उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य पर जूते फेंकने वाले आकाश सैनी के परिवार ने कहा है कि उसे बहुत मारा-पीटा गया था, इसी कारण उसने जूता फेंका। उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य फ़िलहाल MLC (विधान पार्षद) हैं और सपा के महासचिव भी हैं। आकाश के भाई विकास सैनी ने लखनऊ के विभूतिखंड थाने में सोमवार (21 अगस्त, 2023) को एक तहरीर दी, जिसमें उन्होंने बताया कि आकाश अपने साथियों के साथ ‘इंदिरा गाँधी प्रतिष्ठान’ में आयोजित एक कार्यक्रम में गए थे।
आकाश सैनी के भाई ने इस तहरीर में पूरे घटनाक्रम के बारे में बताया है। उनकी मानें तो चूँकि आकाश ने तिलक लगाया हुआ था और चोटी रखी हुई थी, इसीलिए सपा कार्यकर्ताओं ने टिप्पणी की। विरोध करने पर उन्हें पकड़ लिया गया। इसी बीच शोर-शराबा देख कर स्वामी प्रसाद मौर्य वहाँ पहुँचे। उन्होंने पूछताछ की कि क्या हो रहा है। बताया जा रहा है कि इसी दौरान स्वामी प्रसाद मौर्य के 40-50 समर्थकों ने आकाश पर हमला बोल दिया। उन्हें जम कर पीटा गया।
इस मारपीट के कारण आकाश सैनी का सिर फूट गया है, ये भी जानकारी दी गई है। ये भी आरोप है कि उसके मुँह पर थूका गया और उसे अपशब्द भी कहे गए। पुलिस ने कहा है कि तहरीर के आधार पर जाँच की जाएगी। आकाश सैनी के समर्थन में ‘अखिल भारतीय हिन्दू महासभा’ ने भी विरोध प्रदर्शन किया। हालाँकि, स्वामी प्रसाद मौर्य ने थूकने के आरोप को ख़ारिज किया है। आकाश सैनी वकील की वेशभूषा में स्वामी प्रसाद मौर्य के कार्यक्रम में पहुँचे थे।
स्वामी मौर्य को जूता मारने वाले आकाश सैनी के भाई विकास सैनी ने थाने में शिकायत दर्ज करायी।
— Sudhir Mishra 🇮🇳 (@Sudhir_mish) August 21, 2023
आरोप है कि उनके भाई को कार्यक्रम में बुलाया, पर उनकी चोटी और तिलक देख सपा कार्यकर्ताओं ने विरोध किया।
उसके बाद स्वामी प्रसाद ने आकाश पर “थूका” जिसके बाद आकाश ने उन्हें जूता मारा। pic.twitter.com/2UpPnbzOYM
पुलिस किसी तरह आकाश सैनी का बीच-बचाव कर के उसे थाने ले गई। शांतिभंग के तहत उसके खिलाफ कार्रवाई की गई है। प्रदर्शन कर रहे हिन्दू संगठन ने उसे रिहा करने की माँग भी की है। बता दें कि स्वामी प्रसाद मौर्य ने तुलसीदास कृत ग्रन्थ रामचरितमानस पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। इसके बाद हिन्दू संगठनों ने उनके खिलाफ खूब विरोध प्रदर्शन किया था। बता दें कि रामचरितमानस का गाँव-गाँव में पाठ होता है और आराधना, रामधुन और अखंड रामायण पाठ के दौरान इसका पाठ किया जाता है।