कोरोना महामारी के कहर के बीच बांग्लादेश की राजधानी ढाका में फँसे 167 कश्मीरी मेडिकल छात्रों को आज भारतीय दूतावास और एयर इंडिया के सम्वन्य से विशेष विमान से श्रीनगर लाया गया।
इस बीच बांग्लादेश में लंबे समय से फँसे कुछ बच्चों का वीडियो सामने आया। जिसमें सबसे पहले हादिया रशीद नाम की एक छात्रा ने भारत के हाई कमीशन को धन्यवाद कहा और अपने घर सुरक्षित पहुँचाने के लिए उन्हे आभार व्यक्त किया।
इसके अलावा हादिया ने ये भी बताया कि बांग्लादेश में फँसे होने के दौरान उन्हें भारतीय एंबेसी ने लगातार मदद पहुँचाई जिसके लिए वे उनकी तहेदिल से शुक्रगुजार हैं।
इसके बाद एक अन्य छात्र ने विदेश मंत्री एस.जयशंकर को वीडियो के माध्यम से धन्यवाद दिया और भारतीय एंबेसी का भी आभार व्यक्त किया।
छात्र ने कहा कि भारतीय एंबेसी ने कोरोना के कहर के बीच भी जिस प्रकार उसे और अन्य फँसे लोगों को ढाका से निकाला है, इसके लिए वे उनकी सराहना करते हैं।
Kashmiri students stranded in Bangladesh thank Indian Govt, EAM @DrSJaishankar & Indian High Commission in Dhaka for rescuing them amidst #COVID19 pandemic. First repatriation flight leaves for Srinagar from Dhaka at 11am today. 167 Indian Medical Students return home to Kashmir. pic.twitter.com/3PVI7e5ARi
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) May 8, 2020
वीडियो में कुछ अन्य छात्र भी नजर आए। वे मुफ्त यात्रा और एयरपोर्ट पर किए इंतजामों के लिए भारतीय एंबेसी की सराहना करते दिखे। साथ ही ये भी बताते नजर आए कि उनके कॉलेज के 15 छात्र उसी फ्लाइट से अपने घर श्रीनगर लौट रहे हैं।
बता दें, कोरोना वायरस की वजह से दुनियाभर में फँसे भारतीयों को लाने के लिए सरकार का वंदे भारत मिशन गुरुवार को शुरू हो गया है। मिशन के दूसरे दिन दूसरी फ्लाइट बांग्लादेश से आई जो दोपहर करीब 2 बजे श्रीनगर में लैंड हुई।
इस फ्लाइट में 167 मेडिकल स्टूडेंट आए हैं। ये सभी जम्मू-कश्मीर के हैं, जो बांग्लादेश में पढ़ाई कर रहे थे। इससे पहले एक फ्लाइट सिंगापुर से दोपहर 12 बजे दिल्ली पहुँची। इसमें 234 यात्री आए। तीन दूसरे देशों से भी आज एक-एक फ्लाइट आएगी।
उल्लेखनीय है कि 7 मई से शुरू हुए इसे मिशन का पहला फेज 13 अप्रैल तक चलेगा। इस दौरान 12 देशों से 64 विमानों में 14 हजार 800 लोगों को लाने की योजना है।
हालाँकि, इसमें कुछ बदलाव हो सकते हैं। लेकिन, 1990 के खाड़ी युद्ध के बाद ये सबसे बड़ा एयरलिफ्ट ऑपरेशन है। खाड़ी युद्ध के वक्त 1.70 लाख भारतीय एयरलिफ्ट किए गए थे।