सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (29 जून 2021) को सेंट्रल विस्टा के निर्माण कार्य को रोकने को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है। इसमें इंडिया गेट के आसपास निर्माण कार्य को रोकने को लेकर निर्देश देने को लेकर याचिका दायर की गई थी। शीर्ष अदालत ने दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश का समर्थन करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता ने कोरोना का कारण बताया था, जो कि सेलेक्टिव है।
[BREAKING] Supreme Court dismisses appeal against Delhi High Court order refusing to halt Central Vista construction
— Bar & Bench (@barandbench) June 29, 2021
report by @DebayonRoy #SupremeCourtofIndia #CentralVista
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सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को संभावित दृष्टिकोण करार दिया। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि कोरोना का हवाला देकर एक ही प्रोजेक्ट रोकने की माँग क्यों की? क्या उसने अन्य प्रोजेक्ट के बारे मे कोई रिसर्च की थी? सिर्फ एक प्रोजेक्ट को क्यों चुना?
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के ठेकेदार द्वारा कोरोना की गाइडलाइंस का पालन करने के बावजूद याचिकाकर्ता ने जनहित याचिका को आगे बढ़ाया।
इस केस की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने की। इसमें जस्टिस एएम खानविलकर, दिनेश माहेश्वरी और अनिरुद्ध बोस शामिल रहे। बेंच ने याचिकाकर्ता को एक ही परियोजना को टार्गेट करने के लिए फटकार लगाते हुए कहा कि इसी तरह की परियोजनाएँ कई जगह चल रही हैं।
जस्टिस दिनेश माहेश्वरी ने याचिकाकर्ताओं के वकील सिद्धार्थ लूथरा से स्पष्ट रूप से पूछा कि आखिर एक ही परियोजना को क्यों चुना गया? उन्होंने कहा, “क्या जो निर्माण कार्य पहले से चल रहे थे उनके बारे में रिसर्च किया? क्या आपकी याचिका में ये सारी चीजें दिखाई देती हैं?”
इस पर याचिका के एनेक्सचर का जिक्र करते हुए लूथरा ने जवाब दिया, “हमने सेंट्रल विस्टा के लिए मिली अनुमति को चुनौती दी थी। साथ ही हमने DDMA के आदेश को भी रिकॉर्ड में रखा था, जिसने साइट पर निर्माण की अनुमति दी थी। हमने CPWD से आवाजाही के लिए जारी किए गए परमीशन लेटर को भी रिकॉर्ड में शामिल किया है, जिसमें इसे इशेंसियल सर्विस करार दिया है। हमने कहा है कि यह एक आवश्यक सेवा नहीं है।”
हालाँकि, सुनवाई के दौरान बेंच ने ये कई बार स्पष्ट किया कि सेंट्रल विस्टा परियोजना के सभी कार्यों में कोविड प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा है। दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश में भी यही कहा गया है।
मामले में जस्टिस एमएम खानविलकर ने कहा, “आपकी चिंता यह थी कि सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट नियमों का पालन नहीं किया गया। लेकिन, जब यह पाया गया है कि इसमें नियमों का पालन किया जा रहा है तो याचिका पर कार्रवाई कैसे की जा सकती है।”
इस पर तर्क वकील लूथरा ने तर्क दिया कि उन्होंने निर्माण को रोकने की दलील ऐसे समय में दी थी, जब महामारी फैल रही थी। लूथरा के इस जवाब पर बेंच ने हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील करने की उनकी मंशा पर सवाल उठाया। क्योंकि लूथरा ने दावा किया था कि उनकी चिंता केवल निश्चित समय के लिए थी, जिस पर सरकार और उच्च न्यायालय ने जवाब दिया था।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, याचिका की पेंडेंसी के दौरान यह ऑन रिकॉर्ड है कि परियोजना का सही तरीके से पालन किया गया है। इस हलफनामें को चुनौती नहीं दी गई थी। बावजूद इसके याचिकाकर्ताओं ने उन कारणों के लिए याचिका को आगे बढ़ाया, जिसके बारे में वे पहले से जानते थे।”
Order: More particularly, it is during the pendency of the petition, it was placed on record that project was fully complied. This affidavit was not challenged. Despite that, the Petitioners pursued the petition for reasons best known to them.#SupremeCourt #CentralVista
— Live Law (@LiveLawIndia) June 29, 2021
इसके बाद लूथरा ने अपने क्लाइंट और याचिकाकर्ता अनुवादक अन्या मल्होत्रा और इतिहासकार सोहेल हाशमी व एक डॉक्युमेंट्री फिल्म निर्माता पर लगाए गए जुर्माने पर भी सवाल उठाया।
शीर्ष अदालत ने याचिकाओं को मोटिवेटेड करार देते हुए कहा, जुर्माने को माफ नहीं किया जा सकता है। वे (याचिकाकर्ता) हाई कोर्ट के निष्कर्षों को चुनौती नहीं दे सकते हैं, क्योंकि वो एक संभावित दृष्टिकोण था। हाई कोर्ट ने एक लाख रुपए का जुर्माना इसलिए लगाया था क्योंकि याचिका मोटिवेटेड थी। हम याचिका को खारिज करते हैं।”
Order: They cannot now challenge the findings of HC whose opinion is a possible view. The imposition of Rs. 1 lakhs by HC was on the basis that petition only with regard to one public project and was motivated. We dismiss the plea. #SupremeCourt #CentralVista
— Live Law (@LiveLawIndia) June 29, 2021
इसी के साथ शीर्ष अदालत ने याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि हाई कोर्ट के फैसले में कोई हस्तक्षेप आवश्यक नहीं है।
जस्टिस माहेश्वरी ने टिप्पणी की, “हमारी व्यवस्था को संदिग्ध जनहित याचिकाओं ने काफी दिक्कतें दी हैं। पीआईएल की अपनी पवित्रता है, जो कि हम सभी के लिए है। लेकिन, इसे दायर करने का यह सही तरीका नहीं है।”
Justice Dinesh Maheshwari: Questionable PILs have caused problems to our system. PIL has its own sanctity and is for all of us. But, this is not the way to pursue this.
— Live Law (@LiveLawIndia) June 29, 2021
Matter is over. #SupremeCourt #CentralVista
पिछले महीने दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज की थी याचिका
सेंट्रल विस्टा परियोजना पर रोक के लिए दायर याचिका को पिछले महीने ही दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया था। इसके साथ ही कोर्ट ने मोटिवेटेड याचिका दायर करने के लिए याचिकाकर्ता पर एक लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया था।
वहीं केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि याचिका परियोजना को रोकने के लिए एक “मुखौटा” और “स्वांग” थी, जिस पर खंडपीठ ने सहमति व्यक्त किया। साथ ही याचिको को हाईली मोटिवेटेड करार दिया।