आप एक खतरनाक आदमी हैं। लाइवलॉ की रिपोर्ट के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अगुवाई वाली पीठ ने यह टिप्पणी अब्दुल नजीर मदनी पर की। मदनी बेंगलुरु में 2008 में हुए सीरियल ब्लास्ट का आरोपित है। पीडीपी नेता मदनी ने जमानत शर्तों में छूट की गुहार लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर रखी है। इस पर सोमवार को तीन सदस्यीय पीठ ने सुनवाई की। पीठ में सीजेआई बोबडे के अलावा जस्टिस बोपन्ना और जस्टिस रामासुब्रमण्यम शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने 11 जुलाई 2014 को मदनी को स्वास्थ्य के आधार पर जमानत दी थी। न्यायालय ने मदनी को जमानत देते हुए उसे बेंगलुरु शहर नहीं छोड़ने और जमानत अवधि के दौरान अपने ठहरने के बारे में जानकारी मुहैया कराने को भी कहा था। इसके बाद कई बार उसकी जमानत अवधि बढ़ाई गई।
न्यायमूर्ति जे. चेलमेश्वर और न्यायमूर्ति एके गोयल की पीठ ने मदनी को साल 2015 में बीमार माँ को देखने के लिए जमानत देते हुए कहा था कि वह अपनी आजादी का दुरुपयोग नहीं करे। इसको लेकर आज मदनी की ओर से अदालत में पेश हुए वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि उसने अपनी जमानत शर्तों का दुरुपयोग नहीं किया है।
गौरतलब है कि केरल के पूर्व मुख्यमंत्री और कॉन्ग्रेस नेता ओमन चांडी ने बेंगलुरु ब्लास्ट के मुख्य आरोपी मदनी को बिना मुकदमे के अनिश्चितकाल तक जेल में रखने को अनुचित बताया था। चांडी ने कहा था कि कर्नाटक की जेल में बंद मदनी के खिलाफ मामले के तथ्यात्मक पहलुओं पर नहीं ध्यान दिया गया, पीडीपी नेता को इस तरह कैद में रखना ठीक नहीं है।
ओमन चांडी ने कर्नाटक में बेंगलुरु के एक हेल्थ रिसॉर्ट में मदनी से मुलाकात भी की थी। इस पर अभियोजन टीम के एक सदस्य ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि मदनी गंभीर अपराध के मामले में हिरासत में था। वह कथित तौर पर आतंकी गतिविधियों में संलिप्त था। अगर मुख्यमंत्री ऐसे किसी आरोपी से मिलते हैं, तो यह घातक साबित हो सकता है।
बता दें कि बेंगलुरु में जुलाई 2008 में सिलसिलेवार बम धमाके की घटना को अंजाम दिया गया था। इसमें पुलिस ने 32 आरोपितों की पहचान की थी, जिनमें से 22 को अब तक गिरफ्तार किया जा चुका है। इस पूरे मामले में शोएब नाम के शख्स की अहम भूमिका थी।