सालंगपुर में हनुमान जी की मूर्ति के नीचे स्थापित कुछ भित्तिचित्रों पर महावीर बजरंगबली को सहजानंद स्वामी के सेवक के रूप में चित्रित किए जाने से हंगामा मचा हुआ है। वहीं महादेव के अपमान की बात भी सामने आई है। स्वामी नारायण संप्रदाय के इस तरह के व्यवहार से न सिर्फ संत समाज बल्कि कई धार्मिक-सामाजिक संगठन भी आहत हैं। इस मामले में सीहोर थाने में एक आवेदन देकर स्वामीनारायण संप्रदाय के खिलाफ कार्रवाई की माँग की गई है। वहीं एक आहत हिन्दू व्यक्ति ने भित्तिचित्रों पर काला पेंट पोतकर एवं छड़ी से हमला कर विरोध जताया है।
देश गुजरात पोर्टल ने एक वीडियो जारी किया है जिसमें सालंगपुर में स्वामीनारायण संप्रदाय की वडताल स्थित मंदिर में एक आक्रोशित हिंदू व्यक्ति ने विवादास्पद भित्ति चित्रों पर काला रंग पेंट कर दिया है और साथ ही वह वीडियो में उन पर छड़ी से हमला करते हुए भी दिख रहा है। हालाँकि रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस ने उसे पकड़ लिया है।
Distortion of Hanuman Ji by Vadtal branch of Swaminarayan sect in Salangpur: An agitated Hindu man applies black paint over controversial murals, and attacks them with a stick. Police have nabbed him. https://t.co/MbJYpVR8sM pic.twitter.com/iIVcTlskEY
— DeshGujarat (@DeshGujarat) September 2, 2023
हनुमान जी और महादेव के अपमान के लिए सोशल मीडिया पर विरोध के साथ मोरारी बापू, हर्षद भारती, महंत मणिधर बापू, जूनागढ़ गोरखनाथ आश्रम के शेरनाथ बापू, महंत दिलीपदास जी महाराज, महंत इंद्रभारती बापू, महेंद्रानंद गिरि महाराज समेत कई संतों ने भी आक्रोश व्यक्त किया है। इसके अलावा ब्रह्म समाज ने भी सालंगपुर में आंदोलन की चेतावनी दी है। वहीं इस मामले में वीएचपी के महामंत्री का भी बड़ा बयान सामने आया है।
तस्वीरें वायरल होने के बाद सामने आया मामला
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सालंगपुर में बनी हनुमानजी की विशाल प्रतिमा के नीचे स्थापित भित्तिचित्र में भगवान हनुमानजी महाराज को सहजानंद स्वामी उर्फ नीलकंठवर्णी (सहजानंद स्वामी का बाल रूप) के सेवक के रूप में दर्शाया गया है। सोशल मीडिया पर इसकी तस्वीरें वायरल होने के बाद यह विवाद और बढ़ गया है।
इस मामले को लेकर जब सनातन धर्म सेवा समिति के सदस्य नीलकंठ भगत और मंदिर के अन्य संतों से मिलने पहुँचे तो उन्होंने हनुमानजी और भगवान शिव को लेकर विवादित टिप्पणी की। रिपोर्ट के अनुसार कहा जा रहा है कि स्वामी नारायण संप्रदाय के संतों से जब सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, “महादेव और महाबली हनुमान जी भगवान सहजानंद स्वामी की सेवा में 24 घंटे मौजूद रहते थे।” यहीं से सालंगपुर मंदिर विवाद और भी बढ़ गया। इसके बाद संगठन के लोगों के द्वारा हनुमानजी को सहजानंद स्वामी के सेवक के रूप में दिखाने के लिए और महादेव को सेवक सेवक बताने के मामले में संगठन और सनातन धर्म को मानने वालों की भावनाएँ आहत हुई हैं। जिसको लेकर स्वामी नारायण संप्रदाय के खिलाफ कार्रवाई की माँग की गई।
