सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (10 अक्टूबर, 2022) को हुई सुनवाई के दौरान दिल्ली में पटाखों पर प्रतिबंध हटाने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह दिल्ली में पटाखों से प्रतिबंध नहीं हटाएँगे, उनका आदेश बिल्कुल स्पष्ट है। इसका सीधा मतलब यह है कि इस दीवाली भी पटाखों पर बैन लगा रहेगा और दिल्ली वाले यह दीवाली भी बिना पटाखों के ही मनाएँगे।
दिल्ली बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष और सांसद मनोज तिवारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण के स्तर पर चिंता जताई है। सुप्रीम कोर्ट में एम आर शाह की बेंच ने कहा है कि दिल्ली में पर्यावरण की स्थिति बेहद ही खराब हो चुकी है। यहाँ लोगों को साँस लेने में भी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। ऐसी स्थिति में पटाखों पर लगे बैन को हटाया नहीं जा सकता है। अगर ऐसा करते हैं, तो प्रदूषण अपने चरम पर पहुँच जाएगा।
इस याचिका में सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता मनोज तिवारी से कहा कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से पटाखों पर प्रतिबंध को लेकर हमारा आदेश बिल्कुल स्पष्ट है। हम पटाखों की अनुमति कैसे दे सकते हैं, भले ही वे ग्रीन पटाखे हों। क्या आपने दिल्ली का प्रदूषण देखा है? सुप्रीम कोर्ट ने वर्तमान याचिका को अन्य लंबित मामलों के साथ जोड़ते हुए यह भी कहा कि पराली के मौसम भी आ रहा है। ऐसे में ग्रीन पटाखों के उपयोग को भी प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। अगले कुछ दिन हम सभी के लिए बेहद कठिन होंगे।
दरअसल, दिल्ली सरकार ने आदेश जारी कर आगामी 1 जनवरी, 2023 तक पटाखों के उत्पादन, भंडारण, बिक्री और इसके इस्तेमाल पर पूरी तरह रोक लगा दी गई थी। यहाँ तक कि पटाखों की ऑनलाइन बिक्री पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था। दिल्ली सरकार के इस फैसले का पटाखा व्यावसायियों ने विरोध करते हुए इसे निराशाजनक बताया था। इसके बाद ही, मनोज तिवारी ने दिल्ली में पटाखा बैन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। उन्होंने अपनी याचिका में दिल्ली सरकार के उस आदेश को चुनौती देते हुए कहा था कि सरकार के आदेश में हिंदुओं, सिखों, ईसाइयों और अन्य लोगों के त्यौहारी सीजन के दौरान पटाखों की बिक्री, खरीद और उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है।
उन्होंने अपनी याचिका में सभी राज्यों को यह निर्देश देने की भी माँग की थी कि आगामी त्यौहारी सीजन के दौरान पटाखों की बिक्री या उपयोग करने वाले आम लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने जैसी कोई भी दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाए।
मनोज तिवारी ने याचिका में कहा था, “दीपावली जैसे त्योहारों के मौसम में इस तरह की गिरफ्तारी और प्राथमिकी से न केवल बड़े पैमाने पर समाज में एक बहुत बुरा संदेश जाता है। बल्कि, अनावश्यक रूप से लोगों में भय और गुस्सा भी पैदा हुआ है।” गौरतलब है, गत वर्ष कोर्ट ने कहा था कि पटाखों के उपयोग पर पूरी तरह से प्रतिबंध नहीं है। केवल वे पटाखे जिनमें बेरियम एसिड होता है वह पूरी तरह बैन है। सुप्रीम कोर्ट के रुख से साफ है कि दिवाली, छठ पूजा, गुरु नानक जयंती, क्रिसमस और नए साल पर दिल्ली में पटाखों पर प्रतिबंध जारी रहेगा।