पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के करीबी माने जाने वाले IPS अधिकारी और कोलकाता पुलिस के पूर्व पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार को गिरफ्तार करने CBI की टीम उनके घर पहुँची है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, राजीव CBI दल को घर पर नहीं मिले हैं।
कोलकाता के पूर्व पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार की मुश्किलें बढ़ीं | @MunishPandeyy https://t.co/JDAl3B3fIn
— आज तक (@aajtak) September 13, 2019
राजीव के परिजनों ने CBI की टीम से कहा कि वह छुट्टी पर हैं। कोलकाता हाईकोर्ट ने शुक्रवार को उनकी गिरफ्तारी से संरक्षण देने सम्बन्धी याचिका से रोक हटा दी थी। इसलिए अब केंद्रीय जाँच एजेंसी (CBI) को यह अधिकार है कि वह उन्हें गिरफ्तार कर सकती है। हाईकोर्ट ने राजीव कुमार का यह तर्क खारिज कर दिया कि उन्हें जानबूझ कर निशाना बनाया जा रहा है। इसके बाद से राजीव कुमार की गिरफ्तारी का रास्ता साफ हो गया है।
Kolkata: Central Bureau of Investigation (CBI) teams enters Office of the Deputy Commissioner of Police, South Division, which also includes the residence of former Police Commissioner Rajeev Kumar, after the Calcutta High Court lifted stay on protection from arrest given to him pic.twitter.com/HoN8U1PGWC
— ANI (@ANI) September 13, 2019
राजीव कुमार पर CBI ने आरोप लगाया है कि शारदा पोंजी चिट फंड घोटाला मामले में राजीव कुमार ने सबूतों के साथ छेड़छाड़ की थी। राजीव कुमार घोटाले की जाँच कर रही SIT के प्रमुख थे। इसके साथ ही, CBI ने यह भी आरोप लगाया है कि राजीव कुमार ने कुछ आरोपितों के कॉल डिटेल रिकॉर्ड्स (CDRs) CBI को नहीं सौंपे और बाद में जो रिकॉर्ड्स हैंडओवर किए भी, उनसे छेड़छाड़ की गई थी।
राजीव कुमार पर शारदा घोटाले के सबूतों से छेड़छाड़ का गंभीर आरोप है। CBI के अधिकारियों का कहना है कि राजीव कुमार ने सारदा समूह के मालिक सुदीप्त सेन की लाल रंग की एक डायरी व पेन ड्राइव छुपा रखी है और उन्होंने फोन के काल लिस्ट को भी छे़ड़ा था।
सीबीआई के मुताबिक, शारदा चिंट फंड घोटाले में निवेशकों का (1983 करोड़ रूपए का) बड़ा नुकसान होने के बावजूद राजीव कुमार ने रोज वैली जैसा दूसरा पोंजी चिट फंड घोटाला होने दिया।
CBI की टीम 3 फरवरी 2019 को उनके घर पर पूछताछ के लिए पहुँची थी। इस दौरान पुलिस ने CBI अफसरों को हिरासत में ले लिया था। पश्चिम बंगाल की CM ममता उस वक़्त CBI की कार्रवाई के विरोध में धरने पर बैठी थीं। इस मामले में CBI ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने राजीव कुमार को CBI के सामने पेश होने और ईमानदारी से जाँच में सहयोग करने का निर्देश दिया था।