर याचिकाकर्ता पर नाराजगी व्यक्त की थी।
पीठ ने कहा था, कि “आप वन नेशन वन राशन कार्ड पर अपनी याचिका की तुलना अर्नब गोस्वामी से कैसे कर सकते हैं? क्या आग्रह था? आप क्यों बकवास बातें कह रहे हैं?”
पीठ ने कहा था, “रजिस्ट्री के सभी सदस्य दिन-रात आपके जीवन को आसान बनाने के लिए काम करते हैं। आप उन्हें हतोत्साहित कर रहे हैं। आप इस तरह की बातें कैसे कह सकते हैं?”
न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा ने जोर देकर कहा था कि “रजिस्ट्री हमारे अधीनस्थ नहीं है। वे बहुत हद तक सुप्रीम कोर्ट का हिस्सा हैं।” याचिकाकर्ता पर “गैरजिम्मेदाराना” आरोपों की बात कहने के बाद पीठ ने मामले में आदेश सुरक्षित रख लिया था।
आपको बता दें कि कॉन्ग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी के खिलाफ कथित तौर पर अपमानजनक टिप्पणी करने और साम्प्रदायिकता फैलाने के आरोप में रिपब्लिक टीवी के संपादक अर्नब गोस्वामी के खिलाफ सौ से अधिक FIR राजस्थान, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, तेलंगाना और जम्मू कश्मीर में दर्ज कराई गई थीं।
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने अर्नब गोस्वामी की गिरफ़्तारी पर 3 सप्ताह के लिए रोक लगा दी थी और कहा था कि वे अग्रिम जमानत भी माँग सकते हैं।
गौरतलब है कि 22-23 अप्रैल की रात एडिट कॉल निपटा कर लौटते हुए अर्नब गोस्वामी और उनकी पत्नी पर कॉन्ग्रेस के दो मोटरसाइकिल सवार गुंडों ने हमला किया था। रिपब्लिक टीवी एंकर अर्नब गोस्वामी ने खुद इस हमले की जानकारी देते हुए बताया कि उनकी कार के आगे अपनी मोटरसाइकिल खड़ी कर दी और फिर हमला किया।