दिल्ली के निजामुद्दीन में स्थित तबलीगी जमात के मरकज पर क्राइम ब्रांच का शिकंजा कसता जा रहा है। मरकज का कोरोना कनेक्शन सामने आने के बाद जमात के अमीर मौलाना साद समेत सात लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई थी। अब इस मामले की जाँच कर रही क्राइम ब्रांच ने आरोपित के बैंक अकाउंट को खँगालने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
इस बीच जाँच कर रही टीम को तबलीगी जमात के कई सदस्यों ने बताया कि उन्हें मार्च के मध्य में अलमी मरकज बंगलेवाली मस्जिद के मजहबी कार्यक्रम में भाग लेने से पहले उन्हें ठहरने, भोजन और अन्य खर्चों के लिए भुगतान किया गया था। यानी कि इस मजहबी सभा में हिस्सा लेने के लिए उन्हें पैसे देकर बुलाया गया था। अब पुलिस अधिकारियों का कहना है कि वो इस बात की जाँच कर रहे हैं कि कहीं यही पैसे तो वो वजह नहीं है, जिसके कारण लॉकडाउन होने के बाद भी अलमी मरकज के अधिकारियों ने उन्हें जाने के लिए नहीं कहा।
पुलिस ने अधिकारियों से उनके द्वारा प्राप्त राशि की जाँच के लिए उनसे पासबुक माँगा है। दरअसल, क्राइम ब्रांच की ओर से यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि इनको कौन-कौन लोग फंडिंग कर रहे थे। इसके अलावा किन-किन संस्थाओं से जमात को चंदा मिल रहा था? पीएफआई संस्था से फंडिंग हुई या नहीं? इसकी भी जाँच की जा रही है।
जाँच एजेंसी ने मरकज से बीते एक जनवरी से लेकर एक अप्रैल तक हुए सारे कार्यक्रमों की लिस्ट माँगी है। आयोजनों में शामिल लोगों की संख्या, नक्शा या साइट प्लान और परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरों की संख्या की डिटेल भी माँगी गई है। यह भी बताना होगा कि अगर यहाँ कोई बीमार पड़ा था उसे बाहर ले जाने के लिए क्या-क्या किए गए थे। अगर किसी को हॉस्पिटल ले जाया गया , या फिर किसी की मौत हुई है तो उसकी भी डिटेल माँगी गई है।
इसके साथ ही पुलिस ने फंडिंग के स्रोत और विदेशियों की डिटेल भी माँगी है। जानकारी के मुताबिक जमात ने पिछले तीन सालों में कितना टैक्स भरा है, उसके बैंक खातों में कहाँ-कहाँ से कितने पैसे आए हैं, इन सब डिटेल्स के साथ पैन नंबर का विवरण भी माँगा है। इसके अलावा मरकज प्रमुख मौलाना साद और 6 अन्य सदस्यों से उन विदेशियों और भारतीय जमातियों की लिस्ट भी माँगी गई है, जिन्होंने 12 मार्च के बाद मरकज में शिरकत की थी। बता दें कि इस तीन दिवसीय मजहबी कार्यक्रम में लगभग 9,000 लोग शामिल हुए थे, जिनमें से अब तक केवल एक-तिहाई लोगों को ही खोजा जा सका है।