नाबालिग से रेप के एक मामले में अहम फैसला सुनाते हुए मेघालय हाई कोर्ट ने कहा है कि पीड़िता की योनि, उसके मूत्रमार्ग या फिर उसकी अंडरवियर पर ही क्यों न पुरुष के अंग को स्पर्श करा जाए वो बलात्कार ही माना जाएगा। ये अपराध आईपीसी की धारा 375 (बी) के तहत रेप है।
10 साल की पीड़िता के साथ रेप के मामले की सुनवाई मेघालय हाई कोर्ट के मुख्य जस्टिस संजीब बनर्जी और जस्टिस डब्ल्यू डिएंगदोह की खंडपीठ ने की। सोमवार (14 मार्च 2022) को हाई कोर्ट ने 23 सितंबर 2006 यानि कि 16 साल पुराने रेप के मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि अगर यह मान भी लिया जाय कि आरोपित ने चड्डी पहने हुए पर ही पीड़िता की योनि या फिर उसके मूत्रमार्ग में जबरन अपने लिंग प्रवेश कराने की कोशिश की तो भी यह 375 (बी) के तहत रेप ही होगा।
कोर्ट ने कहा, “23 सितंबर 2006 की घटना के मामले मामले 30 सितंबर 2006 को शिकायत दर्ज कराई गई थी। जब एक सप्ताह के बाद 1 अक्टूबर 2006 को उसका मेडिकल टेस्ट किया गया तो उसकी योनि कोमल औऱ लाल पाई गई थी और उसका हाइमन (कौमार्य झिल्ली) टूट गया था। लड़की की जाँच करने वाले डॉक्टर का भी कहना था कि लड़की के साथ बलात्कार हुआ है और उसको मानसिक आघात लगा है। पीड़िता ने भी कहा था कि आरोपित ने उसकी चड्डी को नीचे खींचा था।”
निचली अदालत के फैसले को रखा बरकरार
मेघालय हाई कोर्ट ने 31 अक्टूबर 2018 को सुनाए गए निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा है, जिसमें निचली अदालत ने आरोपित को दोषी ठहराते हुए 10 साल की सजा और 25,000 रुपए का जुर्माना लगाया था। यहीं नहीं जुर्माना नहीं भरने पर 6 महीने की अतिरिक्त सजा का फैसला सुनाया था।
लेकिन बाद में निचली अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए रेप के दोषी ने हाई कोर्ट में अपील दायर कर कहा कि अगर पीड़िता के चड्डी को नहीं हटाया गया तो रैप कैसे हो सकता है।