सुप्रीम कोर्ट ने आम आदमी पार्टी को आखिरी मौका देते हुए चेतावनी दी है कि वो 10 अगस्त तक अपने दफ्तर पर कब्जे वाली जमीन को खाली कर दे, क्योंकि इससे दिल्ली हाई कोर्ट के विस्तार को लेकर दिक्कत हो रही है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि ये आम आदमी पार्टी के लिए आखिरी मौका है, फिर से कोई तारीख नहीं बढ़ाई जाएगी। जल्द से जल्द आम आदमी पार्टी अपने कब्जे वाली जमीन को खाली कर दे, क्योंकि ये दिल्ली हाई कोर्ट के लिए 2020 में ही आबंटित की जा चुकी है।
Live Law की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस विक्रम नाथ और संदीप मेहता की अवकाशकालीन बेंच ने आम आदमी पार्टी की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी की दलीलों को स्वीकार कर लिया और समय सीमा 10 अगस्त तक बढ़ाने का आदेश दिया। बेंच ने याचिका स्वीकार करते हुए कहा, ‘तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करते हुए अंतिम मौके के रूप में हम 4 मार्च के आदेश में दिए गए समय को विस्तार दे रहे हैं।’ कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता (आप) को एक सप्ताह के भीतर कोर्ट की रजिस्ट्री को लिखकर देना है कि वे 10 अगस्त तक शांतिपूर्वक जमीन हैंडओवर कर देंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने ‘आम आदमी पार्टी’ को यह राहत उसकी उस याचिका पर सुनवाई के बाद दी, जिसमें पार्टी ने 15 जून तक मिले समय को बढ़ाने की गुजारिश की थी। 4 मार्च 2024 को कोर्ट ने 15 जून तक दफ्तर खाली करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने ‘आम आदमी पार्टी’ से कहा कि यह अंतिम बार मौका दिया जा रहा है और यह शपथ पत्र दिया जाए कि संपत्ति को 10 अगस्त तक हैंडओवर कर दिया जाएगा। वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि 10 अगस्त तक मोहलत माँगी जा रही है क्योंकि दिल्ली हाई कोर्ट ने हाल ही में केंद्र सरकार को आम आदमी पार्टी की अपील पर वैकल्पिक दफ्तर के लिए छह सप्ताह में जमीन देने को कहा है।
ये जगह दिल्ली हाई कोर्ट को साल 2020 में ही दे दी गई थी। दिल्ली हाई कोर्ट की तरफ से पेश हुए वकील के परमेश्वर ने कहा कि 4 साल बाद भी हाई कोर्ट को कब्जा नहीं मिला है। परमेश्वर ने कहा, ‘आवदेक और केंद्र के बीच खींचतान चलती रहेगी। क्योंकि उन्होंने राजधानी के केंद्रीय इलाके में जमीन माँगी है। हम नहीं चाहते कि इस वजह से देर हो। हम कोर्ट रूम्स की कमी के कारण गंभीर संकट में हैं। हम न्यायिक अधिकारियों के लिए जगह किराए पर लेने के लिए मजबूर हैं।’
हाई कोर्ट ने कहा कि भवन निर्माण में हर साल 30-40 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो रही है, जिसकी वजह से हमारा प्रोजेक्ट पीछे हो रहा है। कोर्ट की तरफ से पेश हुए वकील परमेश्वर ने कहा कि दिल्ली हाई कोर्ट के पास 90 कोर्ट रूम की कमी है। नए अधिकारी सितंबर में ट्रेनिंग पूरी करके हाई कोर्ट में काम संभालने वाले हैं, लेकिन हमारे पास बिल्डिंग ही नहीं है। ऐसे ही हाल रहा, तो हमें किराए की बिल्डिंग में शिफ्ट होना पड़ेगा। वकील ने कहा कि हम आम आदमी पार्टी और केंद्र सरकार के बीच झगड़े में नहीं पड़ना चाहे। हमें सिर्फ अपनी जमीन से मतलब है।