उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) में सनातन धर्म की पढ़ाई के लिए प्रस्ताव पास किया गया है। इसके लिए UG (स्नातक) और PG (स्नाकोत्तर) का कोर्स भी शुरू होगा। सब केवल इस प्रस्ताव पर औपचारिक मुहर लगनी बाकी है। AMU के शताब्दी कार्यक्रम के दौरान हुए वर्चुअल समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसकी सलाह दी थी। AMU के ‘इस्लामिक स्टडी डिपार्टमेंट’ ने इसके लिए तैयारी भी शुरू कर दी है।
बताया जा रहा है कि इस कोर्स के तहत छात्रों को सभी मजहबों की बारीकियाँ सिखाई जाएँगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि AMU के छात्रों को भारतीय संस्कृति से भी रूबरू कराया जाना चाहिए। अगले सेशन से इसकी पढ़ाई शुरू होने की उम्मीद है। इसमें छात्रों को न सिर्फ सनातन धर्म के बारे में बताया जाएगा, बल्कि अन्य धर्मों के साथ एक तुलनात्मक अध्ययन भी पढ़ने को मिलेगा। इसके सिलेबस पर काम शुरू हो गया है।
‘Comparative Religion’ नाम से इस कोर्स को शुरू किया जा रहा है। बता दें कि 467.6 एकड़ में फैली AMU के अंतर्गत 7 कॉलेज आते हैं, जहाँ छात्रों के लिए 80 हॉस्टल और 19 ‘हॉल ऑफ रेजिडेंस’ हैं। वैश्विक स्तर पर इसे 801वाँ और भारत में 10वें स्थान पर रैंक किया गया है। 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने इसे ‘अल्पसंख्यक संस्थान’ का दर्जा वापस दे दिया था। हालाँकि, यहाँ अन्य धर्मों के छात्र भी पढ़ने आते रहे हैं।
हाल ही में AMU ने पाकिस्तानी इस्लामी स्कॉलर अबुल अला मोदुदी की किताब को अपने सिलेबस से हटा दिया था। 20 से ज्यादा शिक्षाविदों ने इस सम्बन्ध में पीएम मोदी को पत्र भी लिखा था, जिसके बाद अबुल और सय्यद क़ुतुब की किताबों को हटाया गया। AMU के ताज़ा फैसले का विरोध भी शुरू हो गया है। थियोलॉजी विभाग के पूर्व चेयरमैन प्रोफेसर मुफ्ती जाहिद अली खान ने कहा कि अगर सनातन धर्म पढ़ाना ही है तो उसके लिए अलग विभाग बना कर ऐसा किया जाना चाहिए।
AMU में सनातन धर्म की पढ़ाई का प्रस्ताव @amshukla05 pic.twitter.com/dYFluTsONN
— News18 Uttar Pradesh (@News18UP) August 3, 2022
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के PRO उमर सलीम पीरजादा का कहना है कि AMU में थियोलॉजी विभाग पिछले 5 दशकों से सनातन धर्म की पढ़ाई करा रहा है, वहीं अब इस्लामी स्टडीज के तहत भी इसे लाने की प्रक्रिया पूरी की जा रही है। पहले इसे PG के कोर्स में लाया जाएगा। इस विषय में MA का कोर्स शुरू किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि चूँकि इस आवासीय विश्वविद्यालय में सभी धर्मों एवं जाति के छात्र पढ़ते हैं, इसीलिए ये एक अच्छी पहल है।