कश्मीरी हिंदुओं के नरसंहार और पलायन पर बनी फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ (The Kashmir Files) इन दिनों चर्चा में है। थिएटर्स से फिल्म देखकर बाहर निकलने वाले लोग अपने आँसू नहीं रोक पा रहे हैं। ऐसे कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। लोगों का कहना है कि बॉलीवुड में पहली बार किसी डायरेक्टर ने इतनी हिम्मत दिखाते हुए 32 साल पहले कश्मीरी हिंदुओं के साथ हुई बर्बरता की सच्चाई दिखाने की कोशिश की है।
इस बीच सोमवार (14 मार्च, 2022) को फिल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री ने ट्विटर पर वाशिंगटन डीसी के एक थिएटर के बाहर की तस्वीर को शेयर किया। इसमें कश्मीर फाइल्स देखने गए लोगों के एक ग्रुप ने तिरंगा पकड़े हुआ है। तस्वीर में स्वर्गीय जज नीलकंठ गंजू के बेटे भी हैं। उनके चेहरे पर लंबी मुस्कान है।
From Washington DC. The gentleman (4th from left) is swargiya Judge Neelkanth Ganjoo’s son. Indian judiciary & system never punished the terrorists who killed him in broad daylight. #TheKashmirFiles is a small step in bringing justice to Judge Ganjoo’s sacrifice. #RightToJustice pic.twitter.com/VnHXCOZ7WV
— Vivek Ranjan Agnihotri (@vivekagnihotri) March 14, 2022
नीलकंठ गंजू की हत्या
साल 1990 में कश्मीरी पंडितों का घाटी से पलायन भारत के इतिहास का एक काला पन्ना है। कश्मीरी पंडितों की हत्या की शुरुआत साल 1989 से हो गई थी। इसमें सबसे नृशंस हत्या रिटार्यड जज नीलकंठ गंजू की थी। बीजेपी नेता टीका लाल टपलू की हत्या के सात हफ्ते बाद ही नीलकंठ गंजू की 4 नवंबर 1989 को श्रीनर हाई स्ट्रीट मार्केट के पास स्थित हाईकोर्ट के पास गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। हत्या के बाद दो घंटे तक उनका शव सड़क पर ही पड़ा रहा था। उनकी हत्या के बाद, रेडियो कश्मीर पर एक घोषणा की गई, “अज्ञात हमलावरों ने श्रीनगर के महाराज बाजार में एक पूर्व सत्र न्यायाधीश की गोली मारकर हत्या कर दी।”
बता दें कि गंजू वो शख्स थे, जिन्होंने आतंकी मकबूल भट को फाँसी की सजा सुनाई थी। टपलू के बाद जस्टिस गंजू भी ऐसे कश्मीरी पंडित बने, जिन्हें आतंकियों ने निशाना बनाया। बाद में में जम्मू कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट के लीडर और अलगाववादी नेता यासीन मलिक ने इस हत्याकांड की जिम्मेदारी ली थी। इसे आतंकी मकबूल भट की मौत का बदला बताया था।
कौन था मकबूल भट?
मकबूल भट जम्मू कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट (JKLF) का संस्थापक था। उसने 1966 में सीआईडी सब इंस्पेक्टर अमर चंद की हत्या कर दी। अगस्त 1968 में मकबूल भट को तत्कालीन सेशन जज नीलकंठ गंजू ने फाँसी की सजा सुनाई। मगर वह तिहाड़ जेल से भाग गया और पाकिस्तान चला गया। साल 1976 में उसने कश्मीर के कुपवाड़ा स्थित एक बैंक में डाका डाला और मैनेजर की हत्या की। इस दौरान वह पकड़ा गया और दोबारा उसे फाँसी की सजा सुनाई गई। मकबूल के आतंकी संगठन ने उसे जेल से छुड़ाने के प्रयास में इंग्लैंड स्थित भारतीय उच्चायोग रविंद्र म्हात्रे का अपहरण कर हत्या कर दी। इसके बाद साल 1984 में उसे फाँसी पर लटका दिया।