Thursday, November 21, 2024
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RG Kar अस्पताल में डॉक्टर बिटिया संग बर्बरता से हिल गया पूरा देश, पर पश्चिम बंगाल सरकार की नहीं टूट रही नींद: सुप्रीम कोर्ट ने ‘सुस्ती’ पर लताड़ा, जारी रहेगी हड़ताल

सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को चेतावनी दी कि अगर 15 अक्टूबर तक सुधार नहीं हुआ तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।

सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को अस्पतालों में डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में हो रही देरी पर कड़ी फटकार लगाई। यह मामला 9 अगस्त 2024 को कोलकाता के RG कर मेडिकल कॉलेज में महिला डॉक्टर के साथ हुई बलात्कार और हत्या से जुड़ा है। कोर्ट ने सरकार से सुरक्षा उपायों की धीमी प्रगति पर सवाल उठाए, विशेषकर CCTV कैमरों और अन्य सुरक्षा इंतजामों की कमी को लेकर। कोर्ट ने चेतावनी दी कि अगर 15 अक्टूबर तक सुधार नहीं हुआ तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।

इसी बीच, पश्चिम बंगाल जूनियर डॉक्टर्स फ्रंट ने प्रेस रिलीज जारी कर सरकार और न्यायिक प्रक्रिया में देरी पर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि कई महीनों बाद भी अस्पतालों में सुरक्षा के पर्याप्त कदम नहीं उठाए गए हैं, जिससे डॉक्टर असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। जूनियर डॉक्टरों ने सरकार से जल्द और ठोस सुरक्षा इंतजामों की माँग की है। डॉक्टरों का कहना है कि सुरक्षा उपायों की कमी के कारण कई घटनाएँ रोकी जा सकती थीं, यदि समय पर कार्रवाई की जाती।

सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को लगाई फटकार

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने पश्चिम बंगाल सरकार से पूछा कि राज्य के अस्पतालों में डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए CCTV कैमरे, ड्यूटी रूम, और शौचालय जैसे बुनियादी उपायों की अब तक कितनी प्रगति हुई है। सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने बताया कि बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं के कारण काम में देरी हुई है, और अब तक केवल 22% CCTV कैमरे स्थापित किए गए हैं।

कोर्ट ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई और पूछा, “50% से अधिक काम किसी भी क्षेत्र में पूरा क्यों नहीं हुआ है? डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में इतनी धीमी गति क्यों है?” कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को निर्देश दिया कि वह 15 अक्टूबर तक सुरक्षा उपायों को तेजी से लागू करे। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए इस मामले में कार्रवाई शुरू की थी।

इससे पहले, कोलकाता हाईकोर्ट ने इस मामले की जाँच केंद्रीय जाँच ब्यूरो (CBI) को सौंप दी थी। कोर्ट ने डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक राष्ट्रीय टास्क फोर्स बनाने का आदेश दिया था और साथ ही अस्पताल में केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) की तैनाती के आदेश भी दिए थे। कोर्ट ने राज्य सरकार से डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर उठाए गए कदमों पर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा और CBI से भी मामले में प्रगति की जानकारी माँगी। अदालत ने यह भी आदेश दिया कि सुरक्षा उपायों में तेजी लाई जाए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।

सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के आखिर में कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार को डॉक्टरों की सुरक्षा में तेजी लाने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। अदालत ने सॉलिसिटर जनरल को निर्देश दिया कि वह अगली सुनवाई में यह जानकारी दें कि क्या अस्पताल में कोई ऐसा व्यक्ति है, जिस पर अपराध या वित्तीय अनियमितता के आरोप हैं। यदि CBI द्वारा ऐसे लोगों के खिलाफ पर्याप्त सबूत पेश किए जाते हैं, तो उनके खिलाफ सेवा नियमों के तहत कार्रवाई की जाएगी। राज्य सरकार की ओर से अदालत को सूचित किया गया कि पहले ही पाँच डॉक्टरों को निलंबित किया जा चुका है, और यदि और लोगों के खिलाफ सबूत मिलते हैं, तो उन पर भी कार्रवाई की जाएगी। कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि सुरक्षा उपायों में और देरी होती है, तो राज्य सरकार को इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।