बता दें कि संगठन ने अपनी शिकायत में यह भी कहा है कि जिस तरह से हनुमानजी महाराज का अपमान किया गया है और सहजानंद के दास के रूप में दिखाया गया है वह सही नहीं है। शास्त्रों, पुराणों या उपनिषदों में ऐसा कोई प्रमाण नहीं है। हनुमानजी के इस तरह के चित्रण से सनातन धर्म में विश्वास रखने वाले लोगों की भावनाएँ आहत हुई हैं। इसके साथ ही संगठन ने जिम्मेदार लोगों, संतों और हाल ही में बयान देने वाले स्वामी नारायण संप्रदाय के संतों और उनके सहयोगियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कर कानूनी कार्रवाई की माँग की है।
क्या है विवाद की बड़ी वजह
कुछ समय पहले सालंगपुर मंदिर में स्थित हनुमानजी की विशाल प्रतिमा के नीचे लगे कुछ भित्तिचित्रों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुई थीं। वायरल हुई तस्वीर में भगवान हनुमान को सहजानंद स्वामी के सामने हाथ जोड़े नमस्कार मुद्रा में खड़े हैं। इसके अलावा एक अन्य भित्तिचित्र में नीलकंठवर्णी (सहजानंद स्वामी के बचपन का नाम) को एक आसन पर बैठे हुए दिखाया गया है, जबकि हनुमानजी को हाथ जोड़कर नमस्कार मुद्रा में बैठे दिखाया गया है।
ज्ञात हो कि सनातन आस्था में हनुमानजी का महत्वपूर्ण स्थान है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हनुमानजी को 7 चिरंजीवियों में भी शामिल किया गया है। हनुमानजी को भगवान शंकर का अवतार भी माना जाता है। साथ ही वह भगवान राम के अनन्य भक्त भी हैं। दूसरी ओर, सहजानंद स्वामी का जन्म 1781 में और मृत्यु 1830 में हुई थी। स्वामीनारायण संप्रदाय की स्थापना सहजानंद स्वामी ने ही की थी, जिन्हें स्वामीनारायण भगवान के नाम से भी जाना जाता है। हालाँकि, कुछ वर्षों के बाद संप्रदाय में दरार आ गई और BAPS, वडताल, सोनखड़ा जैसे संगठन अस्तित्व में आए। फिलहाल जो विवाद में है वह वडताल स्थित संस्था है।
सालंगपुर मंदिर विवाद पर विरोध में संत समाज
हनुमानजी को सहजानंद स्वामी के सेवक के रूप में दिखाने को लेकर प्रसिद्ध कथावाचक मोरारी बापू ने कहा, ”दुनिया में खुद को सर्वश्रेष्ठ साबित करने के लिए कई तरह के फर्जीवाड़े चल रहे हैं। हमारे सौराष्ट्र में हनुमानजी की एक विशाल सुंदर मूर्ति बनाई गई है, जिसके नीचे हनुमानजी को झुककर एक महापुरुष की सेवा करते हुए दिखाया गया है। ये सब घटिया हरकत है, धोखेबाज हैं। समाज को जागने की जरूरत है।”
दूसरी ओर, हर्षद भारती बापू ने भी हनुमानजी के अपमान पर एक वीडियो के जरिए अपना गुस्सा जाहिर किया है। उन्होंने कहा, ”इन लोगों ने हद कर दी है। पहले किताबें ही काफी होती थीं, किताबों में भगवान के चित्र होते थे। भगवान हाथ जोड़े खड़े हैं… और अब सालंगपुर में हजारों लोग हनुमान जी को एक गुलाम, एक चौकीदार के रूप में खड़े देख सकते हैं। हद हो गई, तुम्हारे पास कौन सा शास्त्र है? संत, कथावाचक, कलाकार, हनुमानजी को मानने वाले संगठन सभी को इस मामले में बोलना होगा।”
इसके अलावा महंत मणिधर बापू ने भी स्वामीनारायण संप्रदाय के संतों को चेतावनी दी है। उन्होंने इस मुद्दे पर कहा, ”हनुमानजी का अपमान करने की ताकत किसी में नहीं है। जो लोग हनुमान जी का अपमान करते हैं वे उनके चरणों में बैठने के भी लायक नहीं हैं। ऐसा अपमान वही कर सकता है जिसका आचरण राक्षस जैसा हो।”
हनुमानजी के आपत्तिजनक भित्तिचित्र नहीं हटाए गए तो होगा उग्र आंदोलन
बता दें कि हनुमान जी के अपमान पर राजकोट ब्रह्म समाज में काफी गुस्सा है। उन्होंने इन विवादित भित्तिचित्रों को हटाने की माँग की है, अगर ऐसा नहीं किया गया तो वह इस मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन करेंगे। इस संबंध में ब्रह्म समाज ने सालंगपुर के संतों को अगली 5 सितम्बर तक का अल्टीमेटम दिया है।
जूनागढ़ गोरक्षनाथ आश्रम के शेरनाथ बापू ने की माफी माँगने की माँग
जूनागढ़ गोरखनाथ आश्रम के शेरनाथ बापू ने भी इस मामले में बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा, “जिस तरह से भित्तिचित्रों में हनुमानजी को भगवान स्वामीनारायण के सेवक के रूप में दिखाया गया है। उन्हें सहजानंद स्वामी महाराज के सामने हाथ जोड़े खड़े दिखाया गया है। यह बहुत दुख की बात है।”
उन्होंने कहा कि जैसा कि हम सभी जानते हैं, प्राचीन काल से ही हनुमान, राम और शिव सभी के पसंदीदा देवता रहे हैं। उन्हें नीचा दिखाने की कोशिश की जा रही है। कहा जा रहा है कि इससे कई श्रद्धालुओं की आस्था को ठेस पहुँची है। उन्होंने भित्ति चित्र वाली घटना के लिए माफी माँगने को भी कहा।
‘हमें अपनी परंपरा को कायम रखना चाहिए’
उधर, अहमदाबाद जगन्नाथ मंदिर के महंत दिलीपदासजी महाराज ने धर्म को नुकसान न पहुँचाने की अपील की है। उन्होंने कहा, ”हनुमानजी अनादि काल से हैं इसलिए हमें अपनी परंपरा का पालन करना चाहिए। ऐसा करने से हमारा और हमारे देवी-देवताओं का सम्मान सुरक्षित रहेगा।”
महामंडलेश्वर महेंद्रानंदगिरि महाराज
मुचकुंद गुफा के महामंडलेश्वर महेंद्रानंदगिरि महाराज ने नाराजगी जताते हुए कहा, ”स्वामीनारायण संप्रदाय के महापुरुष महादेव और हनुमाजी के प्रति बहुत सम्मान रखते थे। इसी प्रकार आज तक सनातन धर्म के किसी भी संत ने आपके सम्प्रदाय के बारे में कभी कोई टिप्पणी नहीं की। बेहतर होगा कि हम सब अपनी सीमा में रहें।”
जूनागढ़ रुद्रेश्वर आश्रम के महंत इंद्रभारती बापू
जूनागढ़ रुद्रेश्वर आश्रम के महंत इंद्रभारती बापू भी सालंगपुर विवाद मामले में शर्मसार हैं। उन्होंने सालंगपुर मंदिर के इस कृत्य को निंदनीय बताते हुए कहा, ”ऐसे ढोंगी साधु जो धर्म के मंच पर बैठे हैं। इससे आंतरिक विवाद पैदा होते हैं जिससे विधर्मी भी खुश रहते हैं। इसलिए इस कृत्य के अपराधी को कभी माफ नहीं किया जाएगा।”
सालंगपुर विवाद पर विहिप के महामंत्री का बड़ा बयान
इस मामले में बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद ने भी विरोध दर्ज कराया है। विश्व हिंदू परिषद के महासचिव अशोक रावल ने कहा कि उन्होंने कई संतों से मुलाकात की और इस विवाद का हल निकालने की कोशिश की। इसके अलावा उन्होंने स्पष्ट किया कि भगवान राम और हनुमानजी का जन्म त्रेता युग में हुआ था। जबकि सहजानंद स्वामी का कालखंड 250-300 वर्ष पहले का है। दोनों समय में बहुत बड़ा अंतर है।