सुप्रीम कोर्ट ने आज (30 जून 2021) योगगुरु बाबा रामदेव की याचिका पर सुनवाई की। शीर्ष अदालत ने COVID-19 के एलोपैथी इलाज को लेकर उनके बयानों का अनएडिटेड वीडियो और टेप पेश करने को कहा है। याचिका में बाबा रामदेव ने विभिन्न राज्यों में दर्ज एफआईआर को समेकित कर दिल्ली ट्रांसफर करने की अपील की है।
याचिका पर मुख्य न्यायधीश एनवी रमना, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस ऋषिकेश रॉय की बेंच ने सुनवाई की। बाबा रामदेव का पक्ष रखते हुए वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि डॉक्टरों के लिए उनके मन में पूरा सम्मान है। इसी कारण पिछले साल जब उन्होंने कोरोनिल निकाली और डॉक्टरों ने इसका विरोध किया तो उन्होंने उसे वापस ले लिया था।
रोहतगी ने कहा कि सभी को अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार है। जो वीडियो वायरल हुआ है वह आंशिक था और सही नहीं था। हम सही वीडियो कोर्ट में जमा कराएँगे। इसके अलावा रोहतगी ने सर्वोच्च न्यायालय से बाबा रामदेव के खिलाफ देशभर में दर्ज केसों को दिल्ली ट्रांसफर करने का आग्रह किया है। अब इस मामले में 5 जुलाई को अगली सुनवाई होगी।
गौरतलब है कि बाबा रामदेव द्वारा एलोपैथी को लेकर दिए गए बयान के बाद इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। बाबा के खिलाफ बिहार और रायपुर में एफआईआर दर्ज कराई गई थी। इसके अलावा आईएमए ने योगगुरु को 1000 करोड़ रुपए का नोटिस भी भेजा था।
इससे पहले इसी महीने 3 जून 2021 को दिल्ली की हाईकोर्ट ने बाबा रामदेव की कोरोनिल और उनके वीडियो के खिलाफ दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन की याचिका को यह कहते खारिज कर दिया था कि वह उनका अपना विचार है। इसे अभिव्यक्ति की आजादी के तौर पर देखा जाना चाहिए।
हाई कोर्ट ने कहा था, “अगर मुझे लगता है कि कुछ विज्ञान फर्जी है, कल मुझे लगता है कि होम्योपैथी नकली है… तो क्या आपका मतलब है कि वे मेरे खिलाफ मुकदमा दायर करेंगे? यह जनता की राय है। रामदेव एक व्यक्ति हैं। उन्हें एलोपैथी पर विश्वास नहीं है। उनका मानना है कि योग और आयुर्वेद से सब कुछ ठीक हो सकता है। अब ये सही या गलत हो सकता है। एलोपैथिक किसी के लिए काम करती है और किसी के लिए नहीं, यह सबका अपना-अपना नजरिया है। हम इस मामले में नोटिस जारी कर सकते हैं, लेकिन हम रामदेव को रोक नहीं सकते हैं।”