उत्तर प्रदेश के संभल जिले की जामा मस्जिद को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन द्वारा दाखिल एक याचिका में दावा किया गया है कि वर्तमान में जामा मस्जिद के नाम से पहचाने जाने वाला यह स्थल पहले एक हिन्दू मंदिर था, जिसे आक्रमणकारी बाबर ने 1529 में तोड़कर मस्जिद में परिवर्तित कर दिया था। इस याचिका में कोर्ट से मस्जिद का सर्वेक्षण कराए जाने की माँग की गई थी, जिसे मंगलवार (19 नवंबर 2024) को संभल की जिला अदालत ने स्वीकार कर लिया और एडवोकेट कमिश्नर द्वारा सर्वे के आदेश दिए।
अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने अपने X (पूर्व में ट्विटर) हैंडल पर कोर्ट के फैसले को साझा करते हुए बताया कि उनके द्वारा दायर याचिका पर अदालत ने सर्वेक्षण का आदेश जारी किया है। याचिका में उन्होंने दावा किया है कि यह स्थल प्राचीन काल में हरिहर मंदिर के नाम से जाना जाता था। विष्णु शंकर ने कहा कि साल 1529 में बाबर ने उस स्थान को तोड़ कर मस्जिद बनवाई थी। इसी पोस्ट में उन्होंने हिन्दुओं की आस्था का जिक्र करते हुए कहा कि उनकी मान्यता है कि उस स्थान पर भविष्य में कल्कि भगवान अवतार लेंगे।
Today the Hon’ble Civil Court sambhal on my petition has directed survey by advocate commissioner in alleged jami masjid in sambhal which was known as hari har mandir. Babur partly demolished this place in 1529. It is believed that kalki avatar is to happen at sambhal.
— Vishnu Shankar Jain (@Vishnu_Jain1) November 19, 2024
मीडिया से बातचीत में विष्णु शंकर जैन ने बाबर को एक क्रूर आक्रमणकारी बताते हुए कहा कि उन्होंने ऐतिहासिक साक्ष्यों और हिन्दू आस्थाओं के आधार पर यह याचिका दाखिल की है। उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार, भारत सरकार, पुरातत्व विभाग (ASI), संभल के जिलाधिकारी और जामा मस्जिद कमेटी को इस मामले में पक्षकार बनाया है। याचिकाकर्ता ने मस्जिद के तौर पर इस स्थान के उपयोग पर आपत्ति जताई है, क्योंकि यह ASI द्वारा संरक्षित स्थल है। उनका दावा है कि हरिहर मंदिर को वर्तमान समय में गलत ढंग से मस्जिद के रूप में प्रयोग किया जा रहा है।
याचिका में उन्होंने कोर्ट से माँग की कि भारतीय सिविल प्रक्रिया संहिता (CPC) के आदेश 26 के नियम 9 और 10 के तहत एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त कर विवादित स्थल का सर्वे कराया जाए। कोर्ट ने उनकी इस माँग को स्वीकार करते हुए सर्वेक्षण के लिए एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त कर दिया है।
विष्णु शंकर जैन ने कहा कि वह अदालत के इस आदेश का जल्द से जल्द पालन सुनिश्चित करवाने के लिए आवश्यक कदम उठाएँगे। उन्होंने याचिका में यह भी आग्रह किया है कि विवादित स्थल को मस्जिद के रूप में इस्तेमाल करने पर रोक लगाई जाए। उनका कहना है कि यह स्थल हिन्दू आस्था और इतिहास से जुड़ा हुआ है और इसका उपयोग किसी धार्मिक विवाद का कारण नहीं बनना चाहिए।
इस फैसले के बाद से यह मामला न केवल कानूनी, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक स्तर पर भी चर्चा का विषय बन गया है। अब सर्वेक्षण की प्रक्रिया और इसके परिणाम इस विवाद को आगे किस दिशा में ले जाएँगे, इस पर सभी की नजरें टिकी हैं।