‘सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन’ के अध्यक्ष दुष्यंत दवे ने सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेटरी जनरल को पत्र लिख कर अर्णब गोस्वामी की याचिका पर तुरंत सुनवाई किए जाने के फैसले का विरोध किया है। अब जब अर्णब गोस्वामी एक सप्ताह से जेल में हैं, दुष्यंत दवे ने उनके मामले को सुनवाई के लिए लिस्ट किए जाने को ‘असाधारण त्वरित सुनवाई’ करार दिया। उन्होंने इस केस को लिस्ट किए जाने की जम कर निंदा की है।
उन्होंने इसे ‘सेलेक्टिव लिस्टिंग’ करार दिया है। उनका कहना है कि महामारी के इस समय में प्रभावशाली लोगों के मामले एक दिन में ही लिस्ट हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि वो ये पत्र इसीलिए नहीं लिख रहे हैं क्योंकि अर्णब गोस्वामी से उन्हें कोई व्यक्तिगत दुश्मनी है, वो किसी के भी सुप्रीम कोर्ट जाने के अधिकार के विरोधी नहीं हैं। उन्होंने कहा कि जब कई लोग जेल में हैं और महीनों चली महामारी के समय सुप्रीम कोर्ट के सामने कई मामले पड़े हुए हैं, अर्णब गोस्वामी जब भी सुप्रीम कोर्ट जाते हैं तो उनका केस लिस्ट हो जाता है।
उन्होंने कहा कि जब लोग जेल में पड़े हुए हैं, अर्णब गोस्वामी को ‘स्पेशल ट्रीटमेंट’ दिया जाना अवैध और अनैतिक है। उन्होंने उदाहरण गिनाते हुए कहा कि वरिष्ठ अधिवक्ता पी चिदंबरम तक के मामलों की भी त्वरित सुनवाई नहीं हुई थी, जिन्हें कई हफ्ते जेल में गुजारने पड़े। बाद में सुनवाई हुई और उन्हें जमानत दी गई। उन्होंने इसे प्रशासनिक अधिकारों का हनन बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि अर्णब गोस्वामी को खास ट्रीटमेंट दिया गया है।
हालाँकि, अब जब पूरा का पूरा लिबरल जमात अर्णब गोस्वामी को लेकर चुप है और मीडिया लॉबी भी उनकी गिरफ़्तारी का विरोध नहीं कर रही, दुष्यंत दवे के इस पत्र का एक ही उद्देश्य है कि ‘रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क’ के संस्थापक और प्रधान संपादक के खिलाफ जो महाराष्ट्र के उद्धव ठाकरे सरकार द्वारा एकतरफा कार्रवाई की जा रही है, वो जारी रहे। वो पत्र लिख कर अपना दोहरा रवैया प्रकट कर रहे हैं। अर्णब गोस्वामी की पत्नी ने भी CJI को पत्र लिख कर इसकी निंदा की है।
Arnab Goswami’s wife, Samyabrata Goswami writes to #SupremeCourt Secy General as to how Senior Adv Dushyant Dave is attempting to sully Goswami’s reputation as he remained silent when cases of @VinodDua7 & @pbhushan1 was urgently listed and heard#SupremeCourt @republic pic.twitter.com/z5P8Gpr2rD
— Bar & Bench (@barandbench) November 10, 2020
उन्होंने जिस तरह से कहा कि बड़े वकीलों के प्रतिनिधित्व वाले प्रभावशाली लोगों के मामले तुरंत लिस्ट हो जाते हैं, उससे लगता है कि वो हरीश साल्वे पर भी निशाना साध रहे हैं। एक तरह से उन्होंने CJI बोबडे पर भी निशाना साधा है। लेकिन, वो अपने पत्र में कुछ बातें भूल गए हैं। जिस तरह से अर्णब गोस्वामी को 2018 का मामला खोल कर फँसाया गया, दवे को लगता है कि ये एकलौता ऐसा मामला है, जहाँ अर्जेन्ट लिस्टिंग हुई।
क्या दुष्यंत दवे को याद नहीं है कि किस तरह से पत्रकार विनोद दुआ की जमानत याचिका पर सुनवाई के लिए कोर्ट रविवार को भी खुला था। वो तो जेल में भी नहीं थे। यौन शोषण के आरोपों के मामले में ऐसा हुआ था। अगर विनोद दुआ का मामला रविवार को सुना जा सकता है तो फिर तब दुष्यंत दवे ने ऐसा कोई पत्र क्यों नहीं लिखा था? SCBA ने तब भी दुष्यंत का विरोध किया था, जब उन्होंने जस्टिस मिश्रा की सिर्फ इसीलिए निंदा की थी, क्योंकि उन्होंने पीएम मोदी की तारीफ की थी।