राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के ख़िलाफ़ एक मुस्लिम मण्डली द्वारा साम्प्रदायिक घृणा फैलाया जा रहा था। हिंसा और देशद्रोह की बातें की जा रही थी। इस संबंध में हैदराबाद में सईदाबाद पुलिस ने शुक्रवार (15 नवंबर) को मौलाना अब्दुल अलीम इस्लाही की बेटियों- शबीस्ता, ज़िले हुमा के अलावा मुस्लिम समूह की महिलाओं के ख़िलाफ़ आईपीसी की धारा 124-ए के तहत राजद्रोह का मामला दर्ज किया है।
मौलाना अब्दुल अलीम की बेटियों को उनके कथित घृणास्पद बयानों और सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के ख़िलाफ़ नारेबाजी करने के लिए मामला दर्ज किया गया। सुप्रीम कोर्ट के ख़िलाफ़ पूरे समूह ने नारेबाजी की। इस घटना का वीडियो भी वायरल हो रहा है। मुस्लिम महिलाओं के समूह ने अयोध्या के फ़ैसले के ख़िलाफ़ विरोध-प्रदर्शन करने के लिए सामूहिक रूप से कई नारे लगाए। सामने आए इस वीडियो में, मुस्लिम महिलाओं ने एकजुट होकर नारे लगाते हुए कहा, “तोड़ेंगे-तोड़ेगे, राम मंदिर तोड़ेंगे, लाठी-गोली खाएँगे, बाबरी मस्जिद बनाएँगे, हमारी आरज़ू शहादत-शहादत।”
इसके अलावा, नारा-ए-तक़बीर और अल्लाहु-अकबर के नारों के साथ, मुस्लिम महिलाओं ने अयोध्या में बनने वाले राम मंदिर को तोड़ने और बाबरी मस्जिद को हर हाल में लेकर रहने की बात भी कही।
दरअसल, गुरुवार (14 नवंबर) को, एक मुस्लिम संगठन से जुड़ी महिलाओं के एक समूह ने सईदाबाद के उजाले शाह ईदगाह मैदान में एक कार्यक्रम का आयोजन किया। इसमें बड़ी तादाद में मुस्लिम महिलाओं ने हिस्सा लिया। पुलिस ने शुरू में उन्हें अनुमति देने से इनकार कर दिया था, लेकिन बाद में उन्होंने सशर्त समझौते को मंजूरी देते हुए कहा कि वे शांति को बाधित नहीं करना चाहते थे और साम्प्रदायिक बयानों से बचना चाहते थे।
ख़बर के अनुसार, मुस्लिम समूह के ख़िलाफ़ आईपीसी की धारा 153-ए एंड बी (दो समुदायों के बीच दुश्मनी और नफ़रत को बढ़ावा देना) और 295-ए (जानबूझकर और धार्मिक भावनाओं को अपमानित करने के लिए दुर्भावनापूर्ण कार्य) के तहत मामला भी दर्ज किया गया है। सेक्टर सब-इंस्पेक्टर डीडी सिंह ने स्टेशन हाउस ऑफ़िसर के पास शिकायत दर्ज कराई थी, जिस पर पुलिस ने FIR दर्ज की।
सईदाबाद के इंस्पेक्टर के श्रीनिवास ने कहा, “हमने कार्यक्रम की विषय-वस्तु को अत्यधिक भड़काऊ पाया है और मण्डली (मुस्लिम महिलाओं के समूह) ने दो समुदायों (हिन्दू-मुस्लिम) के बीच साम्प्रदायिक दुश्मनी पैदा करने की कोशिश की है।” एक साज़िश के मामले में पुलिस द्वारा डीजेएस अध्यक्ष और चार अन्य लोगों की गिरफ़्तारी के लिए प्रार्थना के बाद संभावित विरोध प्रदर्शन को विफल करने के लिए शुक्रवार को पुलिस ने मक्का मस्जिद के आसपास सुरक्षा कड़ी कर दी। टास्क फ़ोर्स ने चार डीजेएस कार्यकर्ताओं को गोलकुंडा से गिरफ़्तार किया था। इसके अलावा, मक्का मस्जिद के पास रैपिड एक्शन फ़ोर्स की भी तैनाती की गई।
ख़बर के अनुसार, पुलिस ने यह भी बताया,
“एक महिला ज़िले हुमा के नेतृत्व में लगभग 110 मुस्लिम महिलाओं और लड़कियों ने ग़ैर-क़ानूनी रूप से इकट्ठा होकर उज्लेशाह ईदगाह मैदान में एकत्र होकर नमाज अता की। लगभग 20 मिनट की नमाज पूरी होने के बाद, हुमा ने माइक सँभाला और देश-विरोधी नारे लगाए।”
अमजद उल्लाह ख़ान, पूर्व निगम पार्षद, 35 आज़मपुरा मंडल और हैदराबाद में मजलिस बचाओ तहरीक के युवा नेता और अमानतुल्ला ख़ान के बेटे ने मुस्लिम महिलाओं के ख़िलाफ़ मामला दर्ज होने की निंदा करते हुए कहा कि ‘नमाज पढ़ना’ संविधान के तहत दिया गया अधिकार है।
वहीं, सियासत टीवी चैनल ने इस मामले पर ख़बर चलाई, जिसमें कहीं इस बात का उल्लेख नहीं किया गया कि मुस्लिम महिलाओं ने दो सम्प्रदायों के बीच धार्मिक भावनाओं को आहत करने का काम किया है। देश में अराजकता फैलाने के उद्देश्य से भरे इस कृत्य की रिपोर्टिंग बिलकुल सीधे और सपाट तरीक़े से की गई, जैसे उसे इस तरह की भड़काऊ विषय-वस्तु पर कोई आपत्ति ही न हो।