मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि के मालिकाना हक को लेकर दाखिल याचिका पर सीनियर सिविल जज छाया शर्मा की अदालत ने सुनवाई के लिए 30 सितंबर की तारीख निर्धारित की है। सोमवार (सितंबर 28, 2020) को इस याचिका पर सुनवाई होनी थी, लेकिन याचिकाकर्ता अदालत नहीं पहुँचे, जिसकी वजह से तारीख आगे बढ़ाई गई।
सुप्रीम कोर्ट के वकील हरीशंकर जैन और विष्णु शंकर जैन और रंजना अग्निहोत्री ने मथुरा कोर्ट में यह याचिका दायर की है। याचिका ‘श्रीकृष्ण विराजमान’ पक्ष की ओर से दाखिल की गई है। इसमें शाही ईदगाह मस्जिद को हटा कर श्रीकृष्ण जन्मभूमि की मथुरा स्थित पूरी भूमि को खाली कराने की माँग की गई है।
Krishna Janmabhoomi-Idgah Row: Court admits Hindu Groups’ plea, matter to be heard on Sept 30. On Sept 30, Court to take a call on maintainability of plea.
— TIMES NOW (@TimesNow) September 28, 2020
The plea seeks removal of mosque at the site.
Harish, Prashant with details. pic.twitter.com/oC4dpZkQi1
याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि मुगल शासक औरंगजेब ने अपने शासन के दौरान मथुरा में कृष्ण मंदिर को ध्वस्त कर दिया था। कटरा केशव देव में भगवान श्रीकृष्ण के जन्मस्थान पर खड़ा मंदिर 1669-70 में ध्वस्त कर दिया गया था। मौजूदा ईदगाह कृष्ण जन्मभूमि स्थान पर बनाई गई थी। याचिकाकर्ताओं ने अदालत से 13.37 एकड़ जमीन का स्वामित्व ‘श्रीकृष्ण विराजमान’ को हस्तांतरित करने की अपील की है।
पाँच दशक पहले, श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान और शाही ईदगाह प्रबंधन समिति ने इस बात पर सहमति जताई थी कि मस्जिद विवादित भूमि पर रहेगी। इस समझौते को अवैध करार देते हुए मस्जिद हटाने की माँग की गई है।
अगस्त में ‘श्रीकृष्ण जन्मभूमि निर्माण न्यास’ का गठन कर इसे मुक्त कराने की दिशा में प्रयास तेज किया गया था। 14 राज्यों से 80 संतों ने साथ आकर इस अभियान के लिए एकता जताई थी, जिनमें 11 वृन्दावन के संत थे। हालाँकि, इस्लामी आक्रांताओं द्वारा किए गए ऐसे अतिक्रमण की राह में ‘प्लेसेज़ ऑफ़ वर्शिप (स्पेशल प्रोविज़न) एक्ट, 1991’ की बाधा है। इसके तहत धार्मिक स्थलों पर यथास्थिति बरक़रार रखी गई है।
जब पीवी नरसिम्हा राव भारत के प्रधानमंत्री थे, तो पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 पारित किया गया था। पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 कानून किसी भी धर्म के पूजा स्थल को एक आस्था से दूसरे धर्म में परिवर्तित करने और किसी स्मारक के धार्मिक आधार पर रख-रखाव पर रोक लगाता है।
सितम्बर के पहले सप्ताह में ही अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी की अध्यक्षता में हुई बैठक में माँग की गई थी कि अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिए भूमिपूजन होने के बाद काशी में बाबा विश्वनाथ और मथुरा में भगवान श्रीकृष्ण के मंदिर को मुक्त कराने की ओर प्रयास किया जाए। काशी-मथुरा को मुक्त कराने के लिए प्रस्ताव पारित करते हुए अखाड़ा परिषद ने इस कार्य में विश्व हिन्दू परिषद का भी सहयोग माँगा गया था।