पीड़िता की पहचान-तस्वीरों को लेकर भी सुप्रीम कोर्ट सख्त

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया पर पीड़िता की तस्वीरें और वीडियो साझा करने को लेकर भी नाराजगी जताई। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि विकिपीडिया पर पीड़िता की पहचान उजागर न करने का जो आदेश दिया गया था, वह सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर लागू होगा। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को सूचित किया कि इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MEITY) एक नोडल अधिकारी नियुक्त करेगा, जो इस तरह की सामग्री पर निगरानी रखेगा और उसे हटाने के निर्देश देगा। कोर्ट ने इस मामले में MEITY को दिशानिर्देश तैयार करने के लिए भी कहा।

जारी रहेगी डॉक्टरों की हड़ताल

इस बीच, पश्चिम बंगाल जूनियर डॉक्टर्स फ्रंट ने सोमवार (1 अक्टूबर 2024) को एक प्रेस रिलीज जारी कर राज्य सरकार और न्यायिक प्रक्रिया में हो रही देरी पर गहरी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि 9 अगस्त की घटना के बाद भी अस्पतालों में सुरक्षा के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। प्रेस रिलीज में कहा गया कि राज्य के अस्पतालों में CCTV कैमरों की कमी और सुरक्षा अधिकारियों की तैनाती में देरी के कारण डॉक्टरों को असुरक्षित महसूस हो रहा है।

जूनियर डॉक्टरों ने स्पष्ट किया कि अस्पतालों में सुरक्षा सुनिश्चित किए बिना मरीजों का इलाज करना संभव नहीं है। उनका कहना था कि यदि सरकार ने पहले से सुरक्षा उपाय लागू किए होते, तो इस घटना को रोका जा सकता था। जूनियर डॉक्टरों ने सरकार पर यह भी आरोप लगाया कि पिछले कई महीनों से उनकी शिकायतों को अनसुना किया गया है और अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।

डॉक्टरों ने अपनी पाँच प्रमुख माँगें भी सरकार के सामने रखीं थी, जिसमें अस्पतालों में CCTV कैमरे लगाने, सुरक्षा गार्डों की संख्या बढ़ाने, और बायोमेट्रिक पहचान प्रणाली लागू करने जैसी माँगें शामिल थीं। डॉक्टरों का कहना था कि सरकार ने इन माँगों पर अब तक ध्यान नहीं दिया है और अस्पतालों में सुरक्षा की स्थिति बदतर होती जा रही है।

प्रेस रिलीज़ में जूनियर डॉक्टरों ने राज्य सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि कई सरकारी अस्पतालों में आज भी बुनियादी सुरक्षा उपायों की कमी है। उन्होंने बताया कि कई अस्पतालों में डॉक्टरों और उनके परिवारों के साथ हिंसा की घटनाएँ हो रही हैं, जिनमें शारीरिक हमले भी शामिल हैं। डॉक्टरों ने यह भी कहा कि अगर अस्पतालों में ICU और अन्य सुविधाओं को बेहतर किया जाता, तो कई घटनाएं रोकी जा सकती थीं।

डॉक्टरों का यह भी कहना था कि सागर दत्ता अस्पताल में हाल ही में एक मरीज की मौत हो गई थी, जिसे समय पर इलाज मिल जाता तो शायद उसकी जान बचाई जा सकती थी। डॉक्टरों ने राज्य सरकार से यह सवाल उठाया कि ऐसी घटनाओं की जिम्मेदारी कौन लेगा और कब तक मरीजों और डॉक्टरों की सुरक्षा को नजरअंदाज किया जाएगा।

गौरतलब है कि 9 अगस्त 2024 को कोलकाता के मशहूर RG कर मेडिकल कॉलेज में 31 वर्षीय महिला डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या की घटना ने डॉक्टरों के बीच सुरक्षा को लेकर गहरा असंतोष पैदा कर दिया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इस जघन्य अपराध की पुष्टि होने के बाद डॉक्टरों ने देशभर में विरोध प्रदर्शन किया। जूनियर डॉक्टरों ने विशेष रूप से अपनी सुरक्षा को लेकर सरकार पर सवाल उठाए और सख्त सुरक्षा उपायों की माँग की। उन्होंने यह भी कहा कि अगर समय पर उचित सुरक्षा उपाय होते, तो यह घटना टाली जा सकती थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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