कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) की पोल खोलने में जुटे सूफी इस्लामिक बोर्ड ने एक बार फिर से इसे बैन करने की माँग की है। सूफी बोर्ड ने दावा किया है कि कट्टरपंथी इस्लामी संगठन पीएफआई आतंकवादी संगठन अलकायदा से मिला हुआ है और उसी से मिले निर्देशों के आधार पर काम करता है।
इस्लामिक बोर्ड के प्रवक्ता कशिश वारसी ने रिपब्लिक टीवी को दिए इंटरव्यू में पीएफआई पर भारतीय मुस्लिमों को भड़काने का आरोप लगाया है। उन्होंने सनसनीखेज खुलासा करते हुए कहा कि पीएफआई के अलकायदा से मिले होने के खुलासे के बाद उन्हें हत्या की धमकी भी मिली है। वारसी कहते हैं कि पीएफआई को कई राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल पाया गया है। हमें पीएफआई पर बैन लगाने के लिए सरकार से अनुरोध किए कुछ दिन हो चुके हैं। अब जब सूफी बोर्ड को अलकायदा ने हत्या की धमकी दी है तो ये साबित हो चुका है पीएफआई अलकायदा से जुड़ा हुआ है। इसलिए, सरकार को इस पर प्रतिबंध लगाकर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।
दो साल पहले भी लगाया था ऐसा ही आरोप
इससे पहले दिसंबर 2020 में भी सूफी इस्लामिक बोर्ड ने पीएफआई के आतंकियों के साथ मिले होने और मुस्लिम युवाओं को जिहाद के लिए कट्टरपंथी बनाने का आरोप लगाया था। यहीं नहीं सूफी इस्लामिक बोर्ड ने पीएफआई पर उसकी राजनीतिक शाखा सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) के जरिए मुस्लिमों के गुमराह करने का आरोप लगाया था। बोर्ड ने आरोप लगाया कि पीएफआई संगठन देश में मुस्लिमों को जिहाद के लिए भड़काता है और उन्हें यह विश्वास दिलाता है कि मरने के बाद उन्हें जन्नत में ’72 हूरें’ मिलेंगी।
मुस्लिमों में ऐसी धारणा है कि आतंकी जब भी जिहाद में मारे जाते हैं तो स्वर्ग में जाने के बाद ’72 हूर’ यानि कि 72 कुँवारी लड़कियाँ मिलती हैं, जो उनकी यौन इच्छाओं को पूरा करती हैं। इस्लामिक आतंकवादी इस बात में विश्वास करते हैं। आतंकवादी संगठन आईएसआईएस, अल-कायदा, बोको हराम जैसे संगठन नए आतंकियों को लालच देने और उन्हें भर्ती करने के लिए ऐसे वादे करते हैं।
मुस्लिमों को कट्टरपंथी बनाने के सूफी इस्लामिक बोर्ड के आरोप के बाद हाल ही में PFI ने उसे मानहानि का नोटिस भी भेजा था। इसके जबाव में बोर्ड ने दो टूक कहा था कि वे तब तक नहीं रुकेंगे जब तक भारत में पीएफआई पर प्रतिबंध नहीं लगाया जाता क्योंकि वो भारत के युवाओं को कट्टर बना रहा है।
केरल हाई कोर्ट ने भी कहा था कट्टरपंथी
एक केस की सुनवाई के दौरान हाल ही में केरल हाई कोर्ट ने भी इस बात को स्वीकार किया था कि इसमें किसी तरह का कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) और इसकी मूल संस्था पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) दोनों चरमपंथी संगठन हैं। हाई कोर्ट के जस्टिस हरिपाल ने कहा था, “इसमें कोई शक नहीं, एसडीपीआई और पीएफआई चरमपंथी संगठन हैं जो हिंसा के गंभीर कृत्यों में लिप्त हैं। वहीं, वे प्रतिबंधित संगठन नहीं हैं।”
केरल हाई कोर्ट के मुताबिक, एसडीपीआई और पीएफआई का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लोगों को टार्गेट कर उनपर हमले करने का पुराना इतिहास रहा है। कोर्ट ने ये टिप्पणी मारे गए आरएसएस कार्यकर्ता ए संजीत की पत्नी की याचिका पर सुनवाई करते हुए की थी। इसमें उन्होंने मामले की सीबीआई जाँच की माँग की थी। आरोप था कि एसडीपीआई के कार्यकर्ताओं ने पलक्कड़ के एल्लापल्ली में 26 साल के आरएसएस कार्यकर्ता संजीत की हत्या उनकी पत्नी के सामने ही कर दी थी।