अयोध्या में भगवान राम मंदिर के निर्माण कार्य से प्रोत्साहित होकर श्रीनगर शहर के बीचोंबीच रघुनाथ मंदिर का मरम्मत कार्य भी शुरू हो गया है। जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद रघुनाथ मंदिर ऐसा पहला मंदिर है, जहाँ मरम्मत कार्य शुरू हुआ है।
करीब 30 साल से बंद पड़े रघुनाथ मंदिर की हालत जर्जर हो गई थी। कश्मीरी पंड़ितों के वर्ष 1989 में पलायन के बाद से मंदिर में कोई नहीं गया। मंदिर 1989 से पहले ही क्षतिग्रस्त हो गया था। उसकी मरम्मत नहीं हो पाई थी। मंदिर का गुबंद भी टूट गया था।
बता दें कि कश्मीर में जब आतंकवाद चरम पर था, तब अनेक नए-पुराने मंदिरों को तहस-नहस कर दिया गया। कश्मीरी पंडितों को निशाना बनाने के साथ बड़ी संख्या में मंदिरों और मठों को नुकसान पहुँचाया गया। उन पर कब्जे भी कर लिए गए। मंदिर जीर्णोद्धार की खबर आते ही हिंदू समुदाय में खुशी की लहर दौड़ पड़ी। वर्ष 1989 में आतंकियों की धमकियों के बावजूद कश्मीर से पलायन न करने वाले कुछ पंडितों ने कहा कि अब फिर उम्मीद बँधी है कि यहाँ मंदिरों के बंद किवाड़ खुलेंगे, मंदिर भी उसी तरह आजाद होंगे जिस तरह से हम लोग अनुच्छेद 370 से आजाद हुए हैं।
जानकारी के मुताबिक 1989 में पहली बार उग्र इस्लामिक कट्टरपंथियों की भीड़ ने मंदिर पर हमला बोला था। इसके बाद 24 फरवरी 1990, 13 अप्रैल 1991 और फिर 8 मई 1992 को इस मंदिर पर हमले हुए। इस्लामिक कट्टरपंथियों ने मंदिर में से भगवान श्री राम और माता सीता की प्रतिमाओं को खंडित कर झेलम में फेंक दिया गया। यज्ञशाला बर्बाद कर दी गई और लाइब्रेरी भी जला दी गई। मंदिर के पास हिंदुओं के सात मकानों को भी आतंकियों ने ध्वस्त कर दिया। इसके बाद मंदिर वीरान हो गया और परिसंपत्तियों पर भूमाफिया की नजर पड़ गई।
कश्मीर से पलायन न करने वालों में शामिल चुन्नी लाल हिंदू वेलफेयर सोसायटी के सचिव हैं। उन्होंने कहा, “आज जब मैंने टीवी पर खबर सुनी कि कश्मीर में टूटे मंदिरों का सर्वे होगा तो मैं खुद को रोक नहीं पाया और यहाँ चला आया। यहाँ मूर्तियाँ थीं, जिन्हें आतंकियों ने झेलम दरिया में फेंक दिया। सैकड़ों धार्मिक पांडुलिपियाँ थीं, जो जला दीं। आज तो मंदिर में आने का रास्ता तक आसानी से नजर नहीं आता।”
स्थानीय कश्मीरी पंडित चुन्नी लाल कौल ने कहा कि श्रीनगर में करफियाली मुहल्ले में रघुनाथ मंदिर में 30 साल पहले दिन में नहीं, बल्कि रात को चहल-पहल होती थी। यह मंदिर जम्मू के रघुनाथ मंदिर से ज्यादा भव्य था। खैर, आज फिर उम्मीद बँधी है कि यहाँ जल्द जय श्रीराम का जयघोष होगा।
गौरतलब है कि कश्मीर में धर्म के अंधे जिहादी तत्व जब भी मौका मिलता रहा है, मंदिरों को निशाना बनाते रहे हैं। पाकिस्तान में भुट्टो को फाँसी हुई हो या फिर जिया उल हक की मौत, पाक समर्थक तत्वों ने मंदिरों को तोड़ा। वर्ष 1986 में कश्मीर में कई मंदिरों को जलाया गया। वर्ष 1989 में जब आतंकवाद ने कश्मीर में पाँव जमाए तो जिहादी तत्व और कट्टरपंथियों की भीड़ हमेशा मंदिर में घुसकर लूटपाट करती। अधिकांश मंदिरों की जमीन पर कब्जा हो गया।