सुप्रीम कोर्ट में एक युवक ने याचिका दायर कर कहा था कि यूट्यूब (Youtube) में अश्लील विज्ञापन देखने के कारण उसका ध्यान भंग हुआ और इससे वह परीक्षा में फेल हो गया। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में यूट्यूब से 75 लाख रुपए के मुआवजे की भी माँग की थी। हालाँकि, कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए उस पर 25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया। याचिकाकर्ता की पहचान, आनंद किशोर चौधरी निवासी मध्य प्रदेश के रूप में हुई है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सजंय किशन कौल और जस्टिस अभय एस. ओक की बेंच ने शुक्रवार (9 दिसंबर 2022) को हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए कहा, “यह अनुच्छेद 32 के तहत दायर की गई अब तक की सबसे ‘खराब’ याचिकाओं में से एक है।”
Obscene YouTube Ads Distracted, Failed In Exams, Says Petitioner Seeking Compensation; Supreme Court Dismisses Plea With Costs #SupremeCourtOfIndia @awstika https://t.co/St1MXlt82C
— Live Law (@LiveLawIndia) December 9, 2022
जस्टिस कौल ने याचिकाकर्ता से यह भी पूछा, “आपको किस बात का मुआवजा चाहिए। आप इंटरनेट देखते हैं इसलिए या फिर इंटरनेट देखने की वजह से एग्जाम नहीं पास कर पाए, इसलिए मुआवजा चाहिए? क्योंकि विज्ञापन में सेक्सुअल कंटेंट था, इसलिए आप अदालत से मुआवजा लेने पहुँच गए। ये तो आपकी मर्जी है कि आप विज्ञापन देखें।”
सुनवाई के दौरान जस्टिस कौल ने कहा, “विज्ञापन में यौन सामग्री था, इससे आपकी अटेंशन डायवर्ट हो गई इसलिए आप कोर्ट में बोल रहे हैं मुआवजा दे दो।” कोर्ट ने कहा, “आपको विज्ञापन नहीं देखना है तो ना देखें इस तरह की याचिका को दायर करना अदालत के कीमती वक्त को बर्बाद करने जैसा है। अब आपको अपने आचरण के कारण जुर्माना भरना होगा।”
याचिकायकर्ता को फटकारते हुए कोर्ट ने उस पर 1 लाख का जुर्माना लगाया। हालाँकि 1 लाख रुपए के जुर्माने की बात सुनने के बाद याचिकाकर्ता ने प्रार्थना करते हुए कहा, “न्यायधीश महोदय मेरे माता-पिता मजदूरी करते हैं, मुझे माफ कर दीजिए।” इस पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस कौल ने कहा, “आप को लगता है कि प्रचार के लिए जब चाहें इधर आ सकते हैं। जुर्माना कम कर दूँगा, लेकिन माफ नहीं करूँगा।” इसके बाद उन्होंने, जुर्माने की राशि घटाकर 25000 रुपए करने का आदेश जारी कर दिया।
याचिकाकर्ता ने बेंच से कहा, “मेरे पास रोजगार नहीं है, मैं जुर्माना नहीं दे पाऊँगा।” तब, जस्टिस कौल ने कहा, “रोजगार नहीं हैं तो हम रिकवरी करेंगे, और क्या।”
दरअसल, याचिकाकर्ता आनंद किशोर चौधरी ने सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 19 (2) के तहत याचिका दाखिल कर कहा था कि यूटयूब पर अश्लील विज्ञापन के चलते उसका ध्यान भंग हुआ और वह मध्य प्रदेश पुलिस में भर्ती की परीक्षा पास नहीं कर पाया। इसके एवज में उसे यूट्यूब द्वारा 75 लाख का मुआवजा दिया जाना चाहिए। इतना ही नहीं, सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में युवक ने सोशल मीडिया पर ऐसे विज्ञापनों (अश्लीलता) पर रोक लगाने की भी माँग की थी।