शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (SGPC) ने एक प्रस्ताव पास किया है। इसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर भारत को ‘हिन्दू राष्ट्र’ बनाने की कोशिश करने का आरोप लगाया गया है। संघ पर प्रतिबंध लगाने और कृषि सुधार कानूनों को वापस लेने की माँग की गई है।
प्रस्ताव में एसजीपीसी ने आरोप लगाया है कि आरएसएस दूसरे पंथों और अल्पसंख्यकों की स्वतंत्रता का हनन कर भारत को ‘हिन्दू राष्ट्र’ बनाना चाहता है। उसके ‘हिन्दू राष्ट्र’ निर्माण की योजना के कारण अल्पसंख्यकों को प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से निशाना बनाया जा रहा है।
अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह लगातार आरएसएस के विरोध में बोलते आए हैं और आरएसएस को बैन करने की माँग भी उन्होंने कई बार की है। जून 2020 में ऑपरेशन ‘ब्लू स्टार’ की बरसी पर कहा था कि प्रत्येक सिख खालिस्तान चाहता है और यदि सरकार खालिस्तान की माँग स्वीकार करती है तो हमें और कुछ नहीं चाहिए। 2019 में सिंह ने कहा था कि आरएसएस देश के हित में नहीं है। यह देश को बर्बाद कर देगा। सरकार को इसे बैन करना चाहिए, क्योंकि आरएसएस के कार्य देश को विभाजित करते हैं, न कि संगठित।
30 मार्च 2021 को पास प्रस्ताव कहा गया है कि भारत एक बहुधर्मी, बहुभाषी और बहुसांस्कृतिक देश है। प्रत्येक धर्म का स्वतंत्रता में योगदान है और विशेषकर सिखों का। किन्तु कुछ समय से आरएसएस के ‘हिन्दू राष्ट्र’ की योजना के कारण अल्पसंख्यकों की स्वतंत्रता का हनन हो रहा है। एसजीपीसी की वेबसाइट पर उपलब्ध इस प्रस्ताव में आरएसएस की जमकर आलोचना की गई है और सरकार से यह माँग की गई है कि वह अल्पसंख्यकों के हितों को सुरक्षित करे।
एसजीपीसी ने कृषि कानूनों के विरुद्ध भी प्रस्ताव पास किया है। इसमें कृषि सुधार कानूनों को ‘काला कानून’ कहा गया है। प्रस्ताव के माध्यम से सरकार से माँग की गई है कि इन कृषि कानूनों को खत्म किया जाए।
प्रस्ताव में 26 जनवरी के मार्च दौरान हुई हिंसा की जाँच और इस मामले में गिरफ्तार लोगों की तत्काल रिहाई की भी माँग की गई है।