हिंदुस्तान के इतिहास में सबसे संवेदनशील मामले को लेकर हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने सारी सुनवाई पूरी करने के बाद अपना फैसला सुरक्षित कर लिया। कई लोग कई तरह के कयास लगा रहे हैं। दोनों पक्षों में मध्यस्तता करने की कई कोशिशें की गईं मगर हर बार उनके विफल होने की ही खबरें सामने आईं। सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील ने पुष्टि की है कि मध्यस्था पैनल के माध्यम से हिन्दू पक्षों के सामने एक समझौते का मसौदा पेश किया गया था।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भूमि विवाद को सुलझाने के लिए पैनल ने अपनी ओर से एक रिपोर्ट दायर की थी जिसमें समझौता सम्बन्धी कुछ दस्तावेज़ हैं। मामले में सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से अधिवक्ता शाहिद रिज़वी ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा था कि ‘आप उन कामों को करना चाहते हैं जो कभी नहीं कर सकते तो आप उन्हें अंत समय में भी कर सकते हैं। अदालत के बहार दोनों पक्षों ने अपनी अपनी शर्तों के साथ अपनी बात रखी हैं’।
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की पाँच जजों वाली संविधान पीठ ने 40 दिन तक लगातार सुनवाई करने के बाद बुधवार को सुनवाई पूरी करते ही अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। चूँकि, मामला आपराधिक नहीं बल्कि सिविल है इसलिए फैसले की घोषणा से पहले समझौता भी हो सकता है।
दरअसल मामले में निर्वाणी अखाड़ा, राम-जन्मभूमि पुनरुद्धार समिति और कुछ अन्य हिन्दू पक्ष भी इस मामले में भूमि विवाद के निपटारे के पक्ष में हैं। जबकि मामले में प्रमुख वादी विश्व हिन्दू परिषद के समर्थन वाला रामजन्मभूमि न्यास और रामलला विराजमान सहित 6 अन्य पक्षकार हैं।