सुप्रीम कोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप (Live-in Relationship) के लिए रजिस्ट्रेशन की माँग वाली याचिका को खारिज कर दिया। साथ ही कोर्ट ने याचिकाकर्ता को जमकर फटकार लगाई। कोर्ट ने पूछा है कि ऐसी याचिका से सुरक्षा को बढ़ावा देने की कोशिश हो रही है या फिर लिव-इन को रोकने की? दिल्ली में हुई श्रद्धा वॉकर की हत्या के बाद यह याचिका दायर की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायाधीश पीएस नरसिम्हा और न्यायधीश जेबी पादरीवाला की बेंच ने सोमवार (20 मार्च 2023) को मामले की सुनवाई की। लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर दायर की गई इस याचिका पर कोर्ट ने याचिकाकर्ता ममता रानी से पूछा, “यह क्या है? लोग यहाँ कुछ भी लेकर आते हैं। हम ऐसे मामलों पर जुर्माना लगाना शुरू करेंगे। किसके साथ रजिस्ट्रेशन? केंद्र सरकार के साथ? केंद्र सरकार का लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले लोगों से क्या लेना-देना है?”
Plea seeking guidelines and rules to register all live-in relationships
— Bar & Bench (@barandbench) March 20, 2023
CJI DY Chandrachud: are you trying to foster the security of these people or not let people be in live in relationships? Please. Cost should be imposed on these petitions. Just hare-brained petitions that is… https://t.co/jBOniZBjnE pic.twitter.com/vTqxqgfRJi
साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर आश्चर्य जताते हुए याचिकाकर्ता से यह भी पूछा कि लिव-इन-रिलेशनशिप को लेकर रजिस्ट्रेशन जरूरी करने की माँग वाली याचिका का उद्देश्य सुरक्षा को बढ़ावा देना है या फिर इसकी आड़ में लिव-इन में रहने वालों को रोकने की कोशिश की जा रही है?
दरअसल, याचिकाकर्ता ममता रानी ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर लिव-इन-रिलेशनशिप में रहने वाले लोगों के लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य करने की माँग की थी। इस याचिका में कहा गया था, “माननीय न्यायालय ने कई बार लिव-इन में रहने वाले लोगों की रक्षा की है। कोर्ट ने ऐसे कई फैसले सुनाए हैं जो लिव-इन पार्टनरशिप में रहने वालों की सुरक्षा कर रहे हैं। चाहे वह महिला हो, पुरुष हो या यहाँ तक कि लिव-इन से पैदा हुए बच्चों को भी कोर्ट ने सुरक्षा दी है।”
याचिका में यह भी कहा गया था कि लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर कोई खास नियम और दिशानिर्देश नहीं हैं। इसलिए इस रिलेशनशिप में हो रहे अपराधों में बढ़ोतरी हुई है। इसमें बलात्कार और हत्या जैसे प्रमुख अपराध शामिल हैं। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में लिव-इन पार्टनर द्वारकिए हाल के दिनों में किए गए अपराध का जिक्र भी किया था। इसमें दिल्ली के महरौली में हुई श्रद्धा वॉकर की हत्या की बात भी कही गई थी।
ममता रानी नामक महिला ने इस जनहित याचिका में न केवल लिव-इन रिलेशनशिप से संबंधित कानून बनाने की माँग की थी। बल्कि सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया था कि वह केंद्र सरकार को लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे लोगों की सही संख्या का पता करने का आदेश जारी करे। याचिका में यह तर्क दिया गया था कि लिव-इन में रहने वाले लोगों का सही आँकड़ा इसके लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य करने के बाद ही हासिल किया जा सकता है।
याचिका में यह भी कहा था कि लिव-इन रिलेशनशिप में केंद्र सरकार द्वारा रजिस्ट्रेशन न कर पाना संविधान के अनुच्छेद 19 और अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है। हालाँकि सुप्रीम कोर्ट ने तमाम दलीलें सुनने के बाद याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए याचिका खारिज कर दी।