Sunday, December 22, 2024
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सुप्रीम कोर्ट ने वकील पर 100 रुपए का लगाया हर्जाना, केस लिस्टेड करने में भेदभाव का लगाया था आरोप

पीठ ने कहा, "रजिस्ट्री के सभी सदस्य दिन-रात आपके जीवन को आसान बनाने के लिए काम करते हैं। आप उन्हें हतोत्साहित कर रहे हैं। आप इस तरह की बातें कैसे कह सकते हैं?"

वरीयता के आधार पर केस लिस्टेड करने के आरोप वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता वकील पर 100 रुपए का हर्जाना लगाया है। वकील रीपक कंसल की ओर से दायर की गई याचिका में आरोप लगाया गया था कि कि कुछ प्रभावशाली वकील और याचिकाकर्ता को रजिस्ट्री वरीयता देती है और उनका मामला प्राथमिकता के आधार पर लिस्टेड होता है।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरुण मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच ने सोमवार (06 जुलाई, 2020) को मामले पर फैसला सुनाते हुए वकील रीपक कंसल वाली अर्जी को खारिज कर दिया। साथ ही वकील पर 100 रुपए का हर्जाना लगाया गया। इस पर अदालत ने कहा कि बार के किसी मेंबर को इस तरह से रजिस्ट्री पर आरोप नहीं लगाना चाहिए। हम आपके ऊपर निम्नतम हर्जाना लगा रहे हैं और 100 रुपए हर्जाना लगाते हैं।

दरअसल याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई थी कि रजिस्ट्री को निर्देश दिया जाए कि वह किसी भी वकील या याचिकाकर्ता को वरीयता न दें। याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री द्वारा “पिक एंड चूज” नीति अपनाने और लिस्टिंग में प्रभावशाली वकीलों को वरीयता देने का आरोप लगाया गया था।

मामले पर 19 जून को सुप्रीम कोर्ट ने रीपक कंसल द्वारा लगाए गए आरोपों पर गंभीर आपत्ति जताई थी। जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर और जस्टिस एम आर शाह की पीठ ने अर्णब गोस्वामी के मामले को ‘अधिमान्य प्राथमिकता’ का एक उदाहरण बताने पर याचिकाकर्ता पर नाराजगी व्यक्त की थी।

पीठ ने कहा था, कि “आप वन नेशन वन राशन कार्ड पर अपनी याचिका की तुलना अर्नब गोस्वामी से कैसे कर सकते हैं? क्या आग्रह था? आप क्यों बकवास बातें कह रहे हैं?”

पीठ ने कहा था, “रजिस्ट्री के सभी सदस्य दिन-रात आपके जीवन को आसान बनाने के लिए काम करते हैं। आप उन्हें हतोत्साहित कर रहे हैं। आप इस तरह की बातें कैसे कह सकते हैं?”

न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा ने जोर देकर कहा था कि “रजिस्ट्री हमारे अधीनस्थ नहीं है। वे बहुत हद तक सुप्रीम कोर्ट का हिस्सा और पार्सल हैं।” याचिकाकर्ता पर “गैरजिम्मेदाराना” आरोपों का बात कहने के बाद पीठ ने मामले में आदेश सुरक्षित रख लिया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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