पेपरलीक और परीक्षा में अनियमितता से संबंधित याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (18 जुलाई 2024) को सुनवाई की। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि NEET-UG 2024 की दोबारा परीक्षा तभी संभव हो सकती है, जब ‘ठोस आधार’ पर यह बात सामने आए कि मेडिकल प्रवेश परीक्षा की पवित्रता बड़े पैमाने पर ‘प्रभावित’ हुई है।
भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने यह टिप्पणी की। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट की पीठ NEET-UG विवाद से संबंधित कदाचार और अनियमितताओं से संबंधित 40 से अधिक याचिकाओं पर सुनवाई शुरू कर रही है। इन याचिकाओं में परीक्षा को रद्द करके NEET की परीक्षा दोबारा कराने की माँग की गई है। पीठ में सीजेआई के अलावा जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा हैं।
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नरेन्द्र हुड्डा दलील पेश कर रहे थे। CJI चंद्रचूड ने हुड्डा से कहा कि यह स्पष्ट किया जाना चाहिए कि पेपरलीक व्यवस्थित था और इसने पूरी परीक्षा को इस तरह प्रभावित किया कि पूरी परीक्षा को रद्द करना आवश्यक हो गया है। CJI ने कहा, “केवल इसलिए कि 23 लाख में से केवल 1 लाख को प्रवेश मिलेगा, हम दोबारा परीक्षा का आदेश नहीं दे सकते।”
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने अधिवक्ता हुड्डा से देश भर के सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों में सीटों की संख्या के बारे में भी पूछा। इस पर वरिष्ठ अधिवक्ता हुड्डा ने पीठ को बताया कि यह संख्या 1,08,000 है। उन्होंने तर्क दिया कि दोबारा परीक्षा होने पर केवल उतने ही अभ्यर्थी होंगे, जितने पहले 23 लाख अभ्यर्थी शामिल हुए थे।
मुख्य न्यायाधीश ने हुड्डा से उन स्थितियों पर भी जवाब माँगा, जब कोई अभ्यर्थी ‘वैध रूप से’ 1,08,000 परीक्षार्थियों की श्रेणी में नहीं आता। इस पर हुड्डा ने कहा कि शेष 22 लाख उम्मीदवार एक मौका पाना चाहेंगे। इस पर CJI ने कहा, “हम केवल इसलिए दोबारा परीक्षा का आदेश नहीं दे सकते, क्योंकि वे दोबारा परीक्षा देना चाहते हैं। यह तभी हो सकता है जब परीक्षा की पवित्रता प्रभावित हुई हो।”
दरअसल, केंद्र सरकार और NEET-UG परीक्षा आयोजित करने वाली राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी– NTA ने फिर से परीक्षा कराने की माँग का विरोध किया है। केंद्र और एजेंसी ने कहा कि कथित कदाचार और अनियमितताएँ स्थानीय स्तर की हैं और इससे संपूर्ण मेडिकल परीक्षा की पवित्रता पर कोई असर नहीं पड़ा है।
इससे पहले केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया था। इस हलफनामे में कहा गया था कि आईआईटी-मद्रास द्वारा आयोजित नीट-यूजी 2024 परिणामों के डेटा विश्लेषण से पता चला है कि न तो बड़े पैमाने पर कदाचार का कोई संकेत था और न ही उम्मीदवारों का कोई स्थानीय समूह इससे लाभान्वित हो रहा था और ना ही असामान्य रूप से उच्च अंक प्राप्त कर रहा था।
NTA ने भी अलग से हलफनामा पेश करते हुए कहा कि राष्ट्रीय, राज्य और शहर स्तर पर अंकों के वितरण के उसके विश्लेषण से पता चला है कि कुछ नीट उम्मीदवारों द्वारा प्राप्त किए गए उच्च अंक व्यवस्थित विफलता नहीं थे। परीक्षा आयोजित कराने वाली इस एजेंसी ने आगे कहा कि पाठ्यक्रम में लगभग 25 प्रतिशत की कमी से उम्मीदवारों को परीक्षा में बेहतर अंक प्राप्त करने में मदद मिली।