गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की माँग लंबे समय से चल रही है। इसी सिलसिले में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने का निर्देश देने की अपील की गई थी। हालाँकि, सोमवार (10 अक्टूबर, 2022) को सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करने से इनकार करते हुए याचिका खारिज कर दी। जस्टिस एस के कौल और जस्टिस अभय एस ओका की बेंच ने याचिकाकर्ता से पूछा कि आखिर गाय के राष्ट्रीय पशु न होने से कौन सा मौलिक अधिकार प्रभावित हो रहा है जो आपने अनुच्छेद 32 के तहत याचिका दायर की है?
उन्होंने सवाल किया कि आप ऐसी चिढ़ वाली याचिकाओं के साथ कोर्ट में क्यों आते हैं। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा, “क्या यह अदालत का काम है? आप ऐसी याचिकाएँ दायर ही क्यों करते हैं कि हमें उस पर जुर्माना लगाना पड़े? कौन-से मौलिक अधिकार का उल्लंघन हुआ? आप अदालत आए हैं तो क्या हम नकारात्मक नतीजे की परवाह किए बिना इस पर सुनवाई करें?”
सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि गौ संरक्षण बहुत जरूरी है। इसके बाद, सुप्रीम कोर्ट की ओर से वकील को आगाह किया कि याचिकाकर्ता पर जुर्माना लगाया जाएगा। इसके बाद उन्होंने याचिका वापस ले ली और मामले को खारिज कर दिया गया। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट गैर-सरकारी संगठन (NGO) ‘गोवंश सेवा सदन’ और अन्य की एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था। इसमें केन्द्र सरकार को गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने का निर्देश देने का माँग की गई थी।
दरअसल, गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की माँग लंबे समय से की जा रही है। दिसंबर 2021 में राज्यसभा में भाजपा सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने गौ हत्या पर रोक लगाने के लिए केंद्रीय कानून बनाए जाने की माँग की थी। किरोड़ी लाल मीणा ने गौहत्या पर रोक के लिए केंद्रीय कानून बनाने के साथ ही गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की माँग की थी।
राज्यसभा के शून्यकाल के दौरान किरोड़ीलाल मीणा ने कहा था जब किसी देश की संस्कृति और उसकी आस्था को ठेस पहुँचती है, तो देश कमजोर होता है। उन्होंने बताया था कि चाणक्य ने अर्थशास्त्र में लिखा है कि किसी देश को नष्ट करना है, तो पहले उसकी संस्कृति नष्ट कर दो, देश अपने आप ही नष्ट हो जाएगा। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए ज्यादातर राज्यों में गौ-हत्या पर रोक है।
उन्होंने विशेष उल्लेख के जरिए यह भी कहा था कि सनातन धर्म में गाय को माता मानकर पूजा जाता है। गाय हिंदू संस्कृति का मजबूत प्रतीक और आस्था का केंद्र है। इसलिए जब कोई भी गौ हत्या कर देता है, तो सामाजिक सौहार्द्र बिगड़ जाता है। गाय का मांस खाना किसी का मौलिक अधिकार नहीं हो सकता, बल्कि जो लोग गाय की पूजा करते हैं, गाय की रक्षा करना उनका सबसे बड़ा कर्तव्य है।