2021 की 25 फरवरी को एक विस्फोटक लदी कार उद्योगपति मुकेश अंबानी के मुंबई स्थित घर एंटीलिया के बाहर मिली। पता चला कि यह कार मनसुख हिरेन के नाम है, जिसका शव 5 मार्च को मुंब्रा की खाड़ी से बरामद किया गया। अब इस मामले में राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) ने चार्जशीट दाखिल कर दी है। इससे पता चलता है कि मुंबई पुलिस के बर्खास्त सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वाजे ने क्यों और कैसे पूरी प्लानिंग रची थी।
चार्जशीट में जो लोग आरोपी बनाए गए हैं उनमें वाजे के अलावा एनकाउंटर स्पेशलिस्ट रहे प्रदीप शर्मा का भी नाम है। शर्मा मुंबई पुलिस का चर्चित अफसर रहा है। वाजे उसे अपना ‘गुरु’ मानता है। अपने 36 साल के करियर में शर्मा ने करीब 312 एनकाउंटर किए। उसने शिवसेना के टिकट पर पिछला विधानसभा चुनाव पालघर की नालासोपारा सीट से लड़ा था।
चार्जशीट के अनुसार वाजे को जब लगा कि हिरेन से पूछताछ में उसका सच सामने आ सकता है तो उसने शर्मा से संपर्क किया। उसे पैसे दिए। शर्मा ने यह पैसा संतोष आत्माराम शेलार को दिया। शेलार को हिरेन की हत्या की जिम्मेदारी दी गई थी। अन्य आरोपितों में नरेश रमणीकलाल गोर, विनायक बालासाहेब शिंदे, रियाज़ुद्दीन हिसामुद्दीन काज़ी, सुनील धर्म माने, आनंद पांडुरंग जाधव, सतीश तिरुपति मोथकुरी और मनीष वसंतभाई सोनी शामिल है।
चार्जशीट के मुताबिक 16 साल बाद वाजे की मुंबई पुलिस में दोबारा बहाली हुई तो उसने ‘सुपर कॉप’ के तौर पर अपनी पुरानी प्रतिष्ठा हासिल करने के लिए पूरी साजिश रची। इसके लिए उसने उगाही से इकट्ठा रकम का इस्तेमाल किया। जब उसे एहसास हुआ कि हिरेन की वजह से उसकी पूरी साजिश सामने आ सकती है तो उसकी हत्या करवा दी। एनआईए ने चार्जशीट में 20 संरक्षित गवाहों सहित 178 गवाहों के बयानों का हवाला दिया है।
रिपोर्ट के अनुसार हिरेन की हत्या महज 11 मिनट के भीतर अंजाम दी गई थी। सुनील माने ने 4 मार्च को क्राइम ब्रॉन्च इंस्पेक्टर तावड़े बनकर हिरेन को कॉल किया और ठाणे के घोड़बंदर रोड स्थित सूरज वॉटर पार्क के पास मिलने के लिए बुलाया। यहाँ से माने उसे सफेद रंग की कार में लेकर सुरेखा होटल पहुँचा। फिर उसे लाल रंग की टवेरा में बिठाकर उसका मोबाइल फोन ले लिया गया। टवेरा कार में हिरेन को ड्राइवर के पीछे वाली सीट पर योजना के तहत बीच में बैठाया गया। हिरेन के बैठते ही उसके एक तरफ संतोष शेलार और दूसरी ओर आनंद जाधव बैठ गया। इस सीट के पीछे पहले से ही सतीश बैठा हुआ था।
सतीश ने पीछे से हिरेन का सिर पूरी ताकत से जकड़ लिया और रूमाल से उसका मुँह और नाक दबा दिया। जब हिरेन ने बचाव में विरोध शुरू किया तो शेलार और जाधव ने उसके हाथ पकड़ लिए। हत्या के बाद उसका शव खाड़ी में फेंक दिया।
यह बात भी सामने आई है कि वाजे ने 2 मार्च को हिरेन को पुलिस हेडक्वार्टर में बुलाया था। तब प्रदीप शर्मा और संदीप माने भी मौजूद थे। ऐसा इसलिए किया गया ताकि शर्मा और माने भी हिरेन को पहचान लें। जिस दिन हिरेन की हत्या की गई उस दिन वाजे ने एक बार पर छापा मारा ताकि किसी को उस पर शक न हो। एंटीलिया के बाहर गाड़ी पार्क करने के बाद उसने अपने कपड़े जला दिए थे। अपना मोबाइल फोन भी नष्ट कर दिया था।
गौरतलब है कि इस मामले ने पूरी मुंबई पुलिस को ही कठघरे में खड़ा कर दिया। पुलिस कमिश्नर पद से हटाए जाने के बाद परमबीर सिंह ने दावा किया था कि अनिल देशमुख ने गृह मंत्री रहते वाजे को वसूली का टारगेट दे रखा था। इसके बाद देशमुख को भी पद से इस्तीफा देना पड़ा था